भारतीय नौवहन निगम
भारतीय नौवहन निगम
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विवरण | 'भारतीय नौवहन निगम' भारतीय जहाज़रानी कम्पनी है, जो भारत सरकार के अंतर्गत आती है। यह व्यावहारिक तौर पर नौवहन व्यापार के सभी क्षेत्रों में अपना कारोबार करती है। |
स्थापना | 2 अक्टूबर, 1961 (मुम्बई) |
प्रकार | सरकारी |
उद्योग | जहाज़रानी |
मुख्यालय | निगमित मुख्यालय, मैडम कामा मार्ग, मुंबई 400021, भारत |
संबंधित लेख | जहाज़रानी मंत्रालय, भारत सरकार |
अन्य जानकारी | केवल 19 जहाज़ों को लेकर एक लाइनर शिपिंग कंपनी की शुरुआत हुई थी और आज एससीआई के पास कुल 4.6 मिलियन डीडब्ल्यूटी के 83 जहाज़ हैं। |
भारतीय नौवहन निगम (अंग्रेज़ी: Shipping Corporation of India या SCI) भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की जहाज़़रानी कंपनी है। यह भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय नौवहन हेतु जहाज़़ चलाती है। केवल 19 जहाज़ों को लेकर एक लाइनर शिपिंग कंपनी की शुरुआत हुई थी और आज एससीआई के पास कुल 4.6 मिलियन डीडब्ल्यूटी के 83 जहाज़ हैं। एससीआई का शिपिंग व्यापार में 10 विविध खंडों में भी व्यापार फैला हुआ है। गत चार दशकों की यात्रा करने के बाद एससीआई ने विश्व के समुद्री नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।
स्थापना
सार्वजनिक क्षेत्र की जहाज़रानी कंपनी 'भारतीय जहाज़रानी निगम लिमिटेड' की स्थापना 2 अक्टूबर, 1961 को हुई थी। कंपनी की अधिकृत पूंजी 450 करोड़ रुपया और चुकता पूंजी 282.30 करोड़ रुपये थी। 18 सितंबर, 1992 को कंपनी का दर्जा 'प्राइवेट लिमिटेड' से बदलकर 'पब्लिक लिमिटेड' कर दिया गया। कंपनी को भारत सरकार ने 24 फ़रवरी, 2000 को 'मिनी रत्न' का खिताब दिया। कंपनी की 80.12 प्रतिशत शेयर पूंजी सरकार के पास है, जबकि शेष पूंजी वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक और अन्य निकायों, अनिवासी भारतीयों, कॉर्पोरेट निकायों आदि के पास है।
कार्यक्षेत्र
भारतीय जहाज़रानी निगम लिमिटेड जहाज़रानी मंत्रालय के साथ अनुबंध पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करता रहा है और निगम को उत्कृष्ट कार्य के लिए लगातार 18 वर्षों से 2006-2007 तक 'सर्वश्रेष्ठ' होने का पुरस्कार प्राप्त होता रहा है। निगम ने 2008-2009 के लिए जहाज़रानी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ 27 मार्च, 2008 को एक अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। 1 जून, 2008 को भारतीय जहाज़रानी निगम का भारतीय माल ढोने में 31 प्रतिशत जीटी और 32 प्रतिशत डीडब्ल्यूटी का हिस्सा था। वर्तमान में, एससीआई के बेड़े में 79 पोत हैं जिनकी सकल क्षमता लगभग 27 लाख जीटी (48 लाख डीडब्ल्यूटी) है, जिनमें सेल्युलर वाहक पोत, कच्चा तेल टैंकर (संयुक्त वाहकों सहित), उत्पाद टैंकर, बल्क कैरियर एलपीजी/अमोनिया वाहक, फॉस्फोटिक एसिड वाहक, यात्री तथा समुद्र तटीय आपूर्ति जहाज़ शामिल हैं। कंपनी लाइनर और यात्री सेवाएं, बल्क कैरियर और टैंकर सेवाएं समुद्रतटीय और विशेष सेवाएं प्रदान करती है। इनके अलावा, एससीआई विभिन्न सरकारी विभागों और अन्य संगठनों के लिए कुल 0.12 मिलियन जीटी (0.06 मिलियन डीडब्ल्यूटी) तक 53 पोतों का संचालन करता है, जिनमें यात्री-सह-माल पोत, बंकर नावों, अनुसंधान पोत, ऑफशोर आपूर्ति पोत, भूकंप सर्वे पोत स्टिम्युलेशन पोत, गोताखोर सहायता पोत, भूगर्भ तकनीकी पोत और बहुउद्देशीय सहायता पोत शामिल हैं। एससीआई के बेड़े में सबसे अलग और उत्कृष्ट आधुनिक और कम ईंधन खपत वाला जहाज़ शामिल है, जो एससीआई को विशिष्ट दर्जा ही नहीं अन्य पोत मालिकों से आगे खड़ा करता है।
रिकॉर्ड लाभांश
एससीआई ने लाभांश और मुनाफे की दृष्टि से रिकार्ड कायम रखा है। 2006-2007 में कुल कारोबार 4210.00 करोड़ रुपए का था, जिसमें कर भुगतान के बाद शुद्ध लाभ 1.015 करोड़ रुपए का हुआ। वर्ष 2007-2008 के लिए इसने 45 प्रतिशत अंतरिम लाभांश अदा किया है। कुल कारोबार 4,084 करोड़ रुपए है। कर बाद शुद्ध लाभ 814 करोड़ और 85 प्रतिशत लाभांश दिया है। भारतीय जहाज़रानी निगम निम्नलिखित क्षेत्रों में अग्रणी है-
