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[[1968]] के मध्यावधि चुनावों में भिवानी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। [[1972]] में फिर से विधायक बने एवं सर्वसम्मति से [[विधान सभा]] के अध्यक्ष चुने गए। गुप्ता जी बिजली एवं सिंचाई, [[कृषि]], स्वास्थ्य आदि विभिन्न विभागों के मंत्री रहे। [[1975]] में इन्हें [[हरियाणा]] का [[मुख्यमंत्री]] बनाया गया। [[1987]] में एक बार फिर भिवानी से विधायक बने और उप-मुख्यमंत्री चुने गए। [[1989]] में एक बार फिर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री रहे। [[सितम्बर]] [[1990]] में आप पर एक जानलेवा हमला भी हुआ था। [[1996]] में आप [[राज्य सभा]] के लिये चुने गए थे।
[[1968]] के मध्यावधि चुनावों में भिवानी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। [[1972]] में फिर से विधायक बने एवं सर्वसम्मति से [[विधान सभा]] के अध्यक्ष चुने गए। गुप्ता जी बिजली एवं सिंचाई, [[कृषि]], स्वास्थ्य आदि विभिन्न विभागों के मंत्री रहे। [[1975]] में इन्हें [[हरियाणा]] का [[मुख्यमंत्री]] बनाया गया। [[1987]] में एक बार फिर भिवानी से विधायक बने और उप-मुख्यमंत्री चुने गए। [[1989]] में एक बार फिर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री रहे। [[सितम्बर]] [[1990]] में आप पर एक जानलेवा हमला भी हुआ था। [[1996]] में आप [[राज्य सभा]] के लिये चुने गए थे।
==पत्रकार तथा लेखक==
==पत्रकार तथा लेखक==
बनारसी दास जी द्वारा अनेक धार्मिक संस्थाओं की स्थापना की गई। आप अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। आपके [[योग]] प्रेम एवं प्रकृति प्रेम के फलस्वरूप ही भिवानी में प्राकृतिक चिकित्सालय की स्थापना हुई। आपके सहयोग से भिवानी में कई शैक्षणिक संस्थाएं अस्तित्व में आईं। एक जननेता, समाजसेवी और शिक्षाविद होने के साथ ही आपका एक रूप पत्रकार का भी रहा, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। आप कई वर्षों तक साप्ताहिक 'अपना देश', 'हरियाणा केसरी' तथा 'हरियाणा कांग्रेस पत्रिका' के सम्पादक रहे। ‘पंचायती राज – क्यों और केसे‘ के नाम से आपने एक पुस्तक लिखी थी, जो बहुत लोकप्रिय हुई। विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से भी आप जुडे रहे। आपकी अध्यक्षता में हरियाणा प्रदेश साहित्य समिति ने कई ऊल्लेखनीय कार्य किये।
बनारसी दास जी द्वारा अनेक धार्मिक संस्थाओं की स्थापना की गई। आप अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। आपके [[योग]] प्रेम एवं प्रकृति प्रेम के फलस्वरूप ही [[भिवानी]] में प्राकृतिक चिकित्सालय की स्थापना हुई। आपके सहयोग से भिवानी में कई शैक्षणिक संस्थाएं अस्तित्व में आईं। एक जननेता, समाजसेवी और शिक्षाविद होने के साथ ही आपका एक रूप पत्रकार का भी रहा, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। आप कई वर्षों तक साप्ताहिक 'अपना देश', 'हरियाणा केसरी' तथा 'हरियाणा कांग्रेस पत्रिका' के सम्पादक रहे। ‘पंचायती राज – क्यों और केसे‘ के नाम से आपने एक पुस्तक लिखी थी, जो बहुत लोकप्रिय हुई। विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से भी आप जुडे रहे। आपकी अध्यक्षता में 'हरियाणा प्रदेश साहित्य समिति' ने कई ऊल्लेखनीय कार्य किये।





