"प्रयोग:रिंकू4": अवतरणों में अंतर
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{'[[काकोरी कांड|काकोरी ट्रेन डकैती कांड]]' के नायक कौन थे? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-102,प्रश्न-20 | {'[[काकोरी कांड|काकोरी ट्रेन डकैती कांड]]' के नायक कौन थे? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-102,प्रश्न-20 | ||
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-[[बटुकेश्वर दत्त]] | -[[बटुकेश्वर दत्त]] | ||
-बरकतुल्ला | -बरकतुल्ला | ||
||[[राम प्रसाद बिस्मिल]] के नेतृत्व में 10 लोगों ने सुनियोजित कार्रवाई के तहत यह कार्य करने की योजना बनाई। [[9 अगस्त]], [[1925]] को लखनऊ के काकोरी नामक स्थान पर देशभक्तों ने रेल विभाग की ले जाई जा रही संग्रहीत धनराशि को लूटा। उन्होंने ट्रेन के गार्ड को बंदूक की नोक पर काबू कर लिया। गार्ड के डिब्बे में लोहे की तिज़ोरी को तोड़कर आक्रमणकारी दल चार हज़ार रुपये लेकर फरार हो गए। इस डकैती में [[अशफाक उल्ला खाँ|अशफाकउल्ला]], [[चन्द्रशेखर आज़ाद]], [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी|राजेन्द्र लाहिड़ी]], [[सचीन्द्र सान्याल]], [[मन्मथनाथ गुप्त]], राम प्रसाद बिस्मिल आदि शामिल थे। काकोरी षड्यंत्र मुक़दमे ने काफ़ी लोगों का ध्यान खींचा। इसके कारण देश का राजनीतिक वातावरण आवेशित हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[काकोरी काण्ड]], [[राम प्रसाद बिस्मिल]] | |||
{[[गांधीजी]] की [[मृत्यु]] पर किसने कहा, कि "हमारे जीवन से प्रकाश चला गया"? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-98 | {[[गांधीजी]] की [[मृत्यु]] पर किसने कहा, कि "हमारे जीवन से प्रकाश चला गया"? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-98 | ||
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+[[जवाहरलाल नेहरू]] | +[[जवाहरलाल नेहरू]] | ||
{ | {[[बारींद्र कुमार घोष|बारीन्द्र कुमार घोष]] के क्रियाकलापों ने एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन को [[बंगाल]] में जन्म दिया, उसका क्या नाम था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-100,प्रश्न-54 | ||
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+अनुशीलन समिति | +[[अनुशीलन समिति]] | ||
-स्वदेशी बांधव समिति | -स्वदेशी बांधव समिति | ||
-व्रती समिति | -व्रती समिति | ||
-साधना समाज | -साधना समाज | ||
||[[बारीन्द्र कुमार घोष]] और [[भूपेन्द्रनाथ दत्त]] के सहयोग से [[1907]] में [[कलकत्ता]] में '[[अनुशीलन समिति]]' का गठन किया गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य था- "खून के बदले खून।" [[1905]] के [[बंगाल विभाजन]] ने युवाओं को आंदोलित कर दिया था, जो की अनुशीलन समिति की स्थापना के पीछे एक प्रमुख वजह थी। इस समिति का जन्म [[1903]] में ही एक व्यायामशाला के रूप में हो गया था और इसकी स्थापना में प्रमथनाथ मित्र और सतीश चन्द्र बोस का प्रमुख योगदान था। [[एम. एन. राय]] के सुझाव पर इसका नाम अनुशीलन समिति रखा गया। प्रमथनाथ मित्र इसके अध्यक्ष, [[चितरंजन दास]] व [[अरविन्द घोष]] इसके उपाध्यक्ष और सुरेन्द्रनाथ ठाकुर इसके कोषाध्यक्ष थे। इसकी कार्यकारिणी की एकमात्र शिष्य [[सिस्टर निवेदिता]] थीं। [[1906]] में इसका पहला सम्मलेन कलकत्ता में सुबोध मालिक के घर पर हुआ। बारीन्द्र कुमार घोष जैसे लोगों का मानना था की सिर्फ राजनीतिक प्रचार ही काफ़ी नहीं है, नौजवानों को आध्यात्मिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए। उन्होंने अनेक जोशीले नौजवानों को तैयार किया जो लोगों को बताते थे कि स्वतंत्रता के लिए लड़ना पावन कर्तव्य है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बारीन्द्र कुमार घोष]], [[अनुशीलन समिति]] | |||
{[[भारतीय इतिहास]] में [[1912]] का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है? | |||
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-[[महात्मा गाँधी]] की मृत्यु | |||
-[[बंगाल विभाजन]] | |||
+राजधानी का [[कोलकाता]] से [[दिल्ली]] स्थानांतरण | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के साथ [[इंडियन एसोसिएशन]] का विलय कब हुआ था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-97,प्रश्न-49 | {[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के साथ [[इंडियन एसोसिएशन]] का विलय कब हुआ था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-97,प्रश्न-49 | ||
