"खजुराहो": अवतरणों में अंतर

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'''खजुराहो''' वैसे तो [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त, [[छतरपुर ज़िला|छतरपुर ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा शहर है लेकिन फिर भी भारत में, ताज महल के बाद, सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है, खजुराहो। खजुराहो,भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जोकि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मरक हैं।


यह क्षेत्र प्राचीन काल में वत्स के नाम से, मध्यकाल में जैजाक्भुक्ति नाम से तथा चौदहवीं सदी के बाद बुन्देलखन्ड के नाम से जाना गया। खजुराहो के चन्देल वंश का उत्थान दसवीं सदी के शुरू से माना जाता है। इनकी राजधानी प्रासादों, तालाबों तथा मंदिरों से परिपूर्ण थी। स्थानीय धारणाऑं के अनुसार यहां 85 मंदिर थे लेकिन आज सिर्फ़ 25 मंदिर ही बचे हैं।


खजुराहो
खजुराहो के सौन्दर्य का ही जादू है कि लोग यहाँ विदेशों से भी आते हैं और शुरु से ही यहाँ विदेशी लोगों का जत्था लगा रहता है। हिंदू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने जैसे मंदिरों के पत्थरों पर उकेर दिया था। खजुराहो में 1000 साल से भी अधिक पुराने मंदिर हैं।<ref>{{cite web |url=http://jagranyatra.jagranjunction.com/2010/09/07/khajuraho-culture-heritage-site/ |title=खजुराहो जहाँ पत्थर भी बोलते हैं |accessmonthday=[[14 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिन्दी}}</ref>  
वैसे तो खजुराहो [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त, [[छतरपुर ज़िला|छतरपुर ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा शहर है लेकिन फिर भी भारत में, ताज महल के बाद, सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है, खजुराहो। खजुराहो,भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।
 
 
 
खजुराहो [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त, [[छतरपुर ज़िला|छतरपुर ज़िले]] में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। खजुराहो प्यार का प्रतीक भी कहा जाता है। खजुराहो के सौन्दर्य का ही जादू है कि लोग यहाँ विदेशों से भी आते हैं और शुरु से ही यहाँ विदेशी लोगों का जत्था लगा रहता है। हिंदू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने जैसे मंदिरों के पत्थरों पर उकेर दिया था। खजुराहो में 1000 साल से भी अधिक पुराने मंदिर हैं।<ref>{{cite web |url=http://jagranyatra.jagranjunction.com/2010/09/07/khajuraho-culture-heritage-site/ |title=खजुराहो जहाँ पत्थर भी बोलते हैं |accessmonthday=[[14 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिन्दी}}</ref>
 
खजुराहो
वैसे तो खजुराहो [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त, [[छतरपुर ज़िला|छतरपुर ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा शहर है लेकिन फिर भी भारत में, ताज महल के बाद, सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है, खजुराहो। खजुराहो,भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जोकि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मरक हैं।
यह क्षेत्र प्राचीन काल में वत्स के नाम से, मध्यकाल में जैजाक्भुक्ति नाम से तथा चौदहवीं सदी के बाद बुन्देलखन्ड के नाम से जाना गया। खजुराहो के चन्देल वंश का उत्थान दसवीं सदी के शुरू से माना जाता है। इनकी राजधानी प्रासादों, तालाबों तथा मंदिरों से परिपूर्ण थी। स्थानीय धारणाऑं के अनुसार यहां 85 मंदिर थे लेकिन आज सिर्फ़ 25 मंदिर ही बचे हैं।   
 
 
 
 
==परिचय==
खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्‍थान था जिन्‍होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्‍पकला की भव्‍यता और वास्‍तुकलात्‍मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवर्मन<ref>(एडी 954)</ref> ने विष्‍णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्‍मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्‍ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में स्थित है।
[[चित्र:Khajuraho-Temples.jpg|thumb|left|250px|खजुराहो मन्दिर, [[मध्य प्रदेश]]<br /> Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]]
विश्‍वनाथ, पार्श्‍व नाथ और वैद्य नाथ के मंदिर राजा डांगा के समय से हैं जो यशोवर्मन के उत्तरवर्ती थे। खजुराहो का सबसे बड़ा और महान मंदिर अनश्‍वर कंदारिया महादेव का है जिसे राजा गंडा<ref>(एडी 1017-29)</ref> ने बनवाया है। इसके अलावा कुछ अन्‍य उदाहरण हैं जैसे कि वामन, आदि नाथ, जवारी, चतुर्भुज और दुल्‍हादेव कुछ छोटे किन्‍तु विस्‍तृत रूप से संकल्पित मंदिर हैं। खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्‍य छतों (जगती) और कार्यात्‍मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्‍लेखनीय है। यहाँ की शिल्‍पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्‍व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्‍सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्‍यता मनमोहक हैं।<ref>{{cite web |url=http://bharat.gov.in/knowindia/khajuraho.php |title=खजुराहो |accessmonthday=[[13 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारत की आधिकारिक वेबसाइट |language=हिन्दी }}</ref>
 
