केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (अंग्रेज़ी: Central Bureau of Investigation) अथवा 'सीबीआई' भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है। यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है। सीबीआई कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है। यद्यपि इसका संगठन फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन से मिलता-जुलता है किन्तु इसके अधिकार एवं कार्य-क्षेत्र एफ़बीआई की तुलना में बहुत सीमित हैं। इसके अधिकार एवं कार्य दिल्ली विशेष पुलिस संस्थान अधिनियम, 1946 से परिभाषित हैं। भारत के लिये सीबीआई ही इन्टरपोल की आधिकारिक इकाई है।
इतिहास
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, जिसकी स्थापना वर्ष 1941 में भारत सरकार द्वारा विशेष पुलिस स्थापना (एसपीई) के तहत की गई थी, अपने गठन के उद्देश्य की ओर अग्रसर है। उस समय एसपीई का मुख्य कार्य दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भारत के युद्ध तथा आपूर्ति विभाग में लेन-देन में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच-पड़ताल करना था। एसपीई युद्ध विभाग के देख-रेख में था। यहां तक कि युद्ध के समाप्त होने तक की केन्द्रीय सरकार द्वारा कर्मचारियों से संबंधित रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने के लिए एक केन्द्रीय सरकार की जांच एजेंसी की जरूरत महसूस की गई थी। इसलिए, 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम को लागू किया गया। यह अधिनियम एसपीई के अधीक्षण को गृह विभाग को हस्तांतरित करता है और इसके कार्यों के परिधि को बढ़ाकर भारत सरकार के सभी विभागों को करता है। एसपीई का कार्यक्षेत्र सभी संघ शासित राज्यों को शामिल करता है और राज्य सरकार की सहमति से राज्य में इसे लागू किया जा सकता है।
जाँच का दायरा
डीएसपीई ने गृह मंत्रालय के दिनांक 1 अप्रॅल, 1963 के संकल्प के जरिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के नाम से अपनी ख्याति प्राप्त की है। आरंभ में ऐसे अपराध जो केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों द्वारा केवल भ्रष्टाचार से संबंधित होते थे, केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किए गए थे। आगे चलकर, बड़े पैमाने पर सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के बन जाने से इन उपक्रमों के कर्मचारियों को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के जांच दायरे में लाया गया। इसी प्रकार, 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण हो जाने पर सरकारी क्षेत्र के बैंकों और उनके कर्मचारियों को भी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के जांच के दायरे में लाया गया।
संस्थापक एवं निदेशक
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के संस्थापक एवं प्रथम निदेशक डी. पी. कोहली थे, जिन्होंने 1 अप्रॅल, 1963 से 31 मई, 1968 तक इसका कार्यभार संभाला। इससे पहले 1955 से 1963 तक वह विशेष पुलिस स्थापना के पुलिस महानिरीक्षक रहे। उससे भी पहले, उन्होंने मध्य भारत, उत्तर प्रदेश और भारत सरकार में पुलिस महकमें में विभिन्न जिम्मेदार पदों पर कार्य किया। वह एसपीई का कार्यभार संभालने से पहले मध्य भारत में पुलिस के प्रमुख रहे। डी. पी. कोहली को उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1967 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था। डी. पी. कोहली एक भावी दृष्टा थे, जिन्होंने विशेष पुलिस स्थापना को एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी के रूप में भावी जरूरत समझा। उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक तथा निदेशक के पद पर रहते हुए संगठन को शक्तिशाली बनाया और उनके द्वारा बनायी गई मजबूत बुनियादों पर दशकों से संगठन आगे बढ़ रहा है, जो आज भी दृष्टिगोचर हो रहा है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के चौथे द्विवार्षिक संयुक्त सम्मेलन और राज्य के भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि “आम जनता आपसे आपकी क्षमता और निष्ठा दोनों में सर्वोच्च अपेक्षा करती है। इस विश्वास को बनाए रखा जाना है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का मुख्य उद्देश्य परिश्रम, निष्पक्षता और ईमानदारी। यह सदैव आपके कार्य में आपका मार्गदर्शन करेंगे। सबसे पहले, हम जहां भी हों, किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में अपने कर्तव्य को निभाना है।“
