"माँ कलिका मंदिर, रानीखेत": अवतरणों में अंतर

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'''माँ कलिका मंदिर''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोड़ा ज़िले]] के प्रसिद्ध पहाड़ी पर्यटन स्थल [[रानीखेत]] में स्थित है। घने वृक्षों के मध्य एक छोटी से पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह एक प्रसिद्ध मंदिर है। प्रवेश द्वार पर ही कुछ दुकानदार अपनी अस्थाई दुकान लगाये हुए स्थानीय फल आडू, नख आदि बेचते हुए मिलते हैं। इस द्वार से माँ कालिका का मंदिर तक जाने के लिए सीढ़िया बनी हुयी हैं। इन सीढ़ियों से घने वृक्षों के मध्य से होते हुए मंदिर पहुँचा जा सकता है।  तेज हवा चलने के कारण सीढ़ियों के दोनो तरफ के पेड़-पौधे जोर-जोर से आवाज़ करते हैं तो बहुत ही अच्छा लगता है। [[रानीखेत]] से 6 किलोमीटर की दूरी पर गोल्फ़ का विशाल मैदान है जो इस मंदिर के समीप ही है।
'''माँ कलिका मंदिर''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोड़ा ज़िले]] के प्रसिद्ध पहाड़ी पर्यटन स्थल [[रानीखेत]] में स्थित है। घने वृक्षों के मध्य एक छोटी से पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह एक प्रसिद्ध मंदिर है। प्रवेश द्वार पर ही कुछ दुकानदार अपनी अस्थाई दुकान लगाये हुए स्थानीय फल आडू, नख आदि बेचते हुए मिलते हैं। इस द्वार से माँ कालिका का मंदिर तक जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों से घने वृक्षों के मध्य से होते हुए मंदिर पहुँचा जा सकता है।  तेज हवा चलने के कारण सीढ़ियों के दोनो तरफ के पेड़-पौधे जोर-जोर से आवाज़ करते हैं तो बहुत ही अच्छा लगता है। [[रानीखेत]] से 6 किलोमीटर की दूरी पर गोल्फ़ का विशाल मैदान है जो इस मंदिर के समीप ही है।





07:40, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

माँ कलिका मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले के प्रसिद्ध पहाड़ी पर्यटन स्थल रानीखेत में स्थित है। घने वृक्षों के मध्य एक छोटी से पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह एक प्रसिद्ध मंदिर है। प्रवेश द्वार पर ही कुछ दुकानदार अपनी अस्थाई दुकान लगाये हुए स्थानीय फल आडू, नख आदि बेचते हुए मिलते हैं। इस द्वार से माँ कालिका का मंदिर तक जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों से घने वृक्षों के मध्य से होते हुए मंदिर पहुँचा जा सकता है। तेज हवा चलने के कारण सीढ़ियों के दोनो तरफ के पेड़-पौधे जोर-जोर से आवाज़ करते हैं तो बहुत ही अच्छा लगता है। रानीखेत से 6 किलोमीटर की दूरी पर गोल्फ़ का विशाल मैदान है जो इस मंदिर के समीप ही है।



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