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-[[बीरबल]] | -[[बीरबल]] | ||
||[[अबुल फ़ज़ल]] शेख़ मुबारक़ नागौरी का द्वितीय पुत्र था। वह बहुत पढ़ा-लिखा और विद्वान् था और उसकी विद्वता का लोग आदर करते थे। अबुल फ़ज़ल रात्रि में दरवेशों के यहाँ जाते, उनमें अशर्फ़ियाँ बाँटते और अपने धर्म के लिए उनसे दुआ माँगते थे। वह बहुत वर्षों तक [[अकबर]] का विश्वासपात्र वज़ीर और सलाहकार रहा। वह केवल दरबारी और आला अफ़सर ही नहीं था, वरन् बड़ा विद्वान् था और उसने अनेक पुस्तकें भी लिखी थीं। उसकी [[आइना-ए-अकबरी]] में अकबर के साम्राज्य का विवरण मिलता है और अकबरनामा में उसने अकबर के समय का इतिहास लिखा है। उसका भाई [[फ़ैज़ी]] भी अकबर का दरबारी शायर था। '1602 ई. में [[बुन्देला]] राजा वीरसिंहदेव ने शहज़ादा [[सलीम]] के उकसाने से अबुल फ़ज़ल की हत्या कर डाली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अबुल फ़ज़ल]], [[सलीम]] | ||[[अबुल फ़ज़ल]] शेख़ मुबारक़ नागौरी का द्वितीय पुत्र था। वह बहुत पढ़ा-लिखा और विद्वान् था और उसकी विद्वता का लोग आदर करते थे। अबुल फ़ज़ल रात्रि में दरवेशों के यहाँ जाते, उनमें अशर्फ़ियाँ बाँटते और अपने धर्म के लिए उनसे दुआ माँगते थे। वह बहुत वर्षों तक [[अकबर]] का विश्वासपात्र वज़ीर और सलाहकार रहा। वह केवल दरबारी और आला अफ़सर ही नहीं था, वरन् बड़ा विद्वान् था और उसने अनेक पुस्तकें भी लिखी थीं। उसकी [[आइना-ए-अकबरी]] में अकबर के साम्राज्य का विवरण मिलता है और अकबरनामा में उसने अकबर के समय का इतिहास लिखा है। उसका भाई [[फ़ैज़ी]] भी अकबर का दरबारी शायर था। '1602 ई. में [[बुन्देला]] राजा वीरसिंहदेव ने शहज़ादा [[सलीम]] के उकसाने से अबुल फ़ज़ल की हत्या कर डाली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अबुल फ़ज़ल]], [[सलीम]] | ||
{निम्नलिखित में किसने अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर यूनियन/एसोसिएशन ([[1918]]) की स्थापना की? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-90,प्रश्न-92 | {निम्नलिखित में किसने अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर यूनियन/एसोसिएशन ([[1918]]) की स्थापना की? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-90,प्रश्न-92 | ||
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-[[जे. बी. कृपलानी]] | -[[जे. बी. कृपलानी]] | ||
+[[महात्मा गाँधी]] | +[[महात्मा गाँधी]] | ||
||[[महात्मा गाँधी]] को [[ब्रिटिश शासन]] के ख़िलाफ़ [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]] का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। मोहनदास करमचंद गाँधी [[भारत]] एवं [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। '[[साबरमती आश्रम]]' से उनका अटूट रिश्ता था। इस आश्रम से महात्मा गाँधी आजीवन जुड़े रहे, इसीलिए उन्हें 'साबरमती का संत' की उपाधि भी मिली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महात्मा गाँधी]] | |||
{किस वायसराय के शासनकाल में पहला 'फ़ैक्ट्री अधिनियम' पारित किया गया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-87,प्रश्न-06 | |||
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-[[लॉर्ड कर्ज़न]] | |||
-[[लॉर्ड लिटन]] | |||
+[[लॉर्ड रिपन]] | |||
-[[लॉर्ड कैनिंग]] | |||
||[[लॉर्ड रिपन]] का पूरा नाम 'जॉर्ज फ़्रेडरिक सैमुअल राबिन्सन' था। यह [[1880]] ई. में [[लॉर्ड लिटन प्रथम]] के बाद [[भारत]] के [[वायसराय]] बनकर आये थे। अपने से पहले आये सभी वायसरायों की तुलना में यह अधिक उदार थे। लॉर्ड रिपन के समय में भारत एक तरफ धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक जागरण की स्थिति से गुज़र रहा था, वहीं दूसरी ओर लिटन प्रथम के कार्यों से भारतीय जनता कराह रही थी। प्रथम फ़ैक्ट्री अधिनियम, 1881 ई. रिपन द्वारा ही लाया गया। अधिनियम के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई कि, जिस कारखाने में सौ से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं, वहाँ पर 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे काम नहीं कर सकेंगे। 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए काम करने के लिए घण्टे तय कर दिये गये और इस क़ानून के पालन के लिए एक निरीक्षक को नियुक्त कर दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लॉर्ड रिपन]] | |||
{[[छोटा नागपुर]] में जनजाति विद्रोह कब हुआ था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-87,प्रश्न-29 | |||
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-1808-09 ई. | |||
+1820 ई. | |||
-1858-59 ई. | |||
-1889 ई. | |||
||[[छोटा नागपुर]] [[भारत]] में स्थित एक पठार है जिसका ज़्यादातर हिस्सा [[झारखंड]] और कुछ हिस्से [[उड़ीसा]], [[बिहार]] और [[छत्तीसगढ़]] में फैले हुये हैं। यह पठार पूर्व कैंब्रियन युगीन (5,4000,000, वर्ष से भी अधिक पुरानी) चट्टानों से बना है। [[रांची]], [[हज़ारीबाग़]] और कोडरमा के पठारों का संयुक्त नाम ही छोटा नागपुर है। इसकी मुख्य विशेषताओं में से एक 'पाट भूमि' है। इसे 'भारत का रूर' भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ संसाधनों की प्रचुरता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[छोटा नागपुर]] | |||
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11:23, 6 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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