क्रांति (1981 फ़िल्म)
क्रांति (1981 फ़िल्म)
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निर्देशक | मनोज कुमार |
निर्माता | मनोज कुमार |
लेखक | जावेद अख़्तर, मनोज कुमार |
कलाकार | दिलीप कुमार, मनोज कुमार, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी, परवीन बॉबी, सारिका, प्रेम चोपड़ा और निरुपा रॉय आदि। |
संगीत | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
गायक | लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, महेन्द्र कपूर, नितिन मुकेश। |
प्रसिद्ध गीत | 'ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी', 'चना जोर गरम' |
प्रदर्शन तिथि | 3 फ़रवरी, 1981 |
अवधि | 188 मिनट |
भाषा | हिन्दी |
देश | भारत |
अन्य जानकारी | 1980 के दशक में यह फ़िल्म न सिर्फ़ सबसे महँगी फ़िल्म थी, बल्कि सर्वाधिक आमदनी करने वाली फ़िल्म भी यही थी। यह सिनेमाघरों में लगातार 67 साप्ताह तक चली, जिसकी 'गोल्डन जुबली' भी मनाई गई थी। |
क्रांति सन 1981 में प्रदर्शित होने वाली हिन्दी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म का निर्देशन अपने समय के मशहूर अभिनेता और 'भारत कुमार' के नाम प्रसिद्धि पा चुके मनोज कुमार ने किया था। फ़िल्म 'क्रांति' में अभिनय करने वाले मुख्य कलाकार थे- दिलीप कुमार, मनोज कुमार, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी, परवीन बॉबी, सारिका, प्रेम चोपड़ा और निरुपा रॉय आदि। फ़िल्म की कहानी जावेद अख़्तर और मनोज कुमार ने लिखी थी। फ़िल्म 'क्रांति' की कहानी वर्ष 1825 से 1875 ई. के बीच के स्वतंत्रता संग्राम के प्लॉट पर आधारित है। इस फ़िल्म ने कामयाबी के कई कीर्तिमान स्थापित किये। फ़िल्म के लगभग सभी गीत हिट थे और आज भी काफ़ी सुने जाते हैं।
कहानी
'क्रांति' फ़िल्म की कहानी में दो सेनानी 'सांगा' (दिलीप कुमार) और 'भारत' (मनोज कुमार) के संघर्ष की गाथा का बेहद प्रभावी फ़िल्मांकन है। 'क्रांति' फ़िल्म 1981 में निर्मित की गई थी, जिसके निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार थे। इससे पहले मनोज कुमार 'उपकार', 'रोटी कपड़ा और मकान' जैसी सफल फ़िल्में दे चुके थे। पाँच साल के अंतराल पर दिलीप कुमार की वापसी इसी फ़िल्म से हुई थी। फ़िल्म की कहानी कहानी रामगढ़ राज्य से शुरू होती है, जहाँ के राजा लक्ष्मण सिंह के ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ सिपाही हैं- सांगा (दिलीप कुमार)। राजा लक्ष्मण सिंह अंग्रेज़ों को सशर्त अपने बंदरगाह के उपयोग की अनुमति देते हैं। लेकिन अंग्रेज़ राजा को धोखा देकर स्वर्ण व आभूषण का चोरी-चोरी निर्यात करते है और बदले में गोला बारूद लाते हैं। सांगा इस पर रोक लगाता है और इस बात की जानकारी राजा को देने जाता है। वहाँ राजा की हत्या पहले ही की जा चुकी होती है, लेकिन हत्या का इल्ज़ाम सांगा पर लगाकर उसे राजद्रोही घोषित किया जाता है। सांगा भाग जाता है और 'क्रांति' के नाम से अपनी अलग फौज खड़ी करता है।[1]
