प्रयोग:Janmejay2

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

राज्यों का एक संघ, भारत एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, धर्म निरेपक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसमें संसदीय प्रणाली की सरकार है। राष्ट्रपति इस संघ की कार्यकारिणी का संवैधानिक प्रमुख है। राज्यों में सरकार की प्रणाली केन्द्र की प्रणाली से बिल्कुल मेल खाती है। देश में 28 राज्य और 7 संघ राज्य क्षेत्र हैं। संघ राज्य क्षेत्रों को रष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए प्रशासक के माध्यम से प्रशासित किया जाता है। भारत के बड़े से लेकर छोटे राज्य। संघ राज्य क्षेत्र की जनसांख्यिकीय, इतिहास और संस्कृति, वेश-भूषा, त्यौहार, भाषा आदि विचित्र है। यह खण्ड आपको देश के विभिन्न राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों से परिचित कराता है और आपको उनकी शानदार विचित्रताओं को जानने के लिए प्रेरित करता है।


उत्तर प्रदेश का इतिहास बहुत प्राचीन और दिलचस्‍प है। उत्तर वैदिक काल में इसे ब्रहार्षि देश या मध्‍य देश के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक काल के कई महान ऋषि-मुनियों, जैसे - भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्‍क्‍य, वसिष्‍ठ, विश्‍वामित्र और वाल्‍मीकि आदि की तपोभूमि रहा। आर्यो की कई पवित्र पुस्‍तकें भी यहीं लिखी गईं। भारत के दो महान महाकाव्‍य रामायण और महाभारत, की कथा भी इसी क्षेत्र पर आधारित लगती हैं।

ईसा पूर्व छठी शताब्‍दी में उत्तर प्रदेश दो नए धर्मों-जैन और बौद्ध के संपर्क में आया। बुद्ध ने अपनी सर्वप्रथम उपदेश सारनाथ में दिया और अपने संप्रदाय की शुरूआत की तथा उत्तर प्रदेश के ही कुशीनगर में उन्‍होंने निर्वाण प्राप्‍त किया। उत्तर प्रदेश में कई नगर, जैसे- अयोध्‍या, प्रयाग, वाराणसी और मथुरा विद्या अध्‍ययन के प्रसिद्ध केंद्र बन गए थे। मध्‍य काल में उत्तर प्रदेश मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया जिससे हिंदू और इस्‍लाम धर्मों के संपर्क से नई मिली-जुली संस्‍कृति का जन्‍म हुआ। तुलसीदास और सूरदास, रामानंद और उनके मुस्लिम शिष्‍य कबीर तथा कई अन्‍य संतो ने हिन्‍दी और अन्‍य भाषाओं के विकास में योगदान दिया।

उत्तर प्रदेश ने अपनी बौद्धिक श्रेष्‍ठता को ब्रिटिश शासनकाल में भी बनाए रखा। अंग्रेजों ने आगरा और अवध नामक दो प्रांतो को मिलाकर एक प्रांत बनाया जिसे आगरा और अवध संयुक्‍त प्रांत के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्‍त प्रांत कर दिया गया। स्‍वतंत्रता प्राप्ति के पश्‍चात् जनवरी 1950 में संयुक्‍त प्रांत का नाम ‘उत्तर प्रदेश’ रखा गया।

उत्तर प्रदेश के उत्तर में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाण, दक्षिण में मध्‍य प्रदेश तथा पूर्व में बिहार राज्‍य है। उत्तर प्रदेश को दो प्रमुख भागों में विभक्‍त किया जा सकता है: 1. दक्षिणी पर्वत, तथा 2. गंगा का मैदान।



उत्तर प्रदेश का इतिहास बहुत प्राचीन और दिलचस्प है। उत्तर वैदिक काल में इसे ब्रहार्षि देश या मध्य देश के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक काल के कई महान ऋषि-मुनियों, जैसे - भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वसिष्ठ, विश्वामित्र और वाल्मीकि आदि की तपोभूमि रहा। आर्यो की कई पवित्र पुस्तकें भी यहीं लिखी गईं। भारत के दो महान महाकाव्य रामायण और महाभारत, की कथा भी इसी क्षेत्र पर आधारित लगती हैं।

ईसा पूर्व छठी शताब्दी में उत्तर प्रदेश दो नए धर्मों-जैन और बौद्ध के संपर्क में आया। बुद्ध ने अपनी सर्वप्रथम उपदेश सारनाथ में दिया और अपने संप्रदाय की शुरूआत की तथा उत्तर प्रदेश के ही कुशीनगर में उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश में कई नगर, जैसे- अयोध्या, प्रयाग, वाराणसी और मथुरा विद्या अध्ययन के प्रसिद्ध केंद्र बन गए थे। मध्य काल में उत्तर प्रदेश मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया जिससे हिंदू और इस्लाम धर्मों के संपर्क से नई मिली-जुली संस्कृति का जन्म हुआ। तुलसीदास और सूरदास, रामानंद और उनके मुस्लिम शिष्य कबीर तथा कई अन्य संतो ने हिन्दी और अन्य भाषाओं के विकास में योगदान दिया।

उत्तर प्रदेश ने अपनी बौद्धिक श्रेष्ठता को ब्रिटिश शासनकाल में भी बनाए रखा। अंग्रेजों ने आगरा और अवध नामक दो प्रांतो को मिलाकर एक प्रांत बनाया जिसे आगरा और अवध संयुक्त प्रांत के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्त प्रांत कर दिया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जनवरी 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम ‘उत्तर प्रदेश’ रखा गया।

उत्तर प्रदेश के उत्तर में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाण, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा पूर्व में बिहार राज्य है। उत्तर प्रदेश को दो प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है: 1. दक्षिणी पर्वत, तथा 2. गंगा का मैदान।