क्रमांक | नाम | कार्यकाल | चित्र |
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1. | डी. पी. कोहली | 1 अप्रॅल, 1963 - 31 मई, 1968 | |
2. | एफ. वी. अरूल | 31 मई 1968 - 6 मई 1971 | |
3. | डी. सेन | 6 मई 1971 - 29 मार्च 1977 | |
4. | एस. एन. माथुर | 29 मार्च 1977 - 2 मई 1977 | |
5. | सी. वी. नरसिम्हन | 2 मई 1977 - 25 नवम्बर 1977 | |
6. | जॉन लोब | 25 नवम्बर 1977 - 30 जून 1979 | |
7. | आर. डी. सिंह | 30 जून 1979 - 24 जनवरी 1980 | |
9. | जे. एस. बावा | 24 जनवरी 1980 - 28 फ़रवरी 1985 | |
10. | एम. जी. कातरे | 28 फ़रवरी 1985 - 31 अक्टूबर 1989 | |
11. | ए. पी. मुखर्जी | 31 अक्टूबर 1989 - 11 जनवरी 1990 | |
12. | आर. शेखर | 11 जनवरी 1990 - 14 दिसम्बर 1990 | |
13. | विजय करन | 14 दिसम्बर 1990 - 1 जून 1992 | |
14. | एस. के. दत्ता | 1 जून 1992 - 31 जुलाई 1993 | |
15. | के. विजय रामा राव | 31 जुलाई 1993 - 31 जुलाई 1996 | |
16. | जोगिंदर सिंह | 31 जुलाई 1996 - 30 जून 1997 | |
17. | आर. सी. शर्मा | 30 जून 1997 - 31 जनवरी 1998 | |
18. | डी. आर. कार्तिकेयन (प्रभारी) | 31 जनवरी 1998 - 31 मार्च 1998 | |
19. | डॉ. टी. एन. मिश्रा (प्रभारी) | 31 मार्च 1998 - 4 जनवरी 1999 | |
20. | डॉ. आर. के. राघवन | 4 जनवरी 1999 - 30 अप्रॅल 2001 | |
21. | पी. सी. शर्मा | 30 अप्रॅल 2001 - 6 दिसम्बर 2003 | |
22. | यू. एस. मिश्रा | 6 दिसम्बर 2003 - 6 दिसम्बर 2005 | |
23. | विजय शंकर | 12 दिसम्बर 2005 - 31 जुलाई 2008 | |
24. | अश्विनी कुमार | 2 अगस्त 2008 - 30 नवम्बर 2010 | |
25. | ए. पी. सिंह | 30 नवम्बर, 2010 - 30 नवम्बर, 2012 | |
26. | अनिल कुमार सिन्हा | 1 दिसम्बर, 2012 से अब तक |
राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी के रूप में उभरना
वर्ष 1965 से लेकर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को आर्थिक अपराधों और परंपरागत स्वरूप के महत्वपूर्ण अपराधों जैसे हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध इत्यादि जैसे चुनिंदा मामलों की जांच का कार्य सौंपा गया। एसपीई के आरंभ में दो विंग थे। इनमें एक सामान्य अपराध विंग (जी.ओ.डब्ल्यू.) और दूसरा आर्थिक अपराध विंग था। सामान्य अपराध विंग केन्द्रीय सरकार और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों जो रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त थे, उनकी जांच करना था और आर्थिक अपराध विंग आर्थिक/राजकोषीय नियमों के उल्लंघन के विभिन्न मामलों की जांच करना था। इस व्यवस्था के तहत सामान्य अपराध विंग की प्रत्येक राज्य में कम-से-कम एक शाखा थी और अपराध विंग की दिल्ली, मद्रास (अब चेन्नई), बंबई (अब मुम्बई) और कलकत्ता (अब कोलकाता) अर्थात् चारों महानगरों में शाखा थी। आर्थिक अपराध शाखा, ब्रांचों का कार्य क्षेत्रों अर्थात् प्रत्येक ब्रांच को जो बहुत सारे राज्यों को अपने कार्यक्षेत्र में रखे हुए थे, को रिपोर्ट करना था।
भूमिका में विस्तार
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के रूप में वर्षों से इसने निष्पक्षता और सक्षमता में ख्याति स्थापित की है। हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध इत्यादि जैसे परंपरागत अपराधों के मामलों की जांच करने की मांग उठने लगी। इसके अलावा, देश के सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने भी पीड़ित पार्टियों द्वारा दर्ज की गई अर्जियों पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जांच करने के लिए विश्वास व्यक्त किया। इस श्रेणी के तहत दर्ज की गई विभिन्न अर्जियों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा इन पर जांच की जाती रही है और यह पाया गया है कि स्थानीय स्तर पर शाखा होने पर मामलों का निपटारा जल्दी होता है। अत: वर्ष 1987 में यह निर्णय लिया गया था कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो में दो जांच प्रभागों अर्थात् भ्रष्टाचार निरोधक प्रभाग और विशेष अपराध प्रभाग का गठन किया जाए और बाद में आर्थिक अपराधों के साथ-साथ परंपरागत अपराधों की जांच की जाने लगी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का संक्षिप्त इतिहास (हिन्दी) केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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