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'''जैंतिया''' [[भारतीय इतिहास]] में [[पूर्वोत्तर भारत]] के [[असम]] में एक राज्य था, जो अब [[बांग्लादेश]] और [[भारत]] के बीच अत्तरी सीमा पर [[जैंतिया पहाड़ियाँ|जैंतिया पर्वत शृंखला]] से असम के मैदानों में कालोंग नदी तक विस्तृत है। यहाँ के लोग [[खासी जाति|खासी]] मूल के थे।
'''जैंतिया''' [[भारतीय इतिहास]] में [[पूर्वोत्तर भारत]] के [[असम]] में एक राज्य था, जो अब [[बांग्लादेश]] और [[भारत]] के बीच अत्तरी सीमा पर [[जैंतिया पहाड़ियाँ|जैंतिया पर्वत श्रृंखला]] से असम के मैदानों में कालोंग नदी तक विस्तृत है। यहाँ के लोग [[खासी जाति|खासी]] मूल के थे।
==इतिहास==
==इतिहास==
1824 में [[बर्मा]] द्वारा आक्रमण किए जाने पर वहाँ का राजा ब्रिटिश सत्ता के साथ मिल गया, जिसने 1832 में उसका राज्य हथिया लिया था। वहाँ बंगाली व्यापारी तथा यूरोपीय चाय उत्पादक पहुंचे, जिससे तनाव पैदा हुआ और 1862 में विद्रोह भड़क उठा। इसे कठोर सैनिक कार्यवाही द्वारा कुचल दिया गया। इस क्रूर अभियान के लिए भारत में ब्रिटिश अधिकारियों की भारी आलोचना हुई।
1824 में [[बर्मा]] द्वारा आक्रमण किए जाने पर वहाँ का राजा ब्रिटिश सत्ता के साथ मिल गया, जिसने 1832 में उसका राज्य हथिया लिया था। वहाँ बंगाली व्यापारी तथा यूरोपीय चाय उत्पादक पहुंचे, जिससे तनाव पैदा हुआ और 1862 में विद्रोह भड़क उठा। इसे कठोर सैनिक कार्यवाही द्वारा कुचल दिया गया। इस क्रूर अभियान के लिए भारत में ब्रिटिश अधिकारियों की भारी आलोचना हुई।

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जैंतिया भारतीय इतिहास में पूर्वोत्तर भारत के असम में एक राज्य था, जो अब बांग्लादेश और भारत के बीच अत्तरी सीमा पर जैंतिया पर्वत श्रृंखला से असम के मैदानों में कालोंग नदी तक विस्तृत है। यहाँ के लोग खासी मूल के थे।

इतिहास

1824 में बर्मा द्वारा आक्रमण किए जाने पर वहाँ का राजा ब्रिटिश सत्ता के साथ मिल गया, जिसने 1832 में उसका राज्य हथिया लिया था। वहाँ बंगाली व्यापारी तथा यूरोपीय चाय उत्पादक पहुंचे, जिससे तनाव पैदा हुआ और 1862 में विद्रोह भड़क उठा। इसे कठोर सैनिक कार्यवाही द्वारा कुचल दिया गया। इस क्रूर अभियान के लिए भारत में ब्रिटिश अधिकारियों की भारी आलोचना हुई।


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