हेमन्त ऋतु

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हेमन्त ऋतु भारत की 6 ऋतुओं में से एक ऋतु है। विक्रमी संवत के अनुसार मार्गशीर्ष और पौष 'हेमन्त ऋतु' के मास हैं। इस ऋतु में शरीर प्राय स्वस्थ रहता है। पाचन शक्ति बढ़ जाती है। शीत ऋतु दो भागों में विभक्त है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु का नाम दिया गया है और तीव्र तथा तीखे जाड़े को शिशिर। दोनों ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है।

धार्मिक महत्त्व

हेमंत ऋतु अर्थात् मार्गशीष और पौष मास में वृश्चिक और धनु राशियाँ संक्रमण करती हैं। बसंत, ग्रीष्म और वर्षा देवी ऋतु हैं तो शरद, हेमंत और शिशिर पितरों की ऋतु है। हेमंत ऋतु में कार्तिक, अगहन और पौष मास पड़ते हैं। कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि तीज-त्योहार आते हैं, वहीं कार्तिक स्नान पूर्ण होकर दीपदान होता है। इस माह में उज्जैन में महाकालेश्वर की दो सवारी कार्तिक और दो सवारी अगहन मास में निकलती हैं। कार्तिक शुक्ल प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह होता है और चातुर्मास की समाप्ति होती है, तो बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन भी इसी मास में हो जाता है। अगहन अर्थात् मार्गशीर्ष मास में गीता जयंती, सोमवती अमावस्या के अलावा काल भैरव तथा आताल-पाताल भैरव की सवारी भी निकलती है। पौष मास में हनुमान अष्टमी, पार्श्वनाथ जयंती आदि के अलावा रविवार को सूर्य उपासना का विशेष महत्व है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमंत की सुंदर ऋतु और धर्म (हिंदी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 23 जनवरी, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

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