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माताएँ लोकरीति करती हैं और दूल्हे-दुलहिनें सकुचाते हैं। इस महान आनंद और विनोद को देखकर राम मन-ही-मन मुसकरा रहे हैं॥ 350(ख)॥
माताएँ लोकरीति करती हैं और दूल्हे-दुलहिनें सकुचाते हैं। इस महान् आनंद और विनोद को देखकर राम मन-ही-मन मुसकरा रहे हैं॥ 350(ख)॥


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11:04, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

लोक रीति जननीं करहिं
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

लोक रीति जननीं करहिं बर दुलहिनि सकुचाहिं।
मोदु बिनोदु बिलोकि बड़ रामु मनहिं मुसुकाहिं॥ 350(ख)॥

भावार्थ-

माताएँ लोकरीति करती हैं और दूल्हे-दुलहिनें सकुचाते हैं। इस महान् आनंद और विनोद को देखकर राम मन-ही-मन मुसकरा रहे हैं॥ 350(ख)॥


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लोक रीति जननीं करहिं
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (बालकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-174

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