वहीं सत्ता हथियाने के बाद अंग्रेज़ राज्य के लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर देते है। इस भगदड़ में सांगा का परिवार भी अलग हो जाता है। सांगा के दो बच्चों में से एक 'शक्ति' (शशि कपूर) राजमहल पहुँच जाता है और दूसरा 'भारत' (मनोज कुमार) सांगा की लड़ाई को आगे बढ़ता है। फ़िल्म की कहानी आगे बढ़ती है, जब सांगा और भारत स्वतंत्रता के लिए अंग्रेज़ों पर लगातार हमले करते है। शक्ति भी अपनी सच्चाई पता चलने पर सांगा और भारत के साथ अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुड़ जाता है। फ़िल्म अंदेशाअनुसार अंग्रेज़ों की हार के साथ ख़त्म होती है।
यह फ़िल्म 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' की ऐसी झाँकी प्रस्तुत करती है कि दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। फ़िल्म पूर्णतः यथार्थवादी विषय पर आधारित है, अतः पारंपरिक हिन्दी फ़िल्मों से कुछ मसाला लेने की विशेष ज़रूरत नहीं थी। जैसे फ़िल्म की शुरुआत में ही बच्चे का बिछड़ना या राजकुमारी की प्रेम कहानी, फिर भी ये दृश्य फ़िल्म की कहानी से जुदा नहीं लगते। मनोज कुमार के सधे हुए निर्देशन का ऐसा कमाल कि फ़िल्म देखने के दौरान कई बार दर्शक खुद को उसी युग में पाते हैं। आज़ादी के लिए दीवानापन, ज़ुल्म और बेबसी से भरे दृश्य, लेकिन नृत्य और गानों की भरमार होने के कारण बार-बार दर्शकों का ध्यान बँटता है। हालाँकि गीत-संगीत बेहतरीन दर्जे का है, फिर भी कहानी की गंभीरता के हिसाब से गाने कम होने चाहिए थे। यह भी सही है कि सभी गाने बेहद कर्णप्रिय हैं, विशेषकर 'ज़िंदगी की ना टूटे लड़ी', इस गाने का दृश्यांकन भी बेहद प्रभावित करता है। 'क्रांति' और 'अब के बरस' ऐसा गाना है, जो आज भी श्रोताओं में जोश भर देता है।[1]
फ़िल्म 'क्रांति' के कलाकारों में मनोज कुमार, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी, दिलीप कुमार, परवीन बॉबी, धीरज कुमार, निरुपा रॉय आदि नामचीन कलाकारों का जमावड़ा देखकर उनकी अभिनय क्षमता पर कोई संदेह नहीं रह जाता। कुल मिलकर कलाकारों का बेहतरीन अभिनय, सधी हुई कथा-पटकथा एवं सशक्त निर्देशन ने इस फ़िल्म को क्लासिक फ़िल्म का दर्जा दिलाया है। 1980 के दशक में यह फ़िल्म न सिर्फ़ सबसे महँगी फ़िल्म थी, बल्कि सर्वाधिक आमदनी करने वाली फ़िल्म भी यही थी। यह सिनेमाघरों में लगातार 67 साप्ताह तक चली, जिसकी 'गोल्डन जुबली' भी मनाई गई थी। भारत की गौरवपूर्ण आज़ादी की संघर्ष गाथा है 'क्रांति', जिसमें ना सिर्फ़ भारतीयों के साहस की वरन् उनकी कमज़ोरियों की भी कहानी है।[1]
मुख्य कलाकार
- मनोज कुमार - भारत
- दिलीप कुमार - साँगा
- शशि कपूर - शक्ति
- हेमा मालिनी - राजकुमारी मीनाक्षी
- शत्रुघ्न सिन्हा - करीम ख़ान
- परवीन बॉबी - सुरीली
- सारिका - शीतल
- निरुपा रॉय - राधा
- प्रेम चोपड़ा - शम्भु सिंह
- मदन पुरी - शेर सिंह
- प्रदीप कुमार - शमशेर सिंह
- धीरज कुमार - राजकुमार हीरा
- शशिकला - चारुमती माँ
गीत
- अब के बरस - महेन्द्र कपूर
- चना जोर गरम - किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी
- दुर्गा है मेरी माँ - लता मंगेशकर, महेन्द्र कपूर
- क्रांति-1 लता मंगेशकर, महेन्द्र कपूर
- क्रांति-2 लता मंगेशकर, महेन्द्र कपूर
- लूई शामा शा - लता मंगेशकर, नितिन मुकेश
- मारा ठुमका - लता मंगेशकर
- ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी - लता मंगेशकर, नितिन मुकेश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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