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जन्म: 18 फ़रवरी 1931
जन्म : 17 सितम्बर, 1930 चेन्नई


कार्यक्षेत्र: भारतीय मूल के ब्रिटिश उद्योगपति और राजनीतिज्ञ, कपारो ग्रुप के संस्थापक
निधन: 22 अप्रैल 2013, चेन्नई


स्वराज पॉल (बैरन पॉल) भारतीय मूल के ब्रिटिश उद्योगपति, समाजसेवी और लेबर राजनीतिज्ञ हैं। सन 1996 में वे लेबर पार्टी के टिकट पर ‘हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स’ का सदस्य बने और बैरन पॉल की पदवी ग्रहण की। दिसम्बर 2008 में उन्हें ‘हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स’ का उपाध्यक्ष चुना गया और अक्टूबर 2009 में उन्हें प्रिवी कौंसिल के लिए चुना गया। उन्हें इंग्लैंड के भूतपूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डोन ब्राउन और औंकी पत्नी सारा का करीबी माना जाता है। यूनाईटेड किंगडम संसदीय खर्चे घोटाले के संदर्भ में उन्हें 1 नवम्बर 2010 को ‘हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स’ के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।
कार्यक्षेत्र : कर्नाटक शैली के वायलिन वादक, गायक और संगीतकार


प्रारंभिक जीवन
'''लालगुडी जयरामन अय्यर''' ([[अंग्रेजी]]: Lalgudi Jayaraman जन्म : [[17 सितम्बर]], [[1930]], निधन: [[22 अप्रैल]] [[2013]], [[चेन्नई]]) एक प्रसिद्ध कर्नाटक शैली के वायलिन वादक, गायक और संगीतकार थे। अपने समृद्ध कल्पना, तीव्र अभिग्रहण क्षमता और कर्नाटक संगीत में अग्रणी संगीतज्ञों की व्यक्तिगत शैली को उनके साथ समारोह में जा कर आसानी से अपना लेने की अपनी क्षमता के चलते ये बहुत जल्द अग्रणी पंक्ति के संगीतज्ञ बन गए। संगीत समारोहों से मिले समृद्ध अनुभव के अलावा अपनी कड़ी मेहनत, लगन और अपने अन्दर उत्पन्न हो रहे संगीत के विचारों को मौलिक अभिव्यक्ति देने की दृढ़ इच्छा के बल पर ये दुर्लभ प्रतिभा के एकल वायलिन वादक के रूप में उभर कर आये।