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-[[1895]] ई. | -[[1895]] ई. | ||
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-[[गुरदयाल सिंह ढिल्लों]] | -[[गुरदयाल सिंह ढिल्लों]] | ||
-शाहनवाज ख़ाँ | -शाहनवाज ख़ाँ | ||
-जनरल मोहन सिंह | -[[कैप्टन मोहन सिंह|जनरल मोहन सिंह]] | ||
+[[आर. सी. दत्त]] | +[[आर. सी. दत्त]] | ||
||[[आज़ाद हिन्द फ़ौज]] या 'इंडियन नेशनल आर्मी' का गठन [[1942]] ई. में किया गया था। 28-30 मार्च, 1942 ई. को टोक्यो ([[जापान]]) में रह रहे भारतीय [[रासबिहारी बोस]] ने 'इण्डियन नेशनल आर्मी' (आज़ाद हिन्द फ़ौज) के गठन पर विचार के लिए एक सम्मेलन बुलाया। [[कैप्टन मोहन सिंह]], रासबिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल के सहयोग से 'इण्डियन नेशनल आर्मी' का गठन किया गया। 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' की स्थापना का विचार सर्वप्रथम मोहन सिंह के मन में आया था। इसी बीच विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिए 'इंडियन इंडिपेंडेंस लीग' की स्थापना की गई, जिसका प्रथम सम्मेलन [[जून]] 1942 ई, को बैंकॉक में हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[आज़ाद हिन्द फ़ौज]], [[कैप्टन मोहन सिंह]], [[गुरदयाल सिंह ढिल्लों]] | |||
{[[भारत]] में '[[ग्रांड ट्रक रोड|ग्रांड ट्रक रोड]]' किसने बनबाया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-5 | {[[भारत]] में '[[ग्रांड ट्रक रोड|ग्रांड ट्रक रोड]]' किसने बनबाया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-5 | ||
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-[[अशोक]] | -[[अशोक]] | ||
+[[शेरशाह]] | +[[शेरशाह]] | ||
-[[अकबर]] | -[[अकबर]] | ||
-[[हुमायूँ]] ने | -[[हुमायूँ]] | ||
||[[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]]- यह मार्ग पुराने समय में 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था, आजकल इस सड़क को 'The Grand Trunk Road / ग्रैंड ट्रंक रोड / जी. टी. रोड' के नाम से जाना जाता है। इस सड़क को 'सड़के-ए-आज़म' या 'बादशाही सड़क' के नाम से भी जाना जाता है। सोलहवीं शताब्दी में [[दिल्ली]] के सुल्तान [[शेरशाह सूरी]] ने इसे पक्का करवाया। शेरशाह सूरी पहला बादशाह था, जिसने [[बंगाल]] के सोनागाँव से [[सिंध प्रांत]] तक दो हज़ार मील लम्बी पक्की सड़क बनवाई थी। इस सड़क पर घुड़सवारों द्वारा डाक लाने ले जाने की व्यवस्था थी। यह मार्ग उस समय 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था। [[बंगाल]] से पेशावर तक की यह सड़क 500 कोस<ref>शुद्ध= क्रोश</ref> या 2500 किलोमीटर लम्बी थी। शेरशाह ने 1542 ई. में इसका निर्माण कराया था। दूरी नापने के लिए जगह-जगह पत्थर लगवाए, छायादार वृक्ष लगवाए, राहगीरों के लिए सरायें बनवाईं और चुंगी की व्यवस्था की। ग्रैण्ड ट्रंक रोड [[कोलकाता]] से [[पेशावर]]<ref> पाकिस्तान</ref> तक लंबी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]], [[शेरशाह सूरी]] | |||
{[[शेरशाह]] की महानता का द्योतक क्या है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-19 | {[[शेरशाह]] की महानता का द्योतक क्या है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-19 | ||
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-धार्मिक सहिष्णुता | -धार्मिक सहिष्णुता | ||
{[[अकबर]] के समय मुग़ल सूबों (प्रांतों) की संख्या 15 | {[[अकबर]] के समय मुग़ल सूबों (प्रांतों) की संख्या 15 थी। वह [[औरंगज़ेब]] के समय बढ़कर कितनी हो गई? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-188 | ||
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{[[1908]] में [[बाल गंगाधर तिलक]] को जेल की | {[[1908]] में [[बाल गंगाधर तिलक]] को जेल की सज़ा दिए जाने पर कहाँ के मजदूरों ने [[भारत]] की पहली राजनीतिक हड़ताल की? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-91,प्रश्न-94 | ||
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+[[बंबई]] | +[[बंबई]] |
11:44, 8 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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