कानपुर
कानपुर भूतपूर्व 'कॉनपोर' उत्तर-मध्य भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ शहर के दक्षिण-पश्चिम में गंगा नदी के किनारे पर बसा हुआ है। कानपुर (शहरी) और कानपुर (देहात) ज़िलों का प्रशासनिक मुख्यालय है। कानपुर का क्षेत्रफल 260 वर्ग किमी से अधिक है। यह एक महत्त्वपूर्ण सड़क व रेल केंद्र होने के साथ-साथ एक प्रमुख वाणिज्यिक और औद्योगिक केंद्र भी है। मुख्य शहर छावनी के पश्चिमोत्तर में स्थित है। शहरी क्षेत्र में रेलवे की तीन आवासीय कॉलोनियां और एक उपनगर आरामपुर भी शामिल हैं। कानपुर में कई संग्रहालय, अस्पताल और नर्सिंग होम हैं।
इतिहास
1801 में जब अंग्रेज़ों ने इस पर और इसके आसपास के क्षेत्र पर क़ब्ज़ा किया, तब कानपुर सिर्फ़ एक गांव था। अंग्रेज़ों ने इसे अपना सीमांत मोर्चा बनाया। 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान इस शहर में भारतीय सेनाओं ने ब्रिटिश टुकड़ियों का क़त्लेआम किया था। कहा जाता है कि इससे बचे हुए लोगों को एक कुएं में फेंक दिया गया था। जहाँ अंग्रेज़ों ने एक स्मारक का निर्माण करवाया था।
कानपुर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख स्थलों में से एक है। कानपुर में स्थित एक इमारत बीबीगढ़ में 1857 ई. के सिपाही विद्रोह के दौरान 211 अंग्रेज़ स्त्री-पुरुषों और बच्चों को, जिन्होंने 26 जून को आत्मसमर्पण किया था, 15 जुलाई को नाना साहब और तात्या टोपे के आदेशानुसार मार डाला गया और उनके शवों को क़रीब के कुएँ में फेंक दिया गया।
- ब्रिटिश शासन के प्रारम्भिक
ब्रिटिश शासन के प्रारम्भिक दिनों से ही यह नगर भारत का प्रमुख सैनिक-केन्द्र रहा है। 1857 ई. के स्वतंत्नता-संग्राम (जिसे अंग्रेज़ों ने ‘सिपाही-विद्रोह’ या ‘गदर’ कहकर पुकारा) में इसने प्रमुख भूमिका अदा की। जिस समय स्वधीनता-संग्राम छिड़ा, कानपुर के निकट बिठूर में भूतपूर्व पेशवा बाजीराव के पुत्र नाना सहाब रहते थे। उन्होंने अपने को ‘पेशवा’ घोषित किया और कानपुर स्थित विद्रोही सिपाहियों का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया। 8 जून 1857 ई. को ब्रिटिश फ़ौज़ी अड्डे को घेर लिया गया और 27 जून को ब्रिटीश नागरिकों ने इस आश्वासन पर आत्मसमर्पण कर दिया कि उन्हें इलाहाबाद तक सुरक्षित जाने दिया जायगा। किन्तु ब्रिटिश सेना जिस समय नौकाओं के जरिये इस स्थान से रवाना होने की तैयारी कर रही थी, उसपर प्राणघाती गोलाबारी शुरू कर दी गयी। चार को छोड़कर सारे ब्रिटिश सैनिक मारे गये। इस कत्ले-आम ने अंग्रेज़ों के दिमाग में बदले की जबर्दस्त भावना पैदा कर दी। नील और हैबलक के नेतृत्व में अंग्रेज़ी सेना ने कानपुर शहर पर फिर क़ब्ज़ा कर लिया और देशवासियों पर भारी अत्याचार किये। नवम्बर के अन्त में नगर पर विद्रोही ग्वालियर टुकड़ी का क़ब्ज़ा था, लेकिन दिसम्बर 1857 ई. के शुरू में उसपर सर कोलिन कैम्पवेलने अधिकास कर लिया। आजकल कानपुर प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है। 1931 ई. में यहाँ भयानक साम्प्रदायिक दंगा हुआ, जिसमें विख्यात कांग्रेस-नेता श्री गणेश शंकर विद्यार्थी शहीद हो गये।
औद्योगिक नगर
कानपुर उत्तरी भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक केन्द्र है। यहाँ पर सूती व ऊनी कपड़ों की मिलें बहुसंख्या में हैं और चमढ़े का काम विशाल पैमाने पर होता है।
ऊत्तर प्रदेश और भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक कानपुर का उत्तर भारत में औद्योगिक नगर के रूप में प्रादुर्भाव अमेरिकी गृहयुद्ध (1861-1865) के दौरान हुआ। जब मैनचेस्टर की मिलों में कपास की आपूर्ति ठप्प हो गई। तत्कालीन ज़िला मजिस्ट्रेट डब्ल्यू.एस. हेल्से ने ज़िले में कपास की खेती की शुरुआत करवाई। लड़ाई के जारी रहने पर कपास की क़ीमतें आसमान को छूने लगीं कानपुर एक समृद्ध ज़िला व कानपुर नगर एक वस्त्र उद्योग केंद्र बन गया, लेकिन कानपुर की समृद्ध पिछले पचास वर्षों में धुंधली पड़ गयी है। औद्योगिक पतन का असर पूरे शहर में देखा जा सकता है।
कृषि
कानपुर की फ़सलों में गेहूं, चावल, चना और ज्वार शामिल हैं। यहाँ आम और महुआ के बाग़ान और ढाक के जंगलों के अवशेष विद्यमान हैं।
यह गंगा और यमुना नदियों के बीच जलोढ़ मैदान के उपजाऊ क्षेत्र में स्थित है। इन दोनों नदियों की सहायक धाराओं और निचली गंगा नगर से पानी की सहायक धाराओं और निचली गंगा नहर से पानी की आपूर्ति होती है।
उद्योग
वनस्पति घी, निरोध तथा हवाई जहाज़ के पुर्जे बनाने का कारख़ाना भी यहीं पर है। यहाँ पर साबुन, प्लास्टिक की वस्तुएँ मोजे-बनियान आदि बनाने के कारख़ाने हैं। अधिकांश उद्योग अब भी सुदूर पश्चिम्मोत्तर में है।
वितरण और संग्रहण केंद्र
यह उत्तर भारत का मुख्य वितरण और संग्रहण केन्द्र है। जहाँ निकटवर्ती क्षेत्र से गुड़, गेंहूँ, कपास आदि इकट्ठा किया जाता है।
शिक्षा
कानपुर शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। कानपुर में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, जी.एच.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, क्रिश्चियन मेंडिकल कॉलेज, इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, पी.पी.एन. डिग्री कॉलेज, चंद्रशेखर आज़ाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर ऐंड टेक्नोलॉजी, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्विद्यालय; चिकित्सा, विधि और शिक्षा के महाविद्यालय और एक गन्ना अनुसंधान संस्थान स्थित हैं।
परिवहन
कानपुर रेलवे स्टेशन एक बहुत बड़ा जंक्शन है। यहाँ पर सभी दिशाओं से 6 रेलमार्ग आकर मिलते हैं।
पर्यटन
- यहाँ के उल्लेखनीय भवनों में शीशे से बना पवित्र मंदिर और एक छोटी झील में बना विश्रामगृह, कमला रिट्रीट शामिल हैं।
- भग्नावशेष शहर बिठूर हिंदुओं के लिए पवित्र स्थल है; यहाँ छठी और नौवीं शताब्दियों के बीच निर्मित कई छोटे मंदिर भी हैं।
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