==परिचय==
==परिचय==
खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्‍थान था जिन्‍होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्‍पकला की भव्‍यता और वास्‍तुकलात्‍मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवर्मन<ref>(एडी 954)</ref> ने विष्‍णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्‍मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्‍ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में स्थित है।
खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्‍थान था जिन्‍होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्‍पकला की भव्‍यता और वास्‍तुकलात्‍मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवर्मन<ref>(एडी 954)</ref> ने विष्‍णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्‍मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्‍ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में स्थित है।
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'''<u>बस मार्ग</u>'''  
'''<u>बस मार्ग</u>'''  
खजुराहो सतना, [[हरपालपुर]], झांसी और महोबा से बस सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है।
खजुराहो सतना, [[हरपालपुर]], झांसी और महोबा से बस सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है।
==मन्दिरों की खोज़==
==मन्दिरों की खोज==
1838 में एक ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन टी.एस. बर्ट को अपनी यात्रा के दौरान अपने कहारों से इसकी जानकारी मिली। उन्होंने जंगलों में लुप्त इन मन्दिरों की खोज़ की और उनका अलंकारिक विवरण [[बंगाल]] की एशियाटिक सोसाइटी के समक्ष प्रस्तुत किया। 1843 से 1847 के बीच [[छतरपुर]] के स्थानीय महाराजा ने इन मन्दिरों की मरम्मत कराई। मेजर जनरल अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने इस स्थान की 1852 के बाद कई यात्राएँ कीं और इन मन्दिरों का व्यवस्थाबद्ध वर्णन अपनी 'आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट्स' में किया। खजुराहों के स्मारक अब [[भारत]] के पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की देखभाल और निरीक्षण में हैं। जिसने अनेक टीलों की खुदाई का कार्य करवाया है। इनमें लगभग 18 स्थानों की पहचान कर ली गई है। खजुराहो को [[यूनेस्को]] से [[1986]] ई. में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी मिला। आधुनिक खजुराहो एक छोटा-सा गाँव है, जो होटलों और हवाई अड्डे के साथ पर्यटन व्यापार की सुविधा उपलब्ध कराता है।
1838 में एक ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन टी.एस. बर्ट को अपनी यात्रा के दौरान अपने कहारों से इसकी जानकारी मिली। उन्होंने जंगलों में लुप्त इन मन्दिरों की खोज़ की और उनका अलंकारिक विवरण [[बंगाल]] की एशियाटिक सोसाइटी के समक्ष प्रस्तुत किया। 1843 से 1847 के बीच [[छतरपुर]] के स्थानीय महाराजा ने इन मन्दिरों की मरम्मत कराई। मेजर जनरल अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने इस स्थान की 1852 के बाद कई यात्राएँ कीं और इन मन्दिरों का व्यवस्थाबद्ध वर्णन अपनी 'आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट्स' में किया। खजुराहों के स्मारक अब [[भारत]] के पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की देखभाल और निरीक्षण में हैं। जिसने अनेक टीलों की खुदाई का कार्य करवाया है। इनमें लगभग 18 स्थानों की पहचान कर ली गई है। खजुराहो को [[यूनेस्को]] से [[1986]] ई. में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी मिला। आधुनिक खजुराहो एक छोटा-सा गाँव है, जो होटलों और हवाई अड्डे के साथ पर्यटन व्यापार की सुविधा उपलब्ध कराता है।
==कलात्मकता==
[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-5.jpg|thumb|250px|खजुराहो मन्दिर, [[मध्य प्रदेश]]<br /> Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]]
खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि कई बार मूर्तियाँ ख़ुद बोलती हुई मालूम देती हैं।
दुनिया को भारत का खजुराहो के कलात्मक मंदिर एक अनमोल तोहफ़ा हैं। उस समय की भारतीय कला का परिचय इनमे पत्थर की सहायता से उकेरी गई कलात्मकता देती है। खजुराहो के मंदिरों को देखने के बाद कोई भी इन्हें बनाने वाले हाथों की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सकता।
==निर्माण के पीछे कथा==
खजुराहो के मंदिरों के निर्माण के पीछे एक बेहद रोचक कथा है। कहा जाता है कि हेमवती एक ब्राह्मण पुजारी की बेटी थी। एक बार जब जंगल के तालाब में नहा रही थी, तो [[चंद्र देवता|चंद्र देव]] यानी कि चंद्रमा उस पर मोहित हो गए और दोनों के एक बेटा हुआ। हेमवती ने अपने बेटे का नाम चंद्रवर्मन रखा। इसी चंद्रवर्मन ने बाद में चंदेल वंश की स्थापना की। चंद्रवर्मन का लालन-पालन उसकी मां ने जंगल में किया था। राजा बनने के बाद उसने मां का सपना पूरा करने की ठानी। उसकी मां चाहती थी कि मनुष्य की तमाम मुद्राओं को पत्थर पर उकेरा जाए। इस तरह चंद्रवर्मन की मां हेमवती की इच्छा स्वरूप इन ख़ूबसूरत मंदिरों का निर्माण हुआ। खजुराहो के ये मंदिर पूरी दुनिया के लिए एक धरोहर हैं।
==सर्वोत्कृष्ट कलाकृतियाँ==
वास्तु और मूर्तिकला की दृष्टि से खजुराहो के मन्दिरों को भारत की सर्वोत्कृष्ट कलाकृतियों में स्थान दिया जाता है। यहाँ की श्रृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर सम्भवतः तांत्रिक प्रभाव है, किन्तु कला का जो निरावृत और अछूता सौदर्न्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती। इन मन्दिरों के अलंकरण और मनोहर आकार-प्रकार की तुलना में केवल [[भुवनेश्वर]] के मन्दिर की कला टिक सकती है। मुख्य मन्दिर तथा मण्डपों के शिखरों पर आमलक स्थित है। ये शिखर उत्तरोत्तर ऊँचे होते गए हैं, और इसलिए बड़े प्रभावोत्पादक तथा आकर्षक दिखाई देते हैं। मन्दिरों की मूर्तिकला की सराहना सभी पर्यवेक्षकों ने की है। मन्दिर का अपूर्व सौन्दर्य, काफ़ी विस्तार और चित्रकार की कूची को लज्जित करने वाला बारीक नक़्क़ाशी का काम देखकर चकित होना पड़ता है।
[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-1.jpg|thumb|250px|left|खजुराहो मन्दिर, [[मध्य प्रदेश]]<br /> Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]]
==बौद्ध धर्म==
खजुराहो में विराजमान [[बुद्ध]] की एक विशाल प्रतिमा के प्राप्त होने से यह संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में [[बौद्ध धर्म]] का भी प्रचलन था, भले ही वह सीमित पैमाने पर ही क्यों न रहा हो। कर्निघम के मत में गंठाई नामक मन्दिर बौद्ध धर्म से सम्बन्धित है, किन्तु यह तथ्य सत्य जान नहीं पड़ता।
==हिन्दू धार्मिक प्रणाली==
खजुराहो की हिन्दू धार्मिक प्रणाली तंत्र पर आधारित थी, लेकिन कापालिक सम्प्रदाय के खोपड़ी धारियों (शिव के कापाली स्वरूप के पूजक) से पृथक थी। ये लोग उग्र तांत्रिक नहीं थे, ये परम्परागत रूढ़िवादी और ब्राह्मणवादी धारा के थे, जो वैदिक पुनरुत्थान और पौराणिक तत्वों से प्रभावित थे, जैसा कि मन्दिरों के शिलालेखों से प्रमाण मिलता है।
==पर्यटन स्थल==
[[चित्र:Laxman-Temple-Khajuraho-2.jpg|250px|thumb|लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो<br />Laxman Temple, Khajuraho]]
खजुराहो प्रसिद्ध पर्यटन और पुरातात्विक स्थल है। जिसमें [[हिंदू धर्म|हिन्दू]] व [[जैन धर्म|जैन]] मूर्तिकला से सुसज्जित 25 मन्दिर और तीन संग्रहालय हैं। 25 मन्दिरों में से 10 मंदिर [[विष्णु]] को समर्पित हैं, जिसमें उनका एक सशक्त मिश्रित स्वरूप वैकुण्ठ शामिल है। नौ मन्दिर [[शिव]] के, एक [[सूर्य देवता]] का, एक रहस्यमय योगिनियों (देवियों) का और पाँच मन्दिर दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के तीर्थकारों के हैं। खजुराहो के मन्दिर में तीन बड़े शिलालेख हैं, जो चन्देल नरेश गण्ड और यशोवर्मन के समय के हैं। 7वीं शती में चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] ने खजुराहो की यात्रा की थी। उसने उस समय भी अनेक मन्दिरों को वहाँ पर देखा था। पिछली शती तक खजुराहो में सबसे अधिक संख्या में मन्दिर स्थित थे, किन्तु इस बीच वे नष्ट हो गए हैं।
====<u>कंदारिया महादेव</u>====
कंदारिया महादेव मंदिर<ref>(निर्माण 1025 - 1050 ई.)</ref> खजुराहो के मंदिरों में सबसे बड़ा, ऊंचा और कलात्मक यही मंदिर है। यह मंदिर 109 फुट लम्बा, 60 फुट चौड़ा और 116 फुट ऊँचा है। इस मन्दिर के सभी भाग- अर्द्धमण्डप, मण्डप, महामण्डप, अन्तराल तथा गर्भगृह आदि, वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं। गर्भगृह चारों ओर से प्रदक्षिणापथ युक्त है। यह मंदिर शिव को समर्पित है तथा इस मंदिर में शिवलिंग के अलावा तमाम देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियाँ मन मोह लेती हैं। मन्दिर के प्रत्येक भाग में केवल दो और तीन फुट ऊँची मूर्तियों की संख्या ही 872 है। छोटी मूर्तियाँ तो असंख्य हैं। पूरी समानुपातिक योजना, आकार, खूबसूरत मूर्तिकला एवं भव्य वास्तुकला की वजह से यह मंदिर मध्य भारत में अपनी तरह का शानदार मंदिर है।
मंदिर में सोपान द्वारा अलंकृत कीर्तिमुख, नृत्य दृश्य युक्त तोरण द्वार से प्रवेश किया जा साकता है। बाहर से देखने पर इसका मुख्य द्वार एक गुफ़ा यानी कि कंदरा जैसा नज़र आता है, शायद इसीलिए इस मंदिर का नाम कंदारिया महादेव पड़ा है। गर्भगृह के सरदल पर विष्णु, उनके दाऎं ब्रह्मा एवं बाऎं शिव दिखाए गए हैं।
कुछ अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर की भी यह विशेशता है कि अगर कुछ दूर से आप इसे देखें तो आपको लगेगा कि आप ग्रेनाइट से बने मंदिर को नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी पर तराशी  गई कोई भव्य कृति देख रहे हैं. अपनी तरह के इस अनोखे मंदिर की दीवारें और स्तम्भ इतने ख़ूबसूरत बने हुए हैं कि पर्यटक उन्हें देखकर हैरान रह जाते है
====<u>जैन मन्दिर</u>====
खजुराहो में जो मन्दिर बनवाए गए उनमें से तीस आज भी स्थित हैं। इन मंदिरों में आठ जैन मन्दिर हैं। जैन मन्दिरों की वास्तुकला अन्य मन्दिरों के शिल्प से मिलती-जुलती है। सबसे बड़ा मन्दिर पार्श्वनाथ का है, जिसका निर्मित काल 950-1050 ई. है। यह 62 फुट लम्बा और 31 फुट चौड़ा है। इसकी बाहरी भित्तियों पर तीन पंक्तियों में जैन मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं।
====<u>चित्रगुप्त मंदिर</u>====
[[चित्र:Khajuraho-Madhya-Pradesh.jpg|thumb|250px|खजुराहो मन्दिर, [[मध्य प्रदेश]]<br /> Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]]
चित्रगुप्त मन्दिर पूर्व की ओर मुख वाला मंदिर है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। इस मंदिर के अंदर 5 फुट ऊँचे सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा मनमोहक है। इस मंदिर की दीवारों पर राजाओं के शिकार और उनकी सभाओं में ग्रुप डांस के सीन काफ़ी ख़ूबसूरती के साथ उकेरे गए हैं। इससे चंदेल राजाओं की संपन्नता का पता लगता है।
====<u>विश्वनाथ मंदिर</u>====
आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व पंचायतन शैली में महाराजा धंगदेव वर्मन द्वारा बनवाए गए विश्वनाथ<ref>(अंकित तिथि 999)</ref> मंदिर में तीन सिर वाले ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। अब इसका कुछ भाग खंडित हो चुका है। भारत देश में भगवान विष्णु और शिव शंकर के मंदिर तो बहुत जगह हैं, लेकिन [[ब्रह्मा]] जी के मंदिर देश में ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं। मंदिर की उत्तरी दिशा में स्थित शेर और दक्षिणी दिशा में स्थित हाथी की प्रतिमाएँ काफ़ी सजीव लगती हैं। इनके अलावा एक [[नंदी]] की प्रतिमा भगवान की ओर मुँह किए हुए भी मौज़ूद है।
====<u>लक्ष्मण मंदिर</u>====
लक्ष्मण<ref>(अंकित तिथि 954)</ref>मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है। इस मंदिर की चौखट पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति के अलावा विष्णु और [[लक्ष्मी]] जी की जोड़ी बेहद ख़ूबसूरती से उकेरी गई है। भगवान विष्णु की एक तीन सिर वाली मूर्ति मंदिर के भीतर मौज़ूद हैं, जिसमें उनके [[नृसिंह अवतार|नरसिम्हा]] और [[वराह अवतार|वराह अवतारों]] को दर्शाया गया है। इसके अलावा वराह अवतार का एक मंदिर भी है, जिसमें उनकी 9 फीट ऊँची प्रतिमा मौज़ूद है।
====<u>पार्श्वनाथ मंदिर</u>====
पार्श्वनाथ<ref>(निर्माण 950 से 970)</ref>जैन मंदिर ईस्टर्न ग्रुप में स्थित है। यह विशालतम जैन मंदिर इस ग्रुप का सबसे बड़ा मंदिर होने के साथ स्थाप्त्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर की उत्तरी दीवार पर बने स्कल्पचर ख़ासतौर पर देखने लायक हैं। मंदिर के भीतरी दीवारों पर ख़ूबसूरत कलाकारी के अलावा पहले तीर्थंकर [[आदिनाथ]] के निशान वाला एक सिंहासन भी बनाया गया है। [[1860]] में यहाँ पर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित की गई थी।
[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-6.jpg|thumb|250px|left|खजुराहो मन्दिर, [[मध्य प्रदेश]]<br /> Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]]
====<u>आदिनाथ मंदिर</u>====
[[जैन धर्म]] के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव को समर्पित आदिनाथ<ref>(निर्माण 1075)</ref> मंदिर में काफ़ी ख़ूबसूरत तरीके से यक्ष व यक्षिणियों की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। इसके अलावा इस ग्रुप में वामन और शिव के मंदिर भी स्थित हैं।
====<u>चतुर्भुज मंदिर</u>====
यह मंदिर दक्षिणी ग्रुप में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में स्थित विष्णु भगवान की बहुत बड़ी कलात्मक प्रतिमा पर्यटकों का मन मोह लेती है।
====<u>लाइट एंड साउंड शो</u>====
खजुराहो जैसी ऐतिहासिक जगह पर घूमने के बाद भी पर्यटकों के मन में इसके इतिहास से जुड़े कई सवाल अधूरे रह जाते हैं। पर्यटकों की तमाम शंकाओं के समाधान के लिए खजुराहो में लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। इस शो में चंदेल राजाओं के वैभवशाली इतिहास से लेकर इन अप्रतिम मंदिरों के निर्माण की कहानी बताई जाती है। वेस्टर्न ग्रुप के मंदिरों के पास ही बने एक कॉम्पलेक्स में 50 मिनट तक चलने वाले एक शो में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन अपनी आवाज में दर्शकों को खजुराहो के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराते हैं। ये शो रोजाना शाम को हिंदी और अंग्रेज़ी में चलाए जाते हैं।
====<u>स्टेट म्यूजियम और ट्राइबल एंड फोक आर्ट्स</u>====
यह म्यूज़ियम चंदेल कल्चरल कॉम्पलेक्स में स्थित है। इस म्यूज़ियम में पूरे मध्य प्रदेश की ट्राइबल और फोक आर्ट्स के नमूने रखे गए हैं। मध्य प्रदेश सरकार के इस म्यूज़ियम में टेराकोटा, मेटल क्राफ्ट, वुड क्राफ्ट, ट्राइबल व फोक पेंटिंग, टैटू, जूलरी और मास्क के 500 से ज्यादा नमूने मौज़ूद हैं। यह म्यूज़ियम सोमवार और सरकारी छुट्टियों के अलावा रोजाना 12 बजे से 8 बजे तक खुलता है।
[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-3.jpg|thumb|250px|खजुराहो मन्दिर, [[मध्य प्रदेश]]<br /> Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]]
====<u>पन्ना नेशनल पार्क</u>====
पन्ना नेशनल पार्क खजुराहो से मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। केन नदी के किनारे स्थित यह नेशनल पार्क खजुराहो से सिर्फ आधा घंटे की दूरी पर है। पन्ना नेशनल पार्क में आप शेर के अलावा, चीता, भेड़िया और घड़ियाल देख सकते हैं। इसके अलावा, यहाँ नीलगाय, सांभर और चिंकारा के झुंड अक्सर घूमते नजर आ जाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/6551292.cms |title=खजुराहो |accessmonthday=[[14 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नवभारत टाइम्स |language=हिन्दी }}</ref>
====<u>जगदंबा मंदिर</u>====
राजा गंडदेव वर्मन द्वारा निर्मित यह मंदिर चित्रगुप्त मंदिर के ही समीप स्थित है। विष्णु भगवान के इस मंदिर में सैकड़ों वर्ष बाद छतरपुर के महाराजा ने यहाँ पर [[पार्वती]] की प्रतिमा स्थापित करवाई थी, इसीलिए इसे ‘जगदंबा मंदिर’ कहा जाता है।
[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-2.jpg|thumb|250px|left|खजुराहो मन्दिर, [[मध्य प्रदेश]]<br /> Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]]
====<u>मतंगेश्वर मंदिर</u>====
राजा हर्षवर्मन द्वारा सन 920 में बनवाया गया यह मंदिर खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए सभी मंदिरों में सबसे पुराना माना जाता है। यहाँ के सभी पुराने मंदिरों में यही एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ अभी भी पूजा–अर्चना की जाती है।<ref>{{cite web |url=http://www.ghamasan.com/newsdetail.aspx?typ=2&sno=22714 |title=खजुराहो |accessmonthday=[[14 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=घमासान डॉट कॉम |language=हिन्दी }}</ref>
====<u>हनुमान</u>====
खजुराहो में प्राप्त एक शिला पर अंकित [[हनुमान]] की एक मूर्ति उनकी भी पूजा होने का संकेत देती है। खजुराहो एक ऐसा धार्मिक केन्द्र था, जहाँ पर कई सम्प्रदाय फले-फूले थे।
====<u>चौंसठ योगिनियों का मन्दिर</u>====
खजुराहो में 64 योगिनियों का खुला मन्दिर<ref>(निर्माण 900)</ref> खुरदुरे ग्रेनाइट पत्थर का बना हुआ है। यह मन्दिर शायद 7वीं शती का ही है। जबकि 10वीं शताब्दी के मध्य में बने नागर शैली के उत्कृष्ट मन्दिर, चिकने बलुआ पत्थर से निर्मित हैं।
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==खजुराहो चित्र वीथिका==
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*[http://www.indiamonuments.org/Khajuraho.htm खजुराहो चित्र]
*[http://bharatparytan.blogspot.com/2010/07/blog-post.html छत्तीसगढ़ का खजुराहो]
*[http://hindi.amitgupta.in/2007/04/03/khajuraho-and-orchha-part-1/ खजुराहो चित्र]
*[http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-now-neharie-sculptures-at-khajuraho-play-golf-1323427.html खजुराहो]
*[http://www.mpmirror.com/readnews.php?news_id=1393&associate_with=&page_id=np73 खजुराहो क्षेत्र में पर्यटन सुविधाओं का विकास]
*[http://janatantra.com/2010/03/06/khajuraho-hussain-and-their-supporters/ खजुराहो]
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*[http://religion.bhaskar.com/article/khajuraho2-900005.html खजुराहो]
*[http://www.bundelkhandlive.com/site/?p=8559 बुन्देलखण्ड में पर्यटन]
*[http://glifr.com/hi/heritage/267/367 खजुराहो स्मारकों के समूह]
*[http://upnewslive.com/?p=12655 खजुराहो]
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==संबंधित लेख==
{{मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
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14:48, 20 अक्टूबर 2010 का अवतरण

