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आचार्य अजितसेन

  • ये भी वि. सं. 18वीं शती के तार्किक हैं।
  • इन्होंने 'परीक्षामुख' पर 'न्यायमणिदीपिका' नाम की व्याख्या लिखी है, जो उसकी पाँचवीं टीका है।
  • इसका उल्लेख चारुकीर्ति ने 'प्रमेयरत्नालंकार[1] में किया है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्रमेयरत्नालंकार,पृ0 181

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