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'''हितकारिणी सभा''' [[जबलपुर]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक ऐतिहासिक, शैक्षणिक संस्था है। यह संस्था इस क्षेत्र के कुछ सबसे पुराने शिक्षण संस्थान संचालित करती है। इसकी स्थापना सन [[1868]] में राज बलवन्त राव खेर, दीवान बिहारीलाल खजांची तथा अम्बिका चरण बनर्जी ने की थी। [[रविशंकर शुक्ल]], [[आचार्य रजनीश|रजनीश]], महर्षि महेश योगी, [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध'|गजानन माधव मुक्तिबोध]] आदि विद्वान इस सभा द्वारा संचालित संस्थाओं से ही निखरे थे।<br /> | '''हितकारिणी सभा''' [[जबलपुर]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक ऐतिहासिक, शैक्षणिक संस्था है। यह संस्था इस क्षेत्र के कुछ सबसे पुराने शिक्षण संस्थान संचालित करती है। इसकी स्थापना सन [[1868]] में राज बलवन्त राव खेर, दीवान बिहारीलाल खजांची तथा अम्बिका चरण बनर्जी ने की थी। [[रविशंकर शुक्ल]], [[आचार्य रजनीश|रजनीश]], महर्षि महेश योगी, [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध'|गजानन माधव मुक्तिबोध]] आदि विद्वान इस सभा द्वारा संचालित संस्थाओं से ही निखरे थे।<br /> | ||
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हितकारिणी सभा | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- हितकारिणी सभा (बहुविकल्पी) |
हितकारिणी सभा जबलपुर, मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐतिहासिक, शैक्षणिक संस्था है। यह संस्था इस क्षेत्र के कुछ सबसे पुराने शिक्षण संस्थान संचालित करती है। इसकी स्थापना सन 1868 में राज बलवन्त राव खेर, दीवान बिहारीलाल खजांची तथा अम्बिका चरण बनर्जी ने की थी। रविशंकर शुक्ल, रजनीश, महर्षि महेश योगी, गजानन माधव मुक्तिबोध आदि विद्वान इस सभा द्वारा संचालित संस्थाओं से ही निखरे थे।
- सेठ गोविन्ददास के अनुरोध पर हितकारिणी सभा ने राष्ट्रवादी विचारों को पोषण देना आरम्भ किया था।
- सभा द्वारा संचालित विद्यालयों के विद्यार्थियों ने स्वराज आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
- इस सभा ने हिन्दी के विकास में महती भूमिका निभायी थी।
- सन 1871 में हुई एक बैठक में हितकारिणी सभा ने न्यायालयों में प्रयुक्त भाषा के प्रश्न पर विचार किया। दस में से आठ सदस्यों ने माना कि इस कार्य के लिये उर्दू की अपेक्षा हिन्दी अधिक उपयुक्त है।
- हितकारिणी सभा ने कुछ समय तक एक साहित्यिक पत्रिका का भी प्रकाशन किया तथा प्रमुख हिन्दी लेखकों के सम्मेलन भी आयोजित किये।
- सेठ गोविन्ददास इस सभा के ट्रस्टी थे। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस सभा की सेवा करते रहे हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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