"सूर्य तुल्यकालिक कक्षा": अवतरणों में अंतर
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*इस कक्षा में उपग्रह उत्तर से दक्षिण की ओर प्रक्षेपित किया जाता है, जिससे यह सदैव प्रत्येक चक्र में पृथ्वी का नया भाग संवेदन के लिए प्राप्त करता है। | *इस कक्षा में उपग्रह उत्तर से दक्षिण की ओर प्रक्षेपित किया जाता है, जिससे यह सदैव प्रत्येक चक्र में पृथ्वी का नया भाग संवेदन के लिए प्राप्त करता है। | ||
*सूर्य तुल्यकालिक कक्षा को अपनाने का लाभ यह है कि किसी स्थान पर कोई उपग्रह जिस समय उपस्थित होता है, तब अगली बार भी वह ठीक उसी स्थान पर व उसी समय आएगा। | *सूर्य तुल्यकालिक कक्षा को अपनाने का लाभ यह है कि किसी स्थान पर कोई उपग्रह जिस समय उपस्थित होता है, तब अगली बार भी वह ठीक उसी स्थान पर व उसी समय आएगा। | ||
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11:18, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
सूर्य तुल्यकालिक कक्षा निम्न भू-कक्षा का एक प्रकार है, जो पृथ्वी से 1000 किमी की ऊँचाई पर स्थित होती है।
- इस कक्षा में उपग्रह उत्तर से दक्षिण की ओर प्रक्षेपित किया जाता है, जिससे यह सदैव प्रत्येक चक्र में पृथ्वी का नया भाग संवेदन के लिए प्राप्त करता है।
- सूर्य तुल्यकालिक कक्षा को अपनाने का लाभ यह है कि किसी स्थान पर कोई उपग्रह जिस समय उपस्थित होता है, तब अगली बार भी वह ठीक उसी स्थान पर व उसी समय आएगा।
- आई.आर.एस. श्रृंखला के उपग्रह इसी कक्षा में स्थापित किये जाते हैं।
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