लार्ड स्वराज पॉल का जन्म 18 फरवरी 1931 में पंजाब के जालंधर शहर में हुआ था। उनके पिता एक छोटा ढलाईखाना चलाते थे जहाँ बाल्टियों और कृषि उपकरणों का निर्माण होता था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर के फॉरमैन क्रिस्चियन कॉलेज से हुई जिसके बाद उन्होंने जालंधर के दोआबा कॉलेज से भी शिक्षा ग्रहण की। उसके पश्चात उन्होंने बी.एस.सी, एम.एस.सी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई अमेरिका के मशहूर मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) से की।
इन्होंने समग्र रूप से वायलिन वादन की एक नई तकनीक को स्थापित किया, जिसे भारतीय शास्त्रीय संगीत की सर्वश्रेष्ठ अनुकूलता के लिए बनाया गया था, और एक अद्वितीय शैली को स्थापित किया, जिसे ‘लालगुडी बानी’ के रूप में जाना जाता है। इनकी सिद्ध और आकर्षक शैली, सुंदर और मौलिक थी जो कि पारंपरिक शैली से अलग नहीं थीं। इसके कारण इनके प्रशंसकों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही गई। इस बहुआयामी व्यक्तित्व सौंदर्य के कारण इन्हें कई कृतियों जैसे ‘तिलानस’, ‘वरनम’ और नृत्य रचना के निर्माण का श्रेय भी दिया गया, जिसमें राग, भाव, ताल और गीतात्मक सौन्दर्य का अद्भुत मिश्रण है। इन्होंने वायलिन में सबसे अधिक मांग वाली शैली को पेश किया और रचनाओं की गीतात्मक सामग्री का प्रस्तुतिकरण किया।
ये ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने कर्नाटक शैली के वायलिन वादन को अंतर्राष्टीय ख्याति दिलवाई। साथ ही इन्होंने वर्ष 1996 में वायलिन, वेणु (बांसुरी) और वीणा के साथ को जोड़ने की एक नई अवधारणा की शुरूआत की और कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम (कंसर्ट) भी किए।
==जीवन परिचय==
श्री लालगुडी जयरामन अय्यर का जन्म 17 सितम्बर, 1930 को चेन्नई (तमिलनाडु) के महान संत संगीतकार त्यागराज के वंश में हुआ था। इन्होंने बहुमुखी प्रतिभा के धनी अपने दिवंगत पिता गोपाल अय्यर वी।आर। से कर्नाटक संगीत की शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता ने बड़ी कुशलता से इन्हें स्वयं प्रशिक्षित किया था। मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने एक वायलिन वादक के रूप में अपने संगीत कैरियर की शुरूआत की।
लालगुडी जयरामन का विवाह श्रीमती राजलक्ष्मी से हुआ। इनके दो बच्चें हैं- इनके बेटे का नाम जी।जे।आर। कृष्णन है और इनकी बेटी का नाम लालगुडी विजयलक्ष्मी है। इनका बेटा और बेटी दोनों अपने महान पिता के नक्शे कदम पर आज भी चल रहे हैं और अपनी प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। आजकल की प्रसिद्ध वीणा वादक जयंती कुमारेश, लालगुडी की भतीजी हैं।
==समकालीन अन्य संगीत विशेषज्ञों के साथ सम्बन्ध==
गायकों के साथ संगत करने के लिए लालगुडी जयरामन की काफी मांग रहती थी और अरियाकुडी रामानुजा अयंगर, चेम्बई वैदीनाथ भागावतार, सेमांदगुड़ी श्रीनिवास अय्यर, जी।एन। बालासुब्रमण्यम, मदुरै मणि अय्यर, के।वी। नारायणस्वामी, महाराजापुरम संथानम, डी.के. जयरामन, एम। बाल मुरलीकृष्णा, टी.वी. संकर नारायणनन, टी.एन. शेष गोपालन और बांसुरी संगीतज्ञ जैसे एन. रमानी जैसे महान विशेषज्ञों और गायकों के साथ इन्होने काम किया।
==देश-विदेश में संगीत कार्यक्रम==
इन्होंने बड़े पैमाने पर [[भारत]] के साथ-साथ विदेशों में भी अपने संगीत की प्रस्तुतियां दी। भारत सरकार ने इन्हें भारतीय सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य के रूप में रूस भेजा था। वर्ष [[1965]] में एडिनबर्ग त्योहार पर प्रसिद्ध वायलिनवादक येहुदी मेनुहिन इनके तकनीक से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इन्हें अपना इतालवी वायलिन भेंट किया था। साथ ही इन्होंने सिंगापुर, मलेशिया, मनीला और पूर्वी यूरोपीय देशों में अपना प्रदर्शन किया। वर्ष [[1979]] के दौरान इनकी नई दिल्ली आकाशवाणी में हुए रिकॉर्डिंग को अंतर्राष्ट्रीय संगीत परिषद्, बगदाद, एशियाई पैसिफिक रोस्ट्रम और इराक प्रसारण एजेंसी में इनके प्रस्तुत रिकॉर्डिंग को विभिन्न देशों से प्राप्त 77 प्रविष्टियों में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया। इन्होने बेल्जियम और फ्रांस के संगीत समारोह में भी अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया।


करियर
[[भारत सरकार]] ने [[अमेरिका]] एवं [[लंदन]] में ‘फेस्टिवल ऑफ इंडिया’ में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व करने के लिए इन्हें चुना और इन्होंने लंदन में ‘एकल’ और ‘जुगलबंदी’ कंसर्ट पेश किया और साथ ही जर्मनी और इटली में भी प्रस्तुति दी, जिसकी काफी प्रशंसा की गई थी। वर्ष [[1984]] में श्री लालगुडी ने ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और कतर का दौरा किया, जो अत्यधिक सफल रहा। इन्होंने ओपेरा बैले ‘जय जय देवी’ के गीत और संगीत की रचना की, जिसका प्रीमियर वर्ष [[1994]] में क्लीवलैंड (अमेरिका) में किया गया और संयुक्त राज्य के कई शहरों में इसे प्रदर्शित किया गया था। [[अक्टूबर]], [[1999]] में लालगुडी ने श्रुथी लया संघम (इंस्टिट्यूट ऑफ फाइन आर्ट्स) के तत्वावधान में ब्रिटेन में अपने कला का प्रदर्शन किया था। यहां संगीत कार्यक्रम के बाद लालगुड़ी द्वारा रचित एक नृत्य नाटिका ‘पंचेस्वरम’ का मंचन भी किया गया था।
 
