"मंत्र परम लघु जासु बस": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
छो (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ-
;भावार्थ-
जिसके वश में ब्रह्मा, विष्णु, शिव और सभी देवता हैं, वह मंत्र अत्यंत छोटा होता है। महान मतवाले गजराज को छोटा-सा अंकुश वश में कर लेता है॥ 256॥
जिसके वश में ब्रह्मा, विष्णु, शिव और सभी देवता हैं, वह मंत्र अत्यंत छोटा होता है। महान् मतवाले गजराज को छोटा-सा अंकुश वश में कर लेता है॥ 256॥


{{लेख क्रम4| पिछला=कहँ कुंभज कहँ सिंधु अपारा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=काम कुसुम धनु सायक लीन्हे}}
{{लेख क्रम4| पिछला=कहँ कुंभज कहँ सिंधु अपारा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=काम कुसुम धनु सायक लीन्हे}}

11:19, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

मंत्र परम लघु जासु बस
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

मंत्र परम लघु जासु बस बिधि हरि हर सुर सर्ब।
महामत्त गजराज कहुँ बस कर अंकुस खर्ब॥ 256॥

भावार्थ-

जिसके वश में ब्रह्मा, विष्णु, शिव और सभी देवता हैं, वह मंत्र अत्यंत छोटा होता है। महान् मतवाले गजराज को छोटा-सा अंकुश वश में कर लेता है॥ 256॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
मंत्र परम लघु जासु बस
आगे जाएँ
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख