"इतिहास सामान्य ज्ञान 57": अवतरणों में अंतर

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{[[हड़प्पा सभ्यता]] की मुद्राएँ किससे निर्मित की जाती थीं?
{[[हड़प्पा सभ्यता]] की मुद्राएँ किस धातु से निर्मित की जाती थीं?
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-[[ताँबा]]
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+[[मिट्टी]]
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-[[काँस्य]]
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||[[चित्र:Indus-Valley-Civilization-Pottery.jpg|right|100px|हड़प्पा सभ्यता के बर्तन]]'हड़प्पा सभ्यता' के [[अवशेष]] [[पाकिस्तान]] और [[भारत]] के [[पंजाब]], [[सिंध]], [[गुजरात]], [[राजस्थान]], [[हरियाणा]], पश्चिमी [[उत्तर प्रदेश]], [[जम्मू-कश्मीर]] के भागों में पाये जा चुके हैं। इस सभ्यता का फैलाव उत्तर में [[जम्मू]] के 'मांदा' से लेकर दक्षिण में [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] के मुहाने भगतराव तक और पश्चिमी में [[मकरान]] समुद्र तट पर [[सुत्कागेनडोर]] से लेकर पूर्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में [[मेरठ]] तक है। [[हड़प्पा सभ्यता]] का काल निर्धारण मुख्य रूप से [[मेसोपोटामिया]] में 'उर' और 'किश' स्थलों पर पाए गए हड़प्पाई मुद्राओं के आधार पर किया गया था। इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयास जॉन मार्शल का रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हड़प्पा सभ्यता]]
||[[चित्र:Indus-Valley-Civilization-Pottery.jpg|right|100px|हड़प्पा सभ्यता के बर्तन]]'हड़प्पा सभ्यता' के [[अवशेष]] [[पाकिस्तान]] और [[भारत]] के [[पंजाब]], [[सिंध]], [[गुजरात]], [[राजस्थान]], [[हरियाणा]], पश्चिमी [[उत्तर प्रदेश]], [[जम्मू-कश्मीर]] के भागों में पाये जा चुके हैं। इस सभ्यता का फैलाव उत्तर में [[जम्मू]] के 'मांदा' से लेकर दक्षिण में [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] के मुहाने भगतराव तक और पश्चिमी में [[मकरान]] समुद्र तट पर [[सुत्कागेनडोर]] से लेकर पूर्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में [[मेरठ]] तक है। [[हड़प्पा सभ्यता]] का काल निर्धारण मुख्य रूप से [[मेसोपोटामिया]] में 'उर' और 'किश' स्थलों पर पाए गए हड़प्पाई मुद्राओं के आधार पर किया गया था। इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयास जॉन मार्शल का रहा। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[हड़प्पा सभ्यता]]


{[[सुरकोटदा]] किसलिए प्रसिद्ध है?
{[[सुरकोटदा]] किसलिए प्रसिद्ध है?
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-युगल शवाधान के लिए
-युगल शवाधान के लिए
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||[[चित्र:Surkotada.jpg|right|110px|सुरकोटदा]]'सुरकोटदा' या 'सुरकोटडा' [[भारत]] में [[गुजरात]] के [[कच्छ ज़िला|कच्छ ज़िले]] में स्थित है। इस स्थल से [[हड़प्पा सभ्यता]] के विस्तार के प्रमाण मिले हैं। [[सुरकोटदा]] की खोज [[1964]] में जगपति जोशी ने की थी। इस स्थल से [[सिंधु सभ्यता]] के पतन के [[अवशेष]] परिलक्षित होते हैं। यहाँ से प्राप्त होने वाले अवशेषों में महत्त्वपूर्ण हैं- घोड़े की अस्थियाँ एवं एक अनोखी क़ब्रगाह। यहाँ पर एक क़ब्र बड़े आकार की शिला से ढंकी हुई मिली है। यह क़ब्र अभी तक ज्ञात सैंधव शव-विसर्जन परम्परा में सर्वथा नवीन प्रकार की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुरकोटदा]]
||[[चित्र:Surkotada.jpg|right|110px|सुरकोटदा]]'सुरकोटदा' या 'सुरकोटडा' [[भारत]] में [[गुजरात]] के [[कच्छ ज़िला|कच्छ ज़िले]] में स्थित है। इस स्थल से [[हड़प्पा सभ्यता]] के विस्तार के प्रमाण मिले हैं। [[सुरकोटदा]] की खोज [[1964]] में जगपति जोशी ने की थी। इस स्थल से [[सिंधु सभ्यता]] के पतन के [[अवशेष]] परिलक्षित होते हैं। यहाँ से प्राप्त होने वाले अवशेषों में महत्त्वपूर्ण हैं- घोड़े की अस्थियाँ एवं एक अनोखी क़ब्रगाह। यहाँ पर एक क़ब्र बड़े आकार की शिला से ढंकी हुई मिली है। यह क़ब्र अभी तक ज्ञात सैंधव शव-विसर्जन परम्परा में सर्वथा नवीन प्रकार की है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[सुरकोटदा]]


