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परछा‌ईं मेरी से चित्रित,
परछा‌ईं मेरी से चित्रित,
रहने दो रज का मंजु मुकुर,
रहने दो रज का मंजु मुकुर,
इस बिन शृंगार-सदन सूना!
इस बिन श्रृंगार-सदन सूना!
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।



07:58, 7 नवम्बर 2017 का अवतरण

तेरी सुधि बिन -महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, शृंखला की कड़ियाँ, अतीत के चलचित्र, नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।

कम्पित कम्पित,
पुलकित पुलकित,
परछा‌ईं मेरी से चित्रित,
रहने दो रज का मंजु मुकुर,
इस बिन श्रृंगार-सदन सूना!
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।

सपने औ' स्मित,
जिसमें अंकित,
सुख दु:ख के डोरों से निर्मित;
अपनेपन की अवगुणठन बिन
मेरा अपलक आनन सूना!
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।

जिनका चुम्बन
चौंकाता मन,
बेसुधपन में भरता जीवन,
भूलों के शूलों बिन नूतन,
उर का कुसुमित उपवन सूना!
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।

दृग-पुलिनों पर
हिम से मृदुतर,
करूणा की लहरों में बह कर,
जो आ जाते मोती, उन बिन,
नवनिधियोंमय जीवन सूना!
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।

जिसका रोदन,
जिसकी किलकन,
मुखरित कर देते सूनापन,
इन मिलन-विरह-शिशु‌ओं के बिन
विस्तृत जग का आँगन सूना!
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना।




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