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'''तलमापन या तलेक्षण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Levelling'') सर्वेक्षण की एक विशेष क्रिया का नाम है, जिससे पृथ्वी की सतह पर स्थित दो या दो से अधिक, परस्पर दृष्टिगोचर या अदृश्य, बिंदुओं के बीच सापेक्ष ऊँचाई निकाली जाती है। यदि बिंदुओं की सापेक्ष ऊँचाई किसी एक ही निर्देश तल से निकाली जाए तो उसे 'निरपेक्ष ऊँचाई' कहते हैं और उस निर्देश तल को 'गृहीत तल' ''(Datum level)'' कहते हैं। तल अथवा तलपृष्ठ उस पृष्ठ को कहते हैं, जो प्रत्येक बिंदु पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण की दिशा से समकोण बनाए। [[पृथ्वी]] के गोलाकार होने के कारण तलपृष्ठ समतल नहीं होता और न किसी नियमित आकार का होता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण की दिशा पृथ्वी की सतह से सभी बिंदुओं पर समान नहीं होती। ऐसे तलपृष्ठ के किसी भी बिंदु पर स्पर्शी समतल को 'क्षैतिज समतल' कहते हैं और क्षैतिज समतल में खींची, या कल्पना की गई, रेखा 'क्षैतिज रेखा' कहलाती है। किसी चुने हुए स्थल पर ज्वार भाटा के कारण चढ़ते और गिरते समुद्र के जल के तल का उतार-चढ़ाव कुछ वर्षों तक नापा जाता है। ऐसे मध्यमान समुद्रतल, या म० स० त०, को गृहीत तल माना जाता है। [[भारत]] में पहले [[कराची]] और अब नौ बंदरगाहों में मापे समुद्रतल मध्यमान को गृहीत तल माना गया है। किसी स्थानीय सामयिक उपयोग कि लिये कोई स्वेच्छ गृहीत तल लेकर भी काम किया जा सकता है।<ref name="abc">{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A8 |title= तलमापन|accessmonthday=01 अगस्त |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिंदी }}</ref>
'''तलमापन या तलेक्षण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Levelling'') सर्वेक्षण की एक विशेष क्रिया का नाम है, जिससे पृथ्वी की सतह पर स्थित दो या दो से अधिक, परस्पर दृष्टिगोचर या अदृश्य, बिंदुओं के बीच सापेक्ष ऊँचाई निकाली जाती है। यदि बिंदुओं की सापेक्ष ऊँचाई किसी एक ही निर्देश तल से निकाली जाए तो उसे 'निरपेक्ष ऊँचाई' कहते हैं और उस निर्देश तल को 'गृहीत तल' ''(Datum level)'' कहते हैं। तल अथवा तलपृष्ठ उस पृष्ठ को कहते हैं, जो प्रत्येक बिंदु पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण की दिशा से समकोण बनाए। [[पृथ्वी]] के गोलाकार होने के कारण तलपृष्ठ समतल नहीं होता और न किसी नियमित आकार का होता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण की दिशा पृथ्वी की सतह से सभी बिंदुओं पर समान नहीं होती। ऐसे तलपृष्ठ के किसी भी बिंदु पर स्पर्शी समतल को 'क्षैतिज समतल' कहते हैं और क्षैतिज समतल में खींची, या कल्पना की गई, रेखा 'क्षैतिज रेखा' कहलाती है। किसी चुने हुए स्थल पर ज्वार भाटा के कारण चढ़ते और गिरते समुद्र के जल के तल का उतार-चढ़ाव कुछ वर्षों तक नापा जाता है। ऐसे मध्यमान समुद्रतल, या म० स० त०, को गृहीत तल माना जाता है। [[भारत]] में पहले [[कराची]] और अब नौ बंदरगाहों में मापे समुद्रतल मध्यमान को गृहीत तल माना गया है। किसी स्थानीय सामयिक उपयोग कि लिये कोई स्वेच्छ गृहीत तल लेकर भी काम किया जा सकता है।<ref name="abc">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A8 |title= तलमापन|accessmonthday=01 अगस्त |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिंदी }}</ref>


==तलमापन का सिद्धांत==
==तलमापन का सिद्धांत==

12:23, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

तलमापन या तलेक्षण (अंग्रेज़ी: Levelling) सर्वेक्षण की एक विशेष क्रिया का नाम है, जिससे पृथ्वी की सतह पर स्थित दो या दो से अधिक, परस्पर दृष्टिगोचर या अदृश्य, बिंदुओं के बीच सापेक्ष ऊँचाई निकाली जाती है। यदि बिंदुओं की सापेक्ष ऊँचाई किसी एक ही निर्देश तल से निकाली जाए तो उसे 'निरपेक्ष ऊँचाई' कहते हैं और उस निर्देश तल को 'गृहीत तल' (Datum level) कहते हैं। तल अथवा तलपृष्ठ उस पृष्ठ को कहते हैं, जो प्रत्येक बिंदु पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण की दिशा से समकोण बनाए। पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण तलपृष्ठ समतल नहीं होता और न किसी नियमित आकार का होता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण की दिशा पृथ्वी की सतह से सभी बिंदुओं पर समान नहीं होती। ऐसे तलपृष्ठ के किसी भी बिंदु पर स्पर्शी समतल को 'क्षैतिज समतल' कहते हैं और क्षैतिज समतल में खींची, या कल्पना की गई, रेखा 'क्षैतिज रेखा' कहलाती है। किसी चुने हुए स्थल पर ज्वार भाटा के कारण चढ़ते और गिरते समुद्र के जल के तल का उतार-चढ़ाव कुछ वर्षों तक नापा जाता है। ऐसे मध्यमान समुद्रतल, या म० स० त०, को गृहीत तल माना जाता है। भारत में पहले कराची और अब नौ बंदरगाहों में मापे समुद्रतल मध्यमान को गृहीत तल माना गया है। किसी स्थानीय सामयिक उपयोग कि लिये कोई स्वेच्छ गृहीत तल लेकर भी काम किया जा सकता है।[1]