खजुराहो
विवरण खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त, छतरपुर ज़िले में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला छतरपुर ज़िला
मार्ग स्थिति सड़क मार्ग द्वारा देश के सभी प्रमुख शहरों से खजुराहो पहुँचा जा सकता है।
प्रसिद्धि मध्यकालीन मंदिरों के लिये
कब जाएँ अक्टूबर से मार्च
कैसे पहुँचें हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी
हवाई अड्डा खजुराहो हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन खजुराहो रेलवे स्टेशन[1]
बस अड्डा बस अड्डा
यातायात बस, रिक्शा, ऑटो रिक्शा
क्या देखें मंदिर
कहाँ ठहरें पायल होटल, साहिल होटल (दोनों पर्यटन विभाग द्वारा संपोषित), टेंपल, ओबेराय, खजुराहो अशोक, सनसेट व्यू, चंदेल आदि। इनके अतिरिक्त पर्यटन विभाग के ही टूरिस्ट विलेज और टूरिस्ट बंगले भी हैं।
एस.टी.डी. कोड 07861
गूगल मानचित्र, हवाई अड्डा (गूगल मानचित्र)]
आई गाइड, ट्रिप एडवाइज़र,मेक माइ ट्रिप

खजुराहो वैसे तो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त, छतरपुर ज़िले में स्थित एक छोटा सा शहर है लेकिन फिर भी भारत में, ताज महल के बाद, सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है, खजुराहो। खजुराहो,भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जोकि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मरक हैं।

