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यहाँ की मुख फ़सलें [[गेहूँ]], [[जौ]], [[ज्वार]], [[दाल]] एवं [[कपास]] हैं।
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==भौगोलिक स्थिति==
==भौगोलिक स्थिति==
इस प्रदेश में पानी की कमी, [[वर्षा]] की अनिश्चितता एवं भूकंप की बहुलता के कारण [[अकाल]] अधिक पड़ते हैं। गर्मी के दिनों में यहाँ का [[तापमान]] काफ़ी अधिक तक हो जाता है। छोटी-छोटी पहाड़ी नदियाँ भी हैं, जो वर्षा के अतिरिक्त अन्य मौसमों में सूखी रहती हैं। उपर्युक्त भौतिक कठिनाइयों के कारण यहाँ की आबादी कम है।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6|title=कच्छ|accessmonthday=22 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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12:30, 25 अक्टूबर 2017 का अवतरण

काला डूंगर का एक दृश्य, कच्छ, गुजरात

कच्छ पश्चिमी गुजरात का एक भौगोलिक स्थल है, जिसका वर्णन 'महाभारत' एवं 'पाणिनी' की 'अष्टाध्यायी' में मिलता है। यह प्रदेश वर्ष 1947 ई. के पहले पश्चिमी भारतीय राज्य संघ का एक छोटा-सा राज्य था। यह अब नवनिर्मित महा गुजरात राज्य का एक अंग है।

इतिहास

'शिशुपाल वध काव्य' में भी कच्छ का वर्णन हैं। यहाँ महाभारत के नायक श्रीकृष्ण के सैनिकों का लवंग पुष्पों की माला से विभूषित होने, नारियल का पानी पीने और कच्ची सुपारियाँ खाने का लालित्यपूर्ण वर्णन है। शक शासक रुद्रदामन (दूसरी शताब्दी ई.) के राज्य में कच्छ भी शामिल था। मुस्लिम आक्रांता महमूद ग़ज़नवी ने जिन स्थानों पर आक्रमण किया था, उनमें कच्छ भी एक था। मध्य काल में सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने जब 1361-62 ई. में सिंध पर आक्रमण किया तो वह 'कच्छ के रण' में फँस गया था।

क्षेत्रफल

कच्छ जीवाश्म पार्क

कच्छ प्रदेश 1947 ई. के पहले पश्चिमी भारतीय राज्य संघ का एक छोटा-सा राज्य था। यह अब नवनिर्मित गुजरात राज्य का एक अंग है। इसका क्षेत्रफल 16,724 वर्ग मील है। इसके पूर्व एवं उत्तर में 'कच्छ की खाड़ी' एवं पश्चिम में अरब सागर है। कच्छ प्रदेश का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं जंगली है। संपूर्ण प्रदेश ज्वालामुखी भूचाल के प्रभाव में है।

कृषि

यहाँ की मुख फ़सलें गेहूँ, जौ, ज्वार, दाल एवं कपास हैं।

भौगोलिक स्थिति

इस प्रदेश में पानी की कमी, वर्षा की अनिश्चितता एवं भूकंप की बहुलता के कारण अकाल अधिक पड़ते हैं। गर्मी के दिनों में यहाँ का तापमान काफ़ी अधिक तक हो जाता है। छोटी-छोटी पहाड़ी नदियाँ भी हैं, जो वर्षा के अतिरिक्त अन्य मौसमों में सूखी रहती हैं। उपर्युक्त भौतिक कठिनाइयों के कारण यहाँ की आबादी कम है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कच्छ (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 22 फ़रवरी, 2014।

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