तलमापन का सिद्धांत

यदि किन्हीं दो बिंदुओं अ और आ के ऊपर से गुजरती क्षैतिज रेखा च छ से इन बिदुओं की गहराई च अ और छ ज्ञात कर ली जाए तो इनकी सापेक्ष ऊँचाई च अ - छ आ होगी (देखे चित्र)। तलमापन का यही सिद्धांत है। क्षैतिज रेखा लेवल यंत्र से और क्षैतिज रेखा से बिंदुओं की वांछित गहराई की माप अंशांकित छड़ों से ज्ञात की जाती है।

लेवल यंत्र में मुख्य दो अवयव होते हैं: पहला दूरबीन और दूसरा पाणर्वल (Level tube)। दूरबीन एक ऊर्ध्व धुरी से, जिस पर वह समतल में घूम सकती है, लगभग समकोण पर जुड़ा रहता है कि उसका अक्ष (axis) दूरबीन की दृश्यरेखा के समांतर रहता है। इस कारण जब पाणसल का बुलबुला नलिका के मध्य में होता है तब द्श्यरेखा क्षैतिज होती है। यह दृश्यरेखा और पाणसल अक्ष का उपाय रहता है। अंशांकित छड़ सामान्य लकड़ी के बने होते हैं, जिनपर मीटर के १०० वें भाग तक पढ़ने के लिए विभाजन रहते हैं। इन्हें तलेक्षण गज कहते हैं।[1]

क्षेत्रकार्य

जिन बिंदुओं की सापेक्ष ऊँचाई निकालनी होती है उनके ऊपर तलेक्षण गज एकदम ऊर्ध्व खड़े किए जाते हैं और उनके मध्य में लेवलयंत्र रखकर दूरबीन से जुड़े पाणसल के बुलबुले को मध्य में लाकर बारी बारी से दृश्य रेखा पर कटने वाले गजों के अंक पढ़ लिए जाते हैं। इनके अंतर से सापेक्ष ऊँचाई ज्ञात कर सकते हैं।

यदि बिंदु एक दूसरे से बहुत दूर और अदृश्य हों, तो उनके बीच में क्रमानुगत कई बिंदु ऐसे लिए जाते हैं जिनके बीच लेवल यंत्र लगाकर क्रमश: प्रेक्षण किए जा सकें। इस प्रकार क्रमानुगत बिंदुओं की सापेक्ष ऊँचाइयाँ निकालते हुए, वांछित बिंदु की सापेक्ष ऊँचाई निकाल ली जाती है। सामान्यत: पूरे देश में समुचित रूप से बिखरे स्थायी बिंदुओं की गृहीत तल से तलमापन द्वारा सापेक्ष ऊँचाइयाँ निकालकर अभिलेख रख लिया जाता है। ऐसे बिंदुओं को तलचिन्ह कहते है। जब कभी किसी क्षेत्र में तलमापन की आवश्यकता होती है तो इन्हीं निकटवर्ती तलचिन्हों का उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त तलमापन विधक को प्रत्यक्ष तलमापन कहते हैं।

पृथ्वी की सतह से बढ़ती ऊँचाई के अनुपात में वायु का दबाव घटता जाता है। स तथ्य का लाभ उठाकर भी बैरोमीटर से बिंदुओं के बीच सापेक्ष ऊँचाइयाँ निकाली जाती हैं। इसी प्रकार वायु के घटते दबाव के साथ साथ जल का क्वथनांक गिरता जाता है। इस पर भी ऊँचाई निकालने की एक विधि आधारित है, जिसे क्वथनांकमिति (भाप-बिंदु-मापन-मिति), (Hypsometry) कहते हैं। किसी बिंदु से गुजरते क्षैतिज तल से अन्य बिंदुओं के नतिकोण (angles of inclination) नापकर गणना द्वारा भी सापेक्ष ऊँचाइयाँ ज्ञात की जाती हैं। ऐसी तलमापन विधियों को अप्रत्यक्ष तलमापन कहते हैं।

सामान्यत: तलमापन का अर्थ प्रत्यक्ष तलमापन होता है। प्रत्यक्ष तलमापन की सबसे अधिक आवश्यकता इंजीनियरी से संबंधित विकास और निर्माण कार्यों में होती है।[1]

वर्गीकरण

दो आधारों पर तलमापन का वर्गीकरण हुआ है- 1. परिशुद्धता के आधार पर, यथार्थ (Precise) तलमापन, द्वितीय श्रेणी (Secondary) तलमापन तथा तृतीय श्रेणी (Tertiary) तलमापन। 2. कार्य की सुविधा के लिये अपनाई तलमापन विधि के आधार पर, जैसे पड़ताल (Check) तलमापन (किये गए तलमापन की यथार्थता की जाँच के लिए), अनुदैर्ध्य (Longitudinal) तलमापन (रेलमार्ग, नहर, सड़क आदि के पथ की केंद्ररेखा पर भूमि का उतार चढ़ाव ज्ञात करने के लिये), अनुप्रस्थ तलेक्षण (Cross Sectioning) अर्थात्‌ किसी मुख्य निर्माणपथ के दाएँ बाएँ किया गया तलेक्षण, आशु (Flying) तलेक्षण अर्थात्‌ किसी पथ के निर्माण के प्रति अंतिम निर्णय करने कि लिसे किया गया तलेक्षण, आदि।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 तलमापन (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 01 अगस्त, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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