यह क्षेत्र प्राचीन काल में वत्स के नाम से, मध्यकाल में जैजाक्भुक्ति नाम से तथा चौदहवीं सदी के बाद बुन्देलखन्ड के नाम से जाना गया। खजुराहो के चन्देल वंश का उत्थान दसवीं सदी के शुरू से माना जाता है। इनकी राजधानी प्रासादों, तालाबों तथा मंदिरों से परिपूर्ण थी। स्थानीय धारणाऑं के अनुसार यहां 85 मंदिर थे लेकिन आज सिर्फ़ 25 मंदिर ही बचे हैं।

खजुराहो के सौन्दर्य का ही जादू है कि लोग यहाँ विदेशों से भी आते हैं और शुरु से ही यहाँ विदेशी लोगों का जत्था लगा रहता है। हिंदू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने जैसे मंदिरों के पत्थरों पर उकेर दिया था। खजुराहो में 1000 साल से भी अधिक पुराने मंदिर हैं।[2]

परिचय

खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्‍थान था जिन्‍होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्‍पकला की भव्‍यता और वास्‍तुकलात्‍मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवर्मन[3] ने विष्‍णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्‍मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्‍ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में स्थित है।

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

विश्‍वनाथ, पार्श्‍व नाथ और वैद्य नाथ के मंदिर राजा डांगा के समय से हैं जो यशोवर्मन के उत्तरवर्ती थे। खजुराहो का सबसे बड़ा और महान मंदिर अनश्‍वर कंदारिया महादेव का है जिसे राजा गंडा[4] ने बनवाया है। इसके अलावा कुछ अन्‍य उदाहरण हैं जैसे कि वामन, आदि नाथ, जवारी, चतुर्भुज और दुल्‍हादेव कुछ छोटे किन्‍तु विस्‍तृत रूप से संकल्पित मंदिर हैं। खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्‍य छतों (जगती) और कार्यात्‍मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्‍लेखनीय है। यहाँ की शिल्‍पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्‍व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्‍सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्‍यता मनमोहक हैं।[5]