==रचनाएं==
मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) से निकलने बाद उन्होंने भारत में अपने पारिवारिक कंपनी ‘एपीजे-सुरेन्द्र ग्रुप’ में कार्य किया। इस कंपनी की स्थापना उनके पिता ने की थी और उस समय इसका संचालन स्वराज पॉल के दो बड़े भाई – सत्य पॉल और जीत पॉल – कर रहे थे।
‘थिलानस’ और ‘वरनम’ के लिए सबसे प्रसिद्ध श्री लालगुडी जयरामन को आधुनिक समय में सबसे सफल शाश्त्रीय संगीतकारों में से एक माना जाता है। इनकी रचनाएं चार भाषाओं (तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और संस्कृत) में हैं। वे राग के सभी क्षेत्रों में संगीत रचना करते थे। इनकी शैली की विशेषता है इनकी रचनाओं का माधुर्य, ध्यानपूर्वक सूक्ष्म तालबद्ध का परिष्कृत आलिंगन। इनकी रचनाएं भरतनाट्यम नृत्यांगनाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।
 
==पुरस्कार एवं सम्मान==
सन 1966 में वे अपनी पुत्री के इलाज के लिए यूनाइटेड किंगडम चले गए। उनकी पुत्री लयूकेमिया से पीड़ित थी और इसी बीमारी से उसकी मौत हो गयी। अपनी बेटी की मौत से उबरने में उन्हें लगभग एक साल का वक्त लगा और उसके बाद उन्होंने ‘नेचुरल गैस ट्यूब्स’ की स्थापना की। इसके पश्चात उन्होंने एक के बाद एक कई स्टील की इकाईओं का अधिग्रहण कर लिया।
*इन्हें वर्ष [[1963]] में म्यूजिक लवर्स एसोसिएशन ऑफ लालगुडी द्वारा ‘नाद विद्या तिलक’ से सम्मानित किया गया।
 
*भारती सोसायटी (न्यूयॉर्क) द्वारा इन्हें वर्ष [[1971]] में ‘विद्या संगीत कलारत्न’ से भी सम्मानित किया गया।
सन 1968 में उन्होंने कपारो ग्रुप की स्थापना की। कपारो ग्रुप वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम के अग्रणी स्टील उत्पाद बनाने वालों में से एक है। कपारो ग्रुप स्टील ट्यूब्स के साथ-साथ मर्चेंट बार्स और स्ट्रक्चरल भी बनता है। इसके अलावा वे दूसरे उद्योगों में प्रयुक्त होने वाले स्टील उत्पाद भी बनाते हैं। कपारो ग्रुप उत्तर अमेरिका, यूरोप, भारत और मध्य पूर्व आदि में लगभग 10 हज़ार लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।
*फेडेरेशन ऑफ म्यूजिक सभा (मद्रास) द्वारा ‘संगीत चूड़ामणि’ से इन्हें वर्ष 1971 में सम्मानित किया गया।
 