{[[हड़प्पा सभ्यता]] की दो सबसे महत्त्वपूर्ण फसलें कौन-सी थीं?
{[[हड़प्पा सभ्यता]] की दो सबसे महत्त्वपूर्ण फसलें कौन-सी थीं?
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-[[धान]] और [[मटर]]
-[[धान]] और [[मटर]]
-[[कपास]] और [[गन्ना]]
-[[कपास]] और [[गन्ना]]
||[[चित्र:Wheat-1.jpg|right|110px|गेहूँ]]गेहूँ विश्वव्यापी महत्त्व की फ़सल है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से [[एशिया]] में [[धान]] की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में [[गेहूँ]] उगाया जाता है। [[भारत]] में [[चावल]] के बाद गेहूँ दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। देश के कुल 10% भाग पर गेहूँ की [[कृषि]] की जाती है, किंतु चावल की अपेक्षा इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 2500 किलोग्राम अधिक है। गेहूँ के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]], [[पंजाब]] तथा [[हरियाणा]] में '[[हरित क्रांति]]' के प्रयोगों से उच्च उत्पादकता तथा उत्पादन की मात्रा अधिक प्राप्त की गई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गेहूँ]]
||[[चित्र:Wheat-1.jpg|right|110px|गेहूँ]]गेहूँ विश्वव्यापी महत्त्व की फ़सल है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से [[एशिया]] में [[धान]] की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में [[गेहूँ]] उगाया जाता है। [[भारत]] में [[चावल]] के बाद गेहूँ दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। देश के कुल 10% भाग पर गेहूँ की [[कृषि]] की जाती है, किंतु चावल की अपेक्षा इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 2500 किलोग्राम अधिक है। गेहूँ के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]], [[पंजाब]] तथा [[हरियाणा]] में '[[हरित क्रांति]]' के प्रयोगों से उच्च उत्पादकता तथा उत्पादन की मात्रा अधिक प्राप्त की गई है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[गेहूँ]]
||[[चित्र:Barley-1.jpg|right|100px|जौ]]जौ प्राचीन काल से ही प्रयोग किये जाने वाले अनाजों में प्रमुख है। इसका उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक संस्कारों में होता आया है। [[जौ]] को [[संस्कृत]] में 'यव' कहते हैं। [[रूस]], [[अमरीका]], [[जर्मनी]], कनाडा और [[भारत]] में यह मुख्यत: पैदा होता है। हमारे [[ऋषि|ऋषियों]]-[[मुनि|मुनियों]] का प्रमुख आहार जौ ही था। [[वेद|वेदों]] द्वारा [[यज्ञ]] की आहुति के रूप में जौ को स्वीकारा गया है। इसका सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] है, जबकि [[बिहार]] के पाँच प्रतिशत कृषि क्षेत्र में जौ की [[कृषि]] की जाती है। इसके अन्य उत्पादक राज्य [[राजस्थान]], [[मध्य प्रदेश]], [[हरियाणा]] एवं [[पंजाब]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जौ]]
||[[चित्र:Barley-1.jpg|right|100px|जौ]]जौ प्राचीन काल से ही प्रयोग किये जाने वाले अनाजों में प्रमुख है। इसका उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक संस्कारों में होता आया है। [[जौ]] को [[संस्कृत]] में 'यव' कहते हैं। [[रूस]], [[अमरीका]], [[जर्मनी]], कनाडा और [[भारत]] में यह मुख्यत: पैदा होता है। हमारे [[ऋषि|ऋषियों]]-[[मुनि|मुनियों]] का प्रमुख आहार जौ ही था। [[वेद|वेदों]] द्वारा [[यज्ञ]] की आहुति के रूप में जौ को स्वीकारा गया है। इसका सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] है, जबकि [[बिहार]] के पाँच प्रतिशत कृषि क्षेत्र में जौ की [[कृषि]] की जाती है। इसके अन्य उत्पादक राज्य [[राजस्थान]], [[मध्य प्रदेश]], [[हरियाणा]] एवं [[पंजाब]] है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[जौ]]


{[[वेदान्त|वेदान्त दर्शन]] पर उल्लिखित [[ग्रंथ]] 'खण्डन-खाद्य' की रचना उम्बेक ने की थी। उम्बेक किस विद्वान् का छद्म नाम है?
{[[वेदान्त|वेदान्त दर्शन]] पर उल्लिखित [[ग्रंथ]] 'खण्डन-खाद्य' की रचना उम्बेक ने की थी। उम्बेक किस विद्वान् का छद्म नाम है?
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-[[भास]]
-[[भास]]
-[[अश्वघोष]]
-[[अश्वघोष]]
||भवभूति लगभग 700 ई. पूर्व एक प्रसिद्ध भारतीय नाटककार और [[कवि]] थे, जिनके [[संस्कृत भाषा]] में लिखे गये [[नाटक]] अपने रहस्य और सजीव चरित्र चित्रण के लिखे विख्यात हैं। [[भवभूति]] द्वारा लिखे गये नाटक [[महाकवि कालिदास]] के श्रेष्ठ नाटकों की बराबरी करते हैं। भवभूति [[विदर्भ]] ([[महाराष्ट्र]] राज्य) के [[ब्राह्मण]] थे। वे [[कन्नौज]] (प्राचीन '[[कान्यकुब्ज]]', [[उत्तर प्रदेश]] राज्य) के राजा [[यशोवर्मन]] के दरबार में थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भवभूति]]
||भवभूति लगभग 700 ई. पूर्व एक प्रसिद्ध भारतीय नाटककार और [[कवि]] थे, जिनके [[संस्कृत भाषा]] में लिखे गये [[नाटक]] अपने रहस्य और सजीव चरित्र चित्रण के लिखे विख्यात हैं। [[भवभूति]] द्वारा लिखे गये नाटक [[महाकवि कालिदास]] के श्रेष्ठ नाटकों की बराबरी करते हैं। भवभूति [[विदर्भ]] ([[महाराष्ट्र]] राज्य) के [[ब्राह्मण]] थे। वे [[कन्नौज]] (प्राचीन '[[कान्यकुब्ज]]', [[उत्तर प्रदेश]] राज्य) के राजा [[यशोवर्मन]] के दरबार में थे। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[भवभूति]]