05:58, 5 नवम्बर 2017 का अवतरण

बनारसी दास गुप्ता
बनारसी दास गुप्ता
बनारसी दास गुप्ता
पूरा नाम बनारसी दास गुप्ता
जन्म 5 नवम्बर, 1917
जन्म भूमि भिवानी, हरियाणा
मृत्यु 29 अगस्त, 2007
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी
धर्म हिन्दू
जेल यात्रा 'भारत छोड़ो आंदोलन' के दौरान बनारसीदास गुप्ता 1942 से 1944 तक जेल में बंद रहे।
कार्य काल हरियाणा के मुख्यमंत्री- 1 दिसम्बर, 1975 से 30 अप्रॅल, 1977 तक
विद्यालय 'बिड़ला कॉलेज', पिलानी
संबंधित लेख हरियाणा के मुख्यमंत्री, बंसीलाल, चौधरी देवी लाल
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
अन्य जानकारी आपने 'अपना देश', 'हरियाणा केसरी' और 'हरियाणा कांग्रेस पत्रिका' के द्वारा राजनैतिक जागृति तथा समाज सुधार के क्षेत्र में योगदान किया।

बनारसी दास गुप्ता (अंग्रेज़ी: Banarsi Das Gupta ; जन्म- 5 नवम्बर, 1917, हरियाणा; मृत्यु- 29 अगस्त, 2007) हरियाणा राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी होते हुए सामाजिक, राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन को अपने अंदाज़ में जिया। बनारसी दास गुप्ता हिन्दी भाषा के पक्षधर और यथार्थवादी आदर्श जननायक थे। उन्होंने राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को मजबूत बनाकर हरियाणा की प्रगति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया था।[1]

परिचय

बनारसी दास गुप्ता का जन्म 5 नवम्बर, 1917 ई. में हरियाणा के भिवानी नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने 'बिड़ला कॉलेज', पिलानी में शिक्षा प्राप्त की थी। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और पण्डित जवाहरलाल नेहरू के प्रभाव से वे देशी रियासतों की दमनकारी नीति का विरोध करने के लिए प्रजामंडल आंदोलन में भाग लेने लगे थे। बनारसी दास गुप्ता जी की गतिविधियां देखकर जींद रियासत में उन्हें 1941 ई. में गिरफ्तार करके फरीदकोट जेल में बंद कर दिया था। 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भी बनारसी दास गुप्ता ने भाग लिया और 1942 से 1944 ई. तक जेल में बंद रहे।[2]

आंदोलन

आज़ादी के पश्चात् ही बनारसी दास ने जींद को भारत में शामिल करने के लिए आंदोलन प्रारम्भ कर दिये थे और वहां समानंतर सरकार बनाई। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल द्वारा जींद को पंजाब में सम्मिलित करने के समझौते के बाद ही यह आंदोलन समाप्त हुआ था।

राजनीतिक जीवन

बनारसी दास गुप्ता

1968 के मध्यावधि चुनावों में भिवानी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 1972 में फिर से विधायक बने एवं सर्वसम्मति से विधान सभा के अध्यक्ष चुने गए। गुप्ता जी बिजली एवं सिंचाई, कृषि, स्वास्थ्य आदि विभिन्न विभागों के मंत्री रहे। 1975 में इन्हें हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया। 1987 में एक बार फिर भिवानी से विधायक बने और उप-मुख्यमंत्री चुने गए। 1989 में एक बार फिर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री रहे। सितम्बर 1990 में आप पर एक जानलेवा हमला भी हुआ था। 1996 में आप राज्य सभा के लिये चुने गए थे।

पत्रकार तथा लेखक

बनारसी दास जी द्वारा अनेक धार्मिक संस्थाओं की स्थापना की गई। आप अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। आपके योग प्रेम एवं प्रकृति प्रेम के फलस्वरूप ही भिवानी में प्राकृतिक चिकित्सालय की स्थापना हुई। आपके सहयोग से भिवानी में कई शैक्षणिक संस्थाएं अस्तित्व में आईं। एक जननेता, समाजसेवी और शिक्षाविद होने के साथ ही आपका एक रूप पत्रकार का भी रहा, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। आप कई वर्षों तक साप्ताहिक 'अपना देश', 'हरियाणा केसरी' तथा 'हरियाणा कांग्रेस पत्रिका' के सम्पादक रहे। ‘पंचायती राज – क्यों और केसे‘ के नाम से आपने एक पुस्तक लिखी थी, जो बहुत लोकप्रिय हुई। विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से भी आप जुडे रहे। आपकी अध्यक्षता में 'हरियाणा प्रदेश साहित्य समिति' ने कई ऊल्लेखनीय कार्य किये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बनारसी दास गुप्ता को याद किया (हिन्दी) भास्कर.कॉम। अभिगमन तिथि: 07 जुलाई, 2014।
  2. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 510 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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