*वर्ष [[1972]] में इन्हें भारत सरकार द्वारा अपने नागरिक सम्मान ‘[[पद्मश्री]]’ से सम्मानित किया गया।
लार्ड पॉल ने सन 1996 में अपने आप को कंपनी के प्रबंधन से अलग कर लिया और उनके सबसे छोटे बेटे अंगद ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.इ.ओ.) बनाये गए।
*इन्हें ईस्ट वेस्ट एक्सचेंज (न्यूयॉर्क) द्वारा ‘नाद विद्या रत्नाकर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 
*वर्ष [[1979]] में इन्हें तमिलनाडु सरकार और संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘स्टेट विद्वान’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सन्डे टाइम्स के अमीर व्यक्तियों की सूचि में उनका नाम भी आता है। सन 2015 में सन्डे टाइम्स ने उन्हें ब्रिटेन का 38वां सबसे अमीर व्यक्ति माना। वे दवा करते हैं की अन्य आम लोगों की तरह वे भी लन्दन में सार्वजानिक यातायात का उपयोग करते हैं। 1960 के दशक से ही वे मध्य लन्दन के पोर्टलैंड प्लेस में रहते हैं। वे और उनके परिवार के सदस्य इस ब्लाक में लगभग दर्ज़नभर मकानों के मालिक हैं। इनमें से हर मकान की कीमत लगभग 10 लाख ब्रिटिश पौण्ड मानी जाति है। बीकन्सफील्ड (बकिंघमशायर) में लगभग 250 एकड़ में फैला उनका एक कंट्री एस्टेट भी है।
*वर्ष [[1994]] में इन्हें मैरीलैंड (अमेरिका) की मानद नागरिकता भी प्रदान की गयी।
 
*वर्ष 2001 में इन्हें भारत सरकार द्वारा अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया।
सार्वजनिक जीवन
*इन्होंने वर्ष 2006 में फिल्म ‘श्रीनगरम’ में बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन के लिए ‘नेशनल फिल्म अवार्ड’ भी प्राप्त किया।
 
*कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा इन्हें ‘फर्स्ट चौदइया मेमोरिएल-लेवल पुरस्कार’ भी दिया गया।
लार्ड स्वराज पॉल कई महत्वपूर्ण सार्वजानिक पदों पर रह चुके हैं। वे थेम्स वैली विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर (1998) और उसके गवर्नर (1992-97) के पद पर आसीन रहे। सन 1998 से वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉलवेर्हम्प्टन और यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर के चांसलर रहे जिसमें उनके पारिवारिक ट्रस्ट ने लगभग £300,000 का योगदान दिया। उन्होंने ‘अम्बिका पॉल फाउंडेशन’ के माध्यम से ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉलवेर्हम्प्टन’ को उदारतापूर्वक दान दिया और इसके ‘स्टूडेंट्स यूनियन सेण्टर’ का नवीनीकरण का खर्चा भी वहन किया। नवीनीकरण के बाद उसका नाम ‘द अम्बिका पॉल स्टूडेंट्स यूनियन सेंटर’ कर दिया गया।
*वर्ष 2010 में इन्हें संगीत नाटक अकादमी का सदस्य भी बनाया गया।
 
लार्ड पॉल ब्रिटेन के विदेश नीति केंद्र सलाहकार परिषद और एमआईटी के यांत्रिक अभियांत्रिकी विजिटिंग समिति के सदस्य रह चुके हैं। वे लन्दन ओलिंपिक डिलिवरी समिति के अध्यक्ष रहे और कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन (सीपीए) की अध्यक्षता के लिए भी चुनाव लड़े।
 
स्वराज पॉल भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं जिन्हें हाउज़ ऑफ़ लॉर्ड्स का उपाध्यक्ष बनाया गया। वे इस पद आसीन होने वाले बारह लोगों में से एक हैं। इसके पश्चात उन्हें 15 अक्टूबर 2009 को प्रिवी कौंसिल की शपथ दिलाई गयी।
 
अम्बिका पॉल फाउंडेशन के माध्यम से लार्ड पॉल कपारो से हुआ लाभ धर्मार्थ प्रयासों में भी देते हैं। वे ज़ूओलॉजिकल सोसायटी ऑफ़ लन्दन के मानद संरक्षक हैं और रीजेन्ट्स पार्क साईट में प्रमुख परियोजनाओं को वित्त पोषित भी किया है, जिसमें बच्चों का चिड़ियाघर शामिल है।
 
सन 2000-2005 तक वे इंडो-ब्रिटिश राउंडटेबल के को-चेयर थे। लार्ड पॉल पैनल 2000 के सदस्य भी थे जिसे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री द्वारा ब्रिटेन के री-ब्रांडिंग के लिए गठित किया गया था।
 
वे ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डोन ब्राउन के बड़े समर्थक हैं और उन्होंने लेबर पार्टी को £500,000 दान में भी दिया।
 