{[[कौटिल्य]] के [[अर्थशास्त्र]] को खोज निकालने एवं उस पर प्रामाणिक प्रकाश डालने का श्रेय किस इतिहासकार को प्राप्त है?
{[[कौटिल्य]] के [[अर्थशास्त्र]] को खोज निकालने एवं उस पर प्रामाणिक प्रकाश डालने का श्रेय किस इतिहासकार को प्राप्त है?
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+आचार्य शामशास्त्री
+आचार्य शामशास्त्री
-डी. आर. भंडारकर
-डी. आर. भंडारकर
||[[चित्र:Chanakya.jpg|right|100px|कौटिल्य]]'कौटिल्य' को 'चाणक्य' एवं 'विष्णुगुप्त' नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने '[[अर्थशास्त्र ग्रंथ|अर्थशास्त्र]]' नामक एक [[ग्रन्थ]] की रचना की थी, जो तत्कालीन राजनीति, अर्थनीति, [[इतिहास]], आचरण शास्त्र, [[धर्म]] आदि पर भली-भाँति प्रकाश डालता है। 'अर्थशास्त्र' [[मौर्य काल]] के समाज का दर्पण है, जिसमें समाज के स्वरूप का सर्वांग देखा जा सकता है। 20वीं शती में शामशास्त्री और गणपति शास्त्री ने अर्थशास्त्र की खोज की और उसे सम्पादित करके प्रकाशित किया। शामशास्त्री ने इसका [[अंग्रेज़ी]] अनुवाद [[1915]] में [[मैसूर]] से प्रकाशित किया था। गणपति शास्त्री ने इस पर एक [[टीका]] [[संस्कृत]] में लिखी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौटिल्य]]
||[[चित्र:Chanakya.jpg|right|100px|कौटिल्य]]'कौटिल्य' को 'चाणक्य' एवं 'विष्णुगुप्त' नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने '[[अर्थशास्त्र ग्रंथ|अर्थशास्त्र]]' नामक एक [[ग्रन्थ]] की रचना की थी, जो तत्कालीन राजनीति, अर्थनीति, [[इतिहास]], आचरण शास्त्र, [[धर्म]] आदि पर भली-भाँति प्रकाश डालता है। 'अर्थशास्त्र' [[मौर्य काल]] के समाज का दर्पण है, जिसमें समाज के स्वरूप का सर्वांग देखा जा सकता है। 20वीं शती में शामशास्त्री और गणपति शास्त्री ने अर्थशास्त्र की खोज की और उसे सम्पादित करके प्रकाशित किया। शामशास्त्री ने इसका [[अंग्रेज़ी]] अनुवाद [[1915]] में [[मैसूर]] से प्रकाशित किया था। गणपति शास्त्री ने इस पर एक [[टीका]] [[संस्कृत]] में लिखी थी। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[कौटिल्य]]
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


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1 हड़प्पा सभ्यता की मुद्राएँ किस धातु से निर्मित की जाती थीं?

ताँबा
सोना
मिट्टी
काँस्य

2 सुरकोटदा किसलिए प्रसिद्ध है?

परिपक्व हड़प्पा संस्कृति के लिए
घोड़े की हड्डियों के अवशेषों के लिए
युगल शवाधान के लिए
उपर्युक्त में से कोई नहीं

3 हड़प्पा सभ्यता की दो सबसे महत्त्वपूर्ण फसलें कौन-सी थीं?

गेहूँ और जौ
तिल और सरसों
धान और मटर
कपास और गन्ना

4 वेदान्त दर्शन पर उल्लिखित ग्रंथ 'खण्डन-खाद्य' की रचना उम्बेक ने की थी। उम्बेक किस विद्वान् का छद्म नाम है?

भवभूति
कालिदास
भास
अश्वघोष

5 कौटिल्य के अर्थशास्त्र को खोज निकालने एवं उस पर प्रामाणिक प्रकाश डालने का श्रेय किस इतिहासकार को प्राप्त है?

डॉ. जौली
विण्टरनित्स
आचार्य शामशास्त्री
डी. आर. भंडारकर

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