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'''राममूर्ति त्रिपाठी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rammurti Tripathi'', जन्म- [[4 जनवरी]], [[1929]]) [[हिन्दी]] एवं [[संस्कृत]] के विद्वान एवं समालोचक थे। वे सागर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे थे। [[विक्रम विश्वविद्यालय]] में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे तथा कई विश्वविद्यालयों के अतिथि शिक्षक भी रहे। वे शब्द शक्ति एवं रस विचार के अप्रतिम व्याख्याकार थे।<br /> | '''राममूर्ति त्रिपाठी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rammurti Tripathi'', जन्म- [[4 जनवरी]], [[1929]]) [[हिन्दी]] एवं [[संस्कृत]] के विद्वान एवं समालोचक थे। वे सागर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे थे। [[विक्रम विश्वविद्यालय]] में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे तथा कई विश्वविद्यालयों के अतिथि शिक्षक भी रहे। वे शब्द शक्ति एवं रस विचार के अप्रतिम व्याख्याकार थे।<br /> | ||
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राममूर्ति त्रिपाठी (अंग्रेज़ी: Rammurti Tripathi, जन्म- 4 जनवरी, 1929) हिन्दी एवं संस्कृत के विद्वान एवं समालोचक थे। वे सागर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे थे। विक्रम विश्वविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे तथा कई विश्वविद्यालयों के अतिथि शिक्षक भी रहे। वे शब्द शक्ति एवं रस विचार के अप्रतिम व्याख्याकार थे।
- राममूर्ति त्रिपाठी का जन्म 4 जरवरी, 1929 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक छोटे-से गाँव में हुआ था।
- उन्होने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए. एवं पी-एच.डी की डिग्री हासिल की।
- वह विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष पद पर भी रहे।
- उनकी प्रकाशित कृतियाँ- व्यंजना और नवीन कविता, भारतीय साहित्य दर्शन, औचित्य विमर्श, रस विमर्श, साहित्यशास्त्र के प्रमुख पक्ष, लक्षणा और उसका हिन्दी काव्य में प्रसार तथा रहस्यवाद आदि हैं।
- वर्ष 2001 में उन्हें अपनी कृति 'श्रीगुरु महिमा' के लिये 'मूर्ति देवी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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