लार्ड पॉल ने लन्दन ओलंपिक्स 2012 के दावेदारी से लेकर आयोजन तक की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन 2005 में वे लन्दन की दावेदारी का पक्ष रखने वाले दल के साथ सिंगापोर गए थे जहाँ इस दल ने इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी को लन्दन के दावेदारी के लिए मनाने में सफलता प्राप्त की।
 
पुरस्कार और सम्मान
 
लार्ड स्वराज पॉल को कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं जिनमें यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, भारत, रूस और स्विट्ज़रलैंड के विश्विद्यालयों द्वारा मानद सम्मान भी शामिल हैं।
 
    सन 1983 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया
    इंडियन मर्चेंट्स चैम्बर ने उन्हें ‘भारत गौरव’ सम्मान दिया
    सन 1998 में फ्रीडम ऑफ़ द सिटी ऑफ़ लन्दन
    2008 एशियन बिज़नेस अवार्ड्स में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ दिया गया
    सन २९९5 में अमेरिका के सोसाइटी ऑफ़ मैन्युफैक्चरिंग एन्जिनेअर्स ने उन्हें ‘डोनाल्ड सी. बुर्न्हम मैन्युफैक्चरिंग अवार्ड’ दिया
    सन 1987 में एशियन हूज हु में उन्हें ‘फर्स्ट एशियन ऑफ़ द इयर’ चुना गया
    सन 2008 में एशियन वीमेन मैगज़ीन ने उन्हें ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ दिया
    सन 2011 में ‘पॉवरब्रांड्स हाल ऑफ़ फेम’ ने उन्हें ‘ग्लोबल इंडियन ऑफ़ द इयर’ के लिए नामांकित किया
    सन 1989 में मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) ने उन्हें कॉर्पोरेट लीडरशिप अवार्ड दिया
    नवम्बर 2013 में ‘इंडिया लिंक इंटरनेशनल’ पत्रिका ने उन्हें ‘इंटरनेशनल इंडियन ऑफ़ द डिकेड’ चुना
    ब्लैक कंट्री एशियन बिज़नस एसोसिएशन द्वारा उन्हें ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ दिया गया
    ग्लोबल स्किल तरी कंसोर्टियम ने उन्हें सन 2014 में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ दिया
    जुलाई 2014 में ‘ वर्ल्ड कंसल्टिंग रिसर्च कारपोरेशन’ ने उन्हें ‘इंटरनेशनल आइकॉन ऑफ़ द डिकेड अवार्ड’ दिया
 
विवाद
 
लार्ड स्वराज पॉल का नाम ब्रिटेन के ‘सांसद व्यय घोटाले’ में आया था। इसके अंतर्गत सांसदों ने गलत ढंग से भत्ते का दावा किया था। सांसद व्यय घोटाले की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री गार्डन ब्राउन और  कंजरवेटिव नेता डेविड कैमरॉन समेत कई अन्य सांसदों को दावे की राशि का भुगतान करना पड़ा था।
 
हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की विशेषाधिकार और आचार की समिति ने इस मामले की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि: ” लॉर्ड पॉल ने असन्निष्ठा से या बदनीयती से काम नहीं किया था, हालांकि, उनके कृत्य पूरी तरह से अनुचित थे और उन्होंने लापरवाही और उपेक्षा का प्रदर्शन किया। इसलिए उन्हें हाउस द्वारा दंड दिया जाना चाहिए”।
 
1 नवम्बर 2010 में लार्ड स्वराज पॉल ने ‘हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स’ के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

12:22, 17 नवम्बर 2017 का अवतरण

जन्म : 17 सितम्बर, 1930 चेन्नई

निधन: 22 अप्रैल 2013, चेन्नई

कार्यक्षेत्र : कर्नाटक शैली के वायलिन वादक, गायक और संगीतकार

लालगुडी जयरामन अय्यर (अंग्रेजी: Lalgudi Jayaraman जन्म : 17 सितम्बर, 1930, निधन: 22 अप्रैल 2013, चेन्नई) एक प्रसिद्ध कर्नाटक शैली के वायलिन वादक, गायक और संगीतकार थे। अपने समृद्ध कल्पना, तीव्र अभिग्रहण क्षमता और कर्नाटक संगीत में अग्रणी संगीतज्ञों की व्यक्तिगत शैली को उनके साथ समारोह में जा कर आसानी से अपना लेने की अपनी क्षमता के चलते ये बहुत जल्द अग्रणी पंक्ति के संगीतज्ञ बन गए। संगीत समारोहों से मिले समृद्ध अनुभव के अलावा अपनी कड़ी मेहनत, लगन और अपने अन्दर उत्पन्न हो रहे संगीत के विचारों को मौलिक अभिव्यक्ति देने की दृढ़ इच्छा के बल पर ये दुर्लभ प्रतिभा के एकल वायलिन वादक के रूप में उभर कर आये।

