हरि समान दाता कोउ नाहीं -मलूकदास

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हरि समान दाता कोउ नाहीं -मलूकदास
मलूकदास
मलूकदास
कवि मलूकदास
जन्म 1574 सन् (1631 संवत)
मृत्यु 1682 सन् (1739 संवत)
मुख्य रचनाएँ रत्नखान, ज्ञानबोध, भक्ति विवेक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मलूकदास की रचनाएँ

हरि समान दाता कोउ नाहीं। सदा बिराजैं संतनमाहीं॥1॥
नाम बिसंभर बिस्व जिआवैं। साँझ बिहान रिजिक पहुँचावैं॥2॥
देइ अनेकन मुखपर ऐने। औगुन करै सोगुन करि मानैं॥3॥
काहू भाँति अजार न देई। जाही को अपना कर लेई॥4॥
घरी घरी देता दीदार। जन अपनेका खिजमतगार॥5॥
तीन लोक जाके औसाफ। जनका गुनह करै सब माफ॥6॥
गरुवा ठाकुर है रघुराई। कहैं मूलक क्या करूँ बड़ाई॥7॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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