"जैन धृति संस्कार": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= |
12:55, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण
- 'धृति' को 'सीमन्तोन्नयन' अथवा सीमान्त क्रिया भी कहते हैं।
- इसको सातवें माह के शुभ दिन, नक्षत्र, योग, मुहूर्त आदि में करना चाहिए।
- इसमें प्रथम संस्कार समान सब विधि कर लेना चाहिए।
- पश्चात यन्त्र-पूजन एवं हवन करना चाहिए।
- इसके बाद सौभाग्यवती नारियाँ गर्भिणी के केशों में तीन माँग निकालें।
|
|
|
|
|