इन्होंने समग्र रूप से वायलिन वादन की एक नई तकनीक को स्थापित किया, जिसे भारतीय शास्त्रीय संगीत की सर्वश्रेष्ठ अनुकूलता के लिए बनाया गया था, और एक अद्वितीय शैली को स्थापित किया, जिसे ‘लालगुडी बानी’ के रूप में जाना जाता है। इनकी सिद्ध और आकर्षक शैली, सुंदर और मौलिक थी जो कि पारंपरिक शैली से अलग नहीं थीं। इसके कारण इनके प्रशंसकों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही गई। इस बहुआयामी व्यक्तित्व सौंदर्य के कारण इन्हें कई कृतियों जैसे ‘तिलानस’, ‘वरनम’ और नृत्य रचना के निर्माण का श्रेय भी दिया गया, जिसमें राग, भाव, ताल और गीतात्मक सौन्दर्य का अद्भुत मिश्रण है। इन्होंने वायलिन में सबसे अधिक मांग वाली शैली को पेश किया और रचनाओं की गीतात्मक सामग्री का प्रस्तुतिकरण किया। ये ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने कर्नाटक शैली के वायलिन वादन को अंतर्राष्टीय ख्याति दिलवाई। साथ ही इन्होंने वर्ष 1996 में वायलिन, वेणु (बांसुरी) और वीणा के साथ को जोड़ने की एक नई अवधारणा की शुरूआत की और कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम (कंसर्ट) भी किए।

जीवन परिचय

श्री लालगुडी जयरामन अय्यर का जन्म 17 सितम्बर, 1930 को चेन्नई (तमिलनाडु) के महान संत संगीतकार त्यागराज के वंश में हुआ था। इन्होंने बहुमुखी प्रतिभा के धनी अपने दिवंगत पिता गोपाल अय्यर वी।आर। से कर्नाटक संगीत की शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता ने बड़ी कुशलता से इन्हें स्वयं प्रशिक्षित किया था। मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने एक वायलिन वादक के रूप में अपने संगीत कैरियर की शुरूआत की। लालगुडी जयरामन का विवाह श्रीमती राजलक्ष्मी से हुआ। इनके दो बच्चें हैं- इनके बेटे का नाम जी।जे।आर। कृष्णन है और इनकी बेटी का नाम लालगुडी विजयलक्ष्मी है। इनका बेटा और बेटी दोनों अपने महान पिता के नक्शे कदम पर आज भी चल रहे हैं और अपनी प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। आजकल की प्रसिद्ध वीणा वादक जयंती कुमारेश, लालगुडी की भतीजी हैं।

समकालीन अन्य संगीत विशेषज्ञों के साथ सम्बन्ध

गायकों के साथ संगत करने के लिए लालगुडी जयरामन की काफी मांग रहती थी और अरियाकुडी रामानुजा अयंगर, चेम्बई वैदीनाथ भागावतार, सेमांदगुड़ी श्रीनिवास अय्यर, जी।एन। बालासुब्रमण्यम, मदुरै मणि अय्यर, के।वी। नारायणस्वामी, महाराजापुरम संथानम, डी.के. जयरामन, एम। बाल मुरलीकृष्णा, टी.वी. संकर नारायणनन, टी.एन. शेष गोपालन और बांसुरी संगीतज्ञ जैसे एन. रमानी जैसे महान विशेषज्ञों और गायकों के साथ इन्होने काम किया।

