"फ़ारूक़ अब्दुल्ला": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
फ़ारूक़ अब्दुल्ला का जन्म 21 अक्टूबर, 1937 को भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हुआ था। उनके पिता शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला भी सक्रिय राजनीति में रहे थे। फ़ारूक़ अब्दुल्ला तीन बार जम्मू-कश्मीर राज्य के [[मुख्यमंत्री]] रहे। सबसे पहले [[1982]]-[[1984]] तक, दूसरी बार [[1986]]-[[1990]] तक और तीसरी बार [[1996]]-[[2002]] तक। वह सबसे पहले मुख्यमंत्री अपने पिता की मृत्यु पर बने थे।
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==अच्छे वक्ता==
फ़ारूक़ अब्दुल्ला को एक अच्छे वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है। उनकी पार्टी [[भारतीय संविधान]] में [[कश्मीर]] की स्वायत्ता के पक्ष में है तथा नियंत्रण रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा निर्धारित करने की वकालत करती है। फ़ारूक़ अब्दुल्ला दिल्ली गोल्फ क्लब, रॉयल स्प्रिंग गोल्फ कोर्स, कश्मीर एंड सेंट एंडयू स्कॉटलैंड गोल्फ क्लब के सदस्य हैं। वह जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ के भी अध्यक्ष रहे।


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==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://hindi.oneindia.com/politicians/farooq-abdullah-33455.html फारूक अब्दुल्ला, जीवनी]
==संबंधित लेख==
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फ़ारूक़ अब्दुल्ला
फ़ारूक़ अब्दुल्ला
फ़ारूक़ अब्दुल्ला
पूरा नाम फ़ारूक़ अब्दुल्ला
जन्म 21 अक्टूबर, 1937
जन्म भूमि श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर
अभिभावक पिता- शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला, माता- अकबर जहां बेगम
पति/पत्नी मोली अब्दुल्ला
संतान पुत्र- उमर अब्दुल्ला, पुत्री- साफिया अब्दुल्ला, हिना अब्दुल्ला, सारा पायलट
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस
पद मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर राज्य
कार्य काल प्रथम- 8 सितम्बर, 1982 से 2 जुलाई, 1984

द्वितीय- 7 नवम्बर, 1986 से 19 जनवरी, 1990
तृतीय- 9 अक्टूबर, 1996 से 18 अक्टूबर, 2002

शिक्षा बैचलर ऑफ़ मेडिसिन एण्ड बैचलर ऑफ़ सर्जरी
अन्य जानकारी अगस्त 1981 में फ़ारूक़ अब्दुल्ला को नेशनल कांफ्रेंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनके पिता शेख अब्दुल्ला एक राष्ट्रीय नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे।
अद्यतन‎

फ़ारूक़ अब्दुल्ला (अंग्रेज़ी: Farooq Abdullah, जन्म- 21 अक्टूबर, 1937, श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर) भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के एक प्रसिद्ध राजनेता हैं। वह जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वे केंद्र सरकार में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री भी रह चुके हैं। वह शेख़ अब्दुल्ला के पुत्र हैं, जो नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के दिग्गज नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री थे। उमर अब्दुल्ला फ़ारूक़ अब्दुल्ला के पुत्र हैं। फ़ारूक़ अब्दुल्ला सातवीं और पन्द्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।

परिचय

फ़ारूक़ अब्दुल्ला का जन्म 21 अक्टूबर, 1937 को भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हुआ था। उनके पिता शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला भी सक्रिय राजनीति में रहे थे। फ़ारूक़ अब्दुल्ला तीन बार जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहे। सबसे पहले 1982-1984 तक, दूसरी बार 1986-1990 तक और तीसरी बार 1996-2002 तक। वह सबसे पहले मुख्यमंत्री अपने पिता की मृत्यु पर बने थे।

प्रारम्भिक जीवन

फ़ारूक़ अब्दुल्ला, शेख़ अब्दुल्ला के पुत्र हैं जो कश्मीर के प्रख्यात राष्ट्रवादी नेता थे। उन्होंने 1930 तथा 1940 के दशक में जम्मू-कश्मीर में सामंत डोगरा शासन को समाप्त करने के लिए लगातार काम किया। फ़ारूक़ अब्दुल्ला की पढ़ाई श्रीनगर में शेखबाग (लाल चौक) स्थित सी.एम.एस. ट्रायंडले बिस्कोए स्कूल में हुई। उनकी मां का नाम अकबर जहां बेगम था। उन्होंने राजस्थान के जयपुर में एस.एम.एस. मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. की डिग्री लेकर स्नातक की पढ़ाई पूरी की।[1]

राजनीतिक घटनाक्रम

अगस्त 1981 में फ़ारूक़ अब्दुल्ला को नेशनल कांफ्रेंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह कई बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उनके पिता शेख अब्दुल्ला एक राष्ट्रीय नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद फ़ारूक़ इंग्लैंड चले गए, जहां डॉक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। यहां उनकी घनिष्ठता एक ब्रिटिश नागरिक नर्स मॉली से हुई, जिससे उन्होंने शादी कर ली। सन 1987 में जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया। इस वक्त जम्मू-कश्मीर के लोगों की चिंता के कई कारण थे। बेरोजगारी और आतंकवाद हावी था, जिस पर नियंत्रण करने में फ़ारूक़ अब्दुल्ला असफल साबित हुए। हजारों धार्मिक अल्पसंख्यक घाटी छोड़कर चले गए। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे।

सन 1987 में जब उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की, तब कांग्रेस ने भी उन पर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया। इस अवधि के दौरान उग्रवाद चरम पर पहुंच गया और प्रशिक्षित उग्रवादियों ने भारत से पाकिस्तान तक अपना रास्ता बना लिया। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री की पुत्री का अपहरण हो गया। इसके चलते अब्दुल्ला सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और राज्य में फिर से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 1982 से 1984 के बीच उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान राज्यपाल जगमोहन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया, लेकिन कांग्रेस के साथ बातचीत करके वह 1986 में वापस सत्ता में आए। वर्ष 2002 में उनकी सरकार चुनाव में मुफ़्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली आई.एन.सी.-पी.डी.पी. गठबंधन से हार गई।

अच्छे वक्ता

फ़ारूक़ अब्दुल्ला को एक अच्छे वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है। उनकी पार्टी भारतीय संविधान में कश्मीर की स्वायत्ता के पक्ष में है तथा नियंत्रण रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा निर्धारित करने की वकालत करती है। फ़ारूक़ अब्दुल्ला दिल्ली गोल्फ क्लब, रॉयल स्प्रिंग गोल्फ कोर्स, कश्मीर एंड सेंट एंडयू स्कॉटलैंड गोल्फ क्लब के सदस्य हैं। वह जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ के भी अध्यक्ष रहे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. फारूक अब्दुल्ला-राजनेता (हिंदी) इट्स हिंदी। अभिगमन तिथि: 25 दिसम्बर, 2019।

बाहरी कड़ियाँ

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