इतिहास

खजुराहो का प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है। 900 से 1150 ई. के बीच यह चन्देल राजपूतों के राजघरानों के संरक्षण में राजधानी और नगर था, जो एक विस्तृत क्षेत्र 'जेजाकभुक्ति' (अब मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र) के शासक थे। चन्देलों के राज्य की नींव आठवीं शती ई. में महोबा के चन्देल नरेश चंद्रवर्मा ने डाली थी। तब से लगभग पाँच शतियों तक चन्देलों की राज्यसत्ता जुझौति में स्थापित रही। इनका मुख्य दुर्ग कालिंजर तथा मुख्य अधिष्ठान महोबा में था। 11वीं शती के उत्तरार्द्ध में चन्देलों ने पहाड़ी क़िलों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बना लिया। लेकिन खजुराहो का धार्मिक महत्व 14वीं शताब्दी तक बना रहा। इसी काल में अरबी यात्री इब्न बतूता यहाँ पर योगियों से मिलने आया था। खजुराहो धीरे-धीरे नगर से गाँव में परिवर्तित हो गया और फिर यह लगभग विस्मृति में खो गया।

यातायात

खजुराहो, महोबा से 54 किलोमीटर दक्षिण में, छतरपुर से 45 किलोमीटर पूर्व और सतना ज़िले से 105 किलोमीटर पश्‍चिम में स्‍थित है तथा निकटतम रेलवे स्‍टेशनों अर्थात् महोबा, सतना और झांसी से पक्‍की सड़कों से खजुराहो अच्‍छी तरह जुड़ा हुआ है।[6]

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

हवाई मार्ग खजुराहो के लिए दिल्ली, बनारस और आगरा से प्रतिदिन विमान–सेवा उपलब्ध रहती है।

रेल मार्ग दिल्ली से खजुराहो वाया माणिकपुर यूपी संपर्क क्रांति ट्रेन से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, दिल्ली-चेन्नई रेल मार्ग पर पड़ने वाले स्टेशनों महोबा (61 किमी ), हरपालपुर (94 किमी ) और झांसी (172 किमी ) से भी ट्रेन बदलकर खजुराहो जाया जा सकता है।

बस मार्ग खजुराहो सतना, हरपालपुर, झांसी और महोबा से बस सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है।

मन्दिरों की खोज

1838 में एक ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन टी.एस. बर्ट को अपनी यात्रा के दौरान अपने कहारों से इसकी जानकारी मिली। उन्होंने जंगलों में लुप्त इन मन्दिरों की खोज़ की और उनका अलंकारिक विवरण बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी के समक्ष प्रस्तुत किया। 1843 से 1847 के बीच छतरपुर के स्थानीय महाराजा ने इन मन्दिरों की मरम्मत कराई। मेजर जनरल अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने इस स्थान की 1852 के बाद कई यात्राएँ कीं और इन मन्दिरों का व्यवस्थाबद्ध वर्णन अपनी 'आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट्स' में किया। खजुराहों के स्मारक अब भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की देखभाल और निरीक्षण में हैं। जिसने अनेक टीलों की खुदाई का कार्य करवाया है। इनमें लगभग 18 स्थानों की पहचान कर ली गई है। खजुराहो को यूनेस्को से 1986 ई. में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी मिला। आधुनिक खजुराहो एक छोटा-सा गाँव है, जो होटलों और हवाई अड्डे के साथ पर्यटन व्यापार की सुविधा उपलब्ध कराता है।

कलात्मकता

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि कई बार मूर्तियाँ ख़ुद बोलती हुई मालूम देती हैं। दुनिया को भारत का खजुराहो के कलात्मक मंदिर एक अनमोल तोहफ़ा हैं। उस समय की भारतीय कला का परिचय इनमे पत्थर की सहायता से उकेरी गई कलात्मकता देती है। खजुराहो के मंदिरों को देखने के बाद कोई भी इन्हें बनाने वाले हाथों की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सकता।

निर्माण के पीछे कथा

खजुराहो के मंदिरों के निर्माण के पीछे एक बेहद रोचक कथा है। कहा जाता है कि हेमवती एक ब्राह्मण पुजारी की बेटी थी। एक बार जब जंगल के तालाब में नहा रही थी, तो चंद्र देव यानी कि चंद्रमा उस पर मोहित हो गए और दोनों के एक बेटा हुआ। हेमवती ने अपने बेटे का नाम चंद्रवर्मन रखा। इसी चंद्रवर्मन ने बाद में चंदेल वंश की स्थापना की। चंद्रवर्मन का लालन-पालन उसकी मां ने जंगल में किया था। राजा बनने के बाद उसने मां का सपना पूरा करने की ठानी। उसकी मां चाहती थी कि मनुष्य की तमाम मुद्राओं को पत्थर पर उकेरा जाए। इस तरह चंद्रवर्मन की मां हेमवती की इच्छा स्वरूप इन ख़ूबसूरत मंदिरों का निर्माण हुआ। खजुराहो के ये मंदिर पूरी दुनिया के लिए एक धरोहर हैं।

सर्वोत्कृष्ट कलाकृतियाँ

वास्तु और मूर्तिकला की दृष्टि से खजुराहो के मन्दिरों को भारत की सर्वोत्कृष्ट कलाकृतियों में स्थान दिया जाता है। यहाँ की श्रृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर सम्भवतः तांत्रिक प्रभाव है, किन्तु कला का जो निरावृत और अछूता सौदर्न्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती। इन मन्दिरों के अलंकरण और मनोहर आकार-प्रकार की तुलना में केवल भुवनेश्वर के मन्दिर की कला टिक सकती है। मुख्य मन्दिर तथा मण्डपों के शिखरों पर आमलक स्थित है। ये शिखर उत्तरोत्तर ऊँचे होते गए हैं, और इसलिए बड़े प्रभावोत्पादक तथा आकर्षक दिखाई देते हैं। मन्दिरों की मूर्तिकला की सराहना सभी पर्यवेक्षकों ने की है। मन्दिर का अपूर्व सौन्दर्य, काफ़ी विस्तार और चित्रकार की कूची को लज्जित करने वाला बारीक नक़्क़ाशी का काम देखकर चकित होना पड़ता है।

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

बौद्ध धर्म

खजुराहो में विराजमान बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा के प्राप्त होने से यह संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का भी प्रचलन था, भले ही वह सीमित पैमाने पर ही क्यों न रहा हो। कर्निघम के मत में गंठाई नामक मन्दिर बौद्ध धर्म से सम्बन्धित है, किन्तु यह तथ्य सत्य जान नहीं पड़ता।

