कुशलगीत -मैथिलीशरण गुप्त

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:58, 29 मई 2015 का अवतरण (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
कुशलगीत -मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त
कवि मैथिलीशरण गुप्त
जन्म 3 अगस्त, 1886
मृत्यु 12 दिसंबर, 1964
मृत्यु स्थान चिरगाँव, झाँसी
मुख्य रचनाएँ पंचवटी, साकेत, यशोधरा, द्वापर, झंकार, जयभारत
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ

हाँ, निशान्त आया,
तूने जब टेर प्रिये, कान्त, कान्त, उठो, गाया---
चौँक शकुन-कुम्भ लिये हाँ, निशान्त गाया ।
          आहा! यह अभिव्यक्ति,
          द्रवित सार-धार-शक्ति ।
          तृण तृण की मसृण भक्ति
                        भाव खींच लाया ।
तूने जब टेर प्रिये, "कान्त, उठो" गाया !
          मगध वा सूत गये,
          किन्तु स्वर्ग-दूत नये,
          तेरे स्वर पूत अये,
                          मैंने भर पाया ।
तूने जब टेर प्रिये, "कान्त, उठो" गाया ।

संबंधित लेख