देश-विदेश में संगीत कार्यक्रम

इन्होंने बड़े पैमाने पर भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अपने संगीत की प्रस्तुतियां दी। भारत सरकार ने इन्हें भारतीय सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य के रूप में रूस भेजा था। वर्ष 1965 में एडिनबर्ग त्योहार पर प्रसिद्ध वायलिनवादक येहुदी मेनुहिन इनके तकनीक से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इन्हें अपना इतालवी वायलिन भेंट किया था। साथ ही इन्होंने सिंगापुर, मलेशिया, मनीला और पूर्वी यूरोपीय देशों में अपना प्रदर्शन किया। वर्ष 1979 के दौरान इनकी नई दिल्ली आकाशवाणी में हुए रिकॉर्डिंग को अंतर्राष्ट्रीय संगीत परिषद्, बगदाद, एशियाई पैसिफिक रोस्ट्रम और इराक प्रसारण एजेंसी में इनके प्रस्तुत रिकॉर्डिंग को विभिन्न देशों से प्राप्त 77 प्रविष्टियों में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया। इन्होने बेल्जियम और फ्रांस के संगीत समारोह में भी अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

भारत सरकार ने अमेरिका एवं लंदन में ‘फेस्टिवल ऑफ इंडिया’ में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए इन्हें चुना और इन्होंने लंदन में ‘एकल’ और ‘जुगलबंदी’ कंसर्ट पेश किया और साथ ही जर्मनी और इटली में भी प्रस्तुति दी, जिसकी काफी प्रशंसा की गई थी। वर्ष 1984 में श्री लालगुडी ने ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और कतर का दौरा किया, जो अत्यधिक सफल रहा। इन्होंने ओपेरा बैले ‘जय जय देवी’ के गीत और संगीत की रचना की, जिसका प्रीमियर वर्ष 1994 में क्लीवलैंड (अमेरिका) में किया गया और संयुक्त राज्य के कई शहरों में इसे प्रदर्शित किया गया था। अक्टूबर, 1999 में लालगुडी ने श्रुथी लया संघम (इंस्टिट्यूट ऑफ फाइन आर्ट्स) के तत्वावधान में ब्रिटेन में अपने कला का प्रदर्शन किया था। यहां संगीत कार्यक्रम के बाद लालगुड़ी द्वारा रचित एक नृत्य नाटिका ‘पंचेस्वरम’ का मंचन भी किया गया था।

रचनाएं

‘थिलानस’ और ‘वरनम’ के लिए सबसे प्रसिद्ध श्री लालगुडी जयरामन को आधुनिक समय में सबसे सफल शाश्त्रीय संगीतकारों में से एक माना जाता है। इनकी रचनाएं चार भाषाओं (तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और संस्कृत) में हैं। वे राग के सभी क्षेत्रों में संगीत रचना करते थे। इनकी शैली की विशेषता है इनकी रचनाओं का माधुर्य, ध्यानपूर्वक सूक्ष्म तालबद्ध का परिष्कृत आलिंगन। इनकी रचनाएं भरतनाट्यम नृत्यांगनाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

पुरस्कार एवं सम्मान

  • इन्हें वर्ष 1963 में म्यूजिक लवर्स एसोसिएशन ऑफ लालगुडी द्वारा ‘नाद विद्या तिलक’ से सम्मानित किया गया।
  • भारती सोसायटी (न्यूयॉर्क) द्वारा इन्हें वर्ष 1971 में ‘विद्या संगीत कलारत्न’ से भी सम्मानित किया गया।
  • फेडेरेशन ऑफ म्यूजिक सभा (मद्रास) द्वारा ‘संगीत चूड़ामणि’ से इन्हें वर्ष 1971 में सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1972 में इन्हें भारत सरकार द्वारा अपने नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।
  • इन्हें ईस्ट वेस्ट एक्सचेंज (न्यूयॉर्क) द्वारा ‘नाद विद्या रत्नाकर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1979 में इन्हें तमिलनाडु सरकार और संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘स्टेट विद्वान’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1994 में इन्हें मैरीलैंड (अमेरिका) की मानद नागरिकता भी प्रदान की गयी।
  • वर्ष 2001 में इन्हें भारत सरकार द्वारा अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया।
  • इन्होंने वर्ष 2006 में फिल्म ‘श्रीनगरम’ में बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन के लिए ‘नेशनल फिल्म अवार्ड’ भी प्राप्त किया।
  • कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा इन्हें ‘फर्स्ट चौदइया मेमोरिएल-लेवल पुरस्कार’ भी दिया गया।
  • वर्ष 2010 में इन्हें संगीत नाटक अकादमी का सदस्य भी बनाया गया।