हिन्दू धार्मिक प्रणाली

खजुराहो की हिन्दू धार्मिक प्रणाली तंत्र पर आधारित थी, लेकिन कापालिक सम्प्रदाय के खोपड़ी धारियों (शिव के कापाली स्वरूप के पूजक) से पृथक थी। ये लोग उग्र तांत्रिक नहीं थे, ये परम्परागत रूढ़िवादी और ब्राह्मणवादी धारा के थे, जो वैदिक पुनरुत्थान और पौराणिक तत्वों से प्रभावित थे, जैसा कि मन्दिरों के शिलालेखों से प्रमाण मिलता है।

पर्यटन स्थल

लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो
Laxman Temple, Khajuraho

खजुराहो प्रसिद्ध पर्यटन और पुरातात्विक स्थल है। जिसमें हिन्दूजैन मूर्तिकला से सुसज्जित 25 मन्दिर और तीन संग्रहालय हैं। 25 मन्दिरों में से 10 मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, जिसमें उनका एक सशक्त मिश्रित स्वरूप वैकुण्ठ शामिल है। नौ मन्दिर शिव के, एक सूर्य देवता का, एक रहस्यमय योगिनियों (देवियों) का और पाँच मन्दिर दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के तीर्थकारों के हैं। खजुराहो के मन्दिर में तीन बड़े शिलालेख हैं, जो चन्देल नरेश गण्ड और यशोवर्मन के समय के हैं। 7वीं शती में चीनी यात्री युवानच्वांग ने खजुराहो की यात्रा की थी। उसने उस समय भी अनेक मन्दिरों को वहाँ पर देखा था। पिछली शती तक खजुराहो में सबसे अधिक संख्या में मन्दिर स्थित थे, किन्तु इस बीच वे नष्ट हो गए हैं।

कंदारिया महादेव

कंदारिया महादेव मंदिर[7] खजुराहो के मंदिरों में सबसे बड़ा, ऊंचा और कलात्मक यही मंदिर है। यह मंदिर 109 फुट लम्बा, 60 फुट चौड़ा और 116 फुट ऊँचा है। इस मन्दिर के सभी भाग- अर्द्धमण्डप, मण्डप, महामण्डप, अन्तराल तथा गर्भगृह आदि, वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं। गर्भगृह चारों ओर से प्रदक्षिणापथ युक्त है। यह मंदिर शिव को समर्पित है तथा इस मंदिर में शिवलिंग के अलावा तमाम देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियाँ मन मोह लेती हैं। मन्दिर के प्रत्येक भाग में केवल दो और तीन फुट ऊँची मूर्तियों की संख्या ही 872 है। छोटी मूर्तियाँ तो असंख्य हैं। पूरी समानुपातिक योजना, आकार, खूबसूरत मूर्तिकला एवं भव्य वास्तुकला की वजह से यह मंदिर मध्य भारत में अपनी तरह का शानदार मंदिर है। मंदिर में सोपान द्वारा अलंकृत कीर्तिमुख, नृत्य दृश्य युक्त तोरण द्वार से प्रवेश किया जा साकता है। बाहर से देखने पर इसका मुख्य द्वार एक गुफ़ा यानी कि कंदरा जैसा नज़र आता है, शायद इसीलिए इस मंदिर का नाम कंदारिया महादेव पड़ा है। गर्भगृह के सरदल पर विष्णु, उनके दाऎं ब्रह्मा एवं बाऎं शिव दिखाए गए हैं। कुछ अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर की भी यह विशेशता है कि अगर कुछ दूर से आप इसे देखें तो आपको लगेगा कि आप ग्रेनाइट से बने मंदिर को नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी पर तराशी गई कोई भव्य कृति देख रहे हैं. अपनी तरह के इस अनोखे मंदिर की दीवारें और स्तम्भ इतने ख़ूबसूरत बने हुए हैं कि पर्यटक उन्हें देखकर हैरान रह जाते है

जैन मन्दिर

खजुराहो में जो मन्दिर बनवाए गए उनमें से तीस आज भी स्थित हैं। इन मंदिरों में आठ जैन मन्दिर हैं। जैन मन्दिरों की वास्तुकला अन्य मन्दिरों के शिल्प से मिलती-जुलती है। सबसे बड़ा मन्दिर पार्श्वनाथ का है, जिसका निर्मित काल 950-1050 ई. है। यह 62 फुट लम्बा और 31 फुट चौड़ा है। इसकी बाहरी भित्तियों पर तीन पंक्तियों में जैन मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं।

चित्रगुप्त मंदिर

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

चित्रगुप्त मन्दिर पूर्व की ओर मुख वाला मंदिर है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। इस मंदिर के अंदर 5 फुट ऊँचे सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा मनमोहक है। इस मंदिर की दीवारों पर राजाओं के शिकार और उनकी सभाओं में ग्रुप डांस के सीन काफ़ी ख़ूबसूरती के साथ उकेरे गए हैं। इससे चंदेल राजाओं की संपन्नता का पता लगता है।

विश्वनाथ मंदिर

आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व पंचायतन शैली में महाराजा धंगदेव वर्मन द्वारा बनवाए गए विश्वनाथ[8] मंदिर में तीन सिर वाले ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। अब इसका कुछ भाग खंडित हो चुका है। भारत देश में भगवान विष्णु और शिव शंकर के मंदिर तो बहुत जगह हैं, लेकिन ब्रह्मा जी के मंदिर देश में ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं। मंदिर की उत्तरी दिशा में स्थित शेर और दक्षिणी दिशा में स्थित हाथी की प्रतिमाएँ काफ़ी सजीव लगती हैं। इनके अलावा एक नंदी की प्रतिमा भगवान की ओर मुँह किए हुए भी मौज़ूद है।

लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण[9]मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है। इस मंदिर की चौखट पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति के अलावा विष्णु और लक्ष्मी जी की जोड़ी बेहद ख़ूबसूरती से उकेरी गई है। भगवान विष्णु की एक तीन सिर वाली मूर्ति मंदिर के भीतर मौज़ूद हैं, जिसमें उनके नरसिम्हा और वराह अवतारों को दर्शाया गया है। इसके अलावा वराह अवतार का एक मंदिर भी है, जिसमें उनकी 9 फीट ऊँची प्रतिमा मौज़ूद है।

पार्श्वनाथ मंदिर

पार्श्वनाथ[10]जैन मंदिर ईस्टर्न ग्रुप में स्थित है। यह विशालतम जैन मंदिर इस ग्रुप का सबसे बड़ा मंदिर होने के साथ स्थाप्त्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर की उत्तरी दीवार पर बने स्कल्पचर ख़ासतौर पर देखने लायक हैं। मंदिर के भीतरी दीवारों पर ख़ूबसूरत कलाकारी के अलावा पहले तीर्थंकर आदिनाथ के निशान वाला एक सिंहासन भी बनाया गया है। 1860 में यहाँ पर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित की गई थी।

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

आदिनाथ मंदिर

जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव को समर्पित आदिनाथ[11] मंदिर में काफ़ी ख़ूबसूरत तरीके से यक्ष व यक्षिणियों की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। इसके अलावा इस ग्रुप में वामन और शिव के मंदिर भी स्थित हैं।

चतुर्भुज मंदिर

यह मंदिर दक्षिणी ग्रुप में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में स्थित विष्णु भगवान की बहुत बड़ी कलात्मक प्रतिमा पर्यटकों का मन मोह लेती है।

लाइट एंड साउंड शो

खजुराहो जैसी ऐतिहासिक जगह पर घूमने के बाद भी पर्यटकों के मन में इसके इतिहास से जुड़े कई सवाल अधूरे रह जाते हैं। पर्यटकों की तमाम शंकाओं के समाधान के लिए खजुराहो में लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। इस शो में चंदेल राजाओं के वैभवशाली इतिहास से लेकर इन अप्रतिम मंदिरों के निर्माण की कहानी बताई जाती है। वेस्टर्न ग्रुप के मंदिरों के पास ही बने एक कॉम्पलेक्स में 50 मिनट तक चलने वाले एक शो में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन अपनी आवाज में दर्शकों को खजुराहो के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराते हैं। ये शो रोजाना शाम को हिंदी और अंग्रेज़ी में चलाए जाते हैं।

स्टेट म्यूजियम और ट्राइबल एंड फोक आर्ट्स

यह म्यूज़ियम चंदेल कल्चरल कॉम्पलेक्स में स्थित है। इस म्यूज़ियम में पूरे मध्य प्रदेश की ट्राइबल और फोक आर्ट्स के नमूने रखे गए हैं। मध्य प्रदेश सरकार के इस म्यूज़ियम में टेराकोटा, मेटल क्राफ्ट, वुड क्राफ्ट, ट्राइबल व फोक पेंटिंग, टैटू, जूलरी और मास्क के 500 से ज्यादा नमूने मौज़ूद हैं। यह म्यूज़ियम सोमवार और सरकारी छुट्टियों के अलावा रोजाना 12 बजे से 8 बजे तक खुलता है।

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

पन्ना नेशनल पार्क

पन्ना नेशनल पार्क खजुराहो से मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। केन नदी के किनारे स्थित यह नेशनल पार्क खजुराहो से सिर्फ आधा घंटे की दूरी पर है। पन्ना नेशनल पार्क में आप शेर के अलावा, चीता, भेड़िया और घड़ियाल देख सकते हैं। इसके अलावा, यहाँ नीलगाय, सांभर और चिंकारा के झुंड अक्सर घूमते नजर आ जाते हैं।[12]

जगदंबा मंदिर

राजा गंडदेव वर्मन द्वारा निर्मित यह मंदिर चित्रगुप्त मंदिर के ही समीप स्थित है। विष्णु भगवान के इस मंदिर में सैकड़ों वर्ष बाद छतरपुर के महाराजा ने यहाँ पर पार्वती की प्रतिमा स्थापित करवाई थी, इसीलिए इसे ‘जगदंबा मंदिर’ कहा जाता है।

खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh

मतंगेश्वर मंदिर

राजा हर्षवर्मन द्वारा सन 920 में बनवाया गया यह मंदिर खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए सभी मंदिरों में सबसे पुराना माना जाता है। यहाँ के सभी पुराने मंदिरों में यही एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ अभी भी पूजा–अर्चना की जाती है।[13]

हनुमान

खजुराहो में प्राप्त एक शिला पर अंकित हनुमान की एक मूर्ति उनकी भी पूजा होने का संकेत देती है। खजुराहो एक ऐसा धार्मिक केन्द्र था, जहाँ पर कई सम्प्रदाय फले-फूले थे।

चौंसठ योगिनियों का मन्दिर

खजुराहो में 64 योगिनियों का खुला मन्दिर[14] खुरदुरे ग्रेनाइट पत्थर का बना हुआ है। यह मन्दिर शायद 7वीं शती का ही है। जबकि 10वीं शताब्दी के मध्य में बने नागर शैली के उत्कृष्ट मन्दिर, चिकने बलुआ पत्थर से निर्मित हैं।


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खजुराहो चित्र वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय रेल
  2. खजुराहो जहाँ पत्थर भी बोलते हैं (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर, 2010
  3. (एडी 954)
  4. (एडी 1017-29)
  5. खजुराहो (हिन्दी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 13 अक्तूबर, 2010
  6. खजुराहो (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर, 2010
  7. (निर्माण 1025 - 1050 ई.)
  8. (अंकित तिथि 999)
  9. (अंकित तिथि 954)
  10. (निर्माण 950 से 970)
  11. (निर्माण 1075)
  12. खजुराहो (हिन्दी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर, 2010
  13. खजुराहो (हिन्दी) घमासान डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर, 2010
  14. (निर्माण 900)

बाहरी कड़ियाँ

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