भर्तृहरि का मन्दिर
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- राजस्थान के अलवर मे भर्तृहरि का मन्दिर है जिसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित किया है, इसे भर्तृहरि धाम भी कहा जाता है।
- उनकी समाधि अलवर राज्य के एक सघन वन में विद्यमान है। उसके सातवें दरवाजे पर एक अखण्ड दीपक जलता रहता है। उसे भर्तृहरि की ज्योति स्वीकार किया जाता है।
- यह अलवर शहर से 32 किमी दूर जयपुर अलवर मार्ग पर स्थित है ।
- राजा भर्तृहरि अपने भाई विक्रमादित्य को स्थापित कर अमर हो गए जिनके नाम पर विक्रम संवत की स्थापना हुई, जिसका शुभारंभ आज भी चैत्रमास के नवरात्र से आरंभ होता है।
- यहाँ भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी को मेला लगता है ।
- नाथपंथ की अलख जगाने वाले कनफडे नाथ साधुओं के लिए इस तीर्थ की विशेष मान्यता है।
इन्हें भी देखें: वेताल पच्चीसी एवं आदिगुरू गोरखनाथ की धूनी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
अमरफल खाए बिना अमर हो गये भर्तृहरि
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