- कच्चे तेल, पीओएल और ड्राई बल्क कार्गो
- क्रायोजेनिक ऑपरेशन (एलएनजी/एलपीजी)
- जहाज़रानी क्षेत्र के संयुक्त उद्यम तथा अन्य भागीदारी उद्यम
- जहाज़रानी परामर्श सेवा
मेरीटाइम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट
पवई मुंबई में मेरीटाइम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एमटीआई) स्थापित हो जाने से कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रशिक्षण को नई दिशा मिली। एमटीआई में व्यापक आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनसे यह सुनिश्चित हो जाता है कि एससीआई की कार्मिक योग्यता और विशेषज्ञता अंतर्राष्ट्रीय स्तर की है। जून, 1988 के बाद से एससीआई के सभी इन-हाउस पाठ्यक्रम एमटीआई में ही चलाए जा रहे हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए देश में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) के सेमिनार और विशेषज्ञ पाठ्यक्रम चलाने के मामले में एमटीआई को स्वीडन (माल्मो) की वर्ल्ड मेरीटाइम यूनिवर्सिटी की शाखा माना जाता है। जहाज़रानी प्रबंधन पाठ्यक्रमों के मामले में एमटीआई को अंकटाड प्रशिक्षण केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। एमटीआई को प्रशिक्षण के क्षेत्र में शानदार रिकार्ड के लिए 'स्वर्णमयूर पुरस्कार' दिया गया।
पुरस्कार
8 मार्च, 2007 को भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय, सार्वजनिक उपक्रम विभाग, भारत सरकार ने एससीआई को वर्ष 2004-2005 और 2005-2006 के लिए 'एमओयू उत्कृष्टता प्रमाणपत्र' दिया गया। एससीआई 5 नवंबर, 2007 को बंगलुरू में 'बेस्ट इंटरनेशनल सॉल्यूशन अवार्ड' तथा 'थर्ड एचएसबीसी ग्लोबल पेमेंट एंड कैश मैनेजेमेंट पार्टनरशिप अवार्ड' प्राप्त कर चुका है। नवंबर, 2007 में दुबई में आयोजित सी ट्रेड मिडल ईस्ट एंड इंडियन सब-कंटिनेंटल अवार्ड 2007 में 'शिपऑनर/आपरेटर ऑफ द ईयर 2007' अवार्ड जीत चुका है। मुंबई में ही नवंबर, 2007 में आयोजित लॉयड लिस्ट मिडल ईस्ट एंड इंडियन सब-कंटिनेंटल अवार्ड में भी 'शिपऑनर ऑफ द ईयर 2007' अवार्ड जीत चुका है।
विभिन्न उपक्रम
- तरल प्राकृतिक गैस (संयुक्त उपक्रम)
एलएनजी को देश के बिजलीघरों के लिए भविष्य का ईंधन तथा रसायन/पेट्रोरसायन उद्योग के लिए फीडस्टॉक (कच्चा माल) मान लिया गया है। एससीआई की एलएनजी के विकास और अपार संभावना वाले वाहक के रूप में पहचान की गई है और पेट्रोनेट एलएनजी परियोजना में इसकी उपस्थिति मौजूद है।
- इंडिया एलएनजी ट्रांसपोर्ट कंपनी सं.1 और 2 लिमिटेड
माल्टा में बने ये दोनों संयुक्त उद्यम एससीआई और तीन जापानी कंपनियों-मैसर्स मित्सुई ओएसके लाइंस लिमिटेड (एमओएल), मैसर्स निप्पन युसेन काबुशिकी काइशा लि. (एनवाई के लाइंस) तथा मैसर्स कावासाकी किसेन काइशा लि. (के लाइंस) तथा मैसर्स कतर शिपिंग कंपनी (क्यू शिप्स), कतर द्वारा संचालित हैं। दोनों उपक्रमों ने 31-03-2008 तक एसएस दिशा तथा एसएस राही नाम के दो एलएनजी टैंकरों को संचालित किया। दोनों टैंकर बिना किसी कर के संचालित किए गए और दोनों ने शुरू से लगभग 157 कार्गो तथा एनएनजी के 120 कार्गों ढोए यानी कुल 18.16 मिलियन मीट्रिक टन एलएनजी।
- इंडिया एलएनजी ट्रांसपोर्ट कंपनी सं. 3 लिमिटेड
यह संयुक्त उपक्रम भी माल्टा में बना और उपर्युक्त तीनों जापानी कंपनियों तथा एससीआई की देखरेख में संचालित हुआ। मैसर्स कतर गैस ट्रांसपोर्ट कंपनी लि. (क्यूजीटीसी) और मैसर्स पेट्रोनेट एलएनजी लि. (पीएलएल) से लगभग 155,000 सीबीएम के एमएलएनजी टैंकर को निर्माण स्वामित्व और संचालन का 25 वर्षों का एक समझौता हुआ है। टैंकर का निर्माण जारी है और सितंबर 2009 में प्राप्त हो जाएगा। इसे पीएलएल के देहाज टर्मिनल को 2.5 मिलियन मीट्रिक टन एलएनजी की अतिरिक्त आपूर्ति के लिए तैनात किया जाएगा। इस टर्मिनल का विस्तार किया जा रहा है।
- ईरान-हिंद शिपिंग कंपनी (आईएचएससी)
एससीआई ने ईरान-हिंद शिपिंग कंपनी के नाम से एक और संयुक्त उद्यम बना रखा है, जो लगातार तीन दशकों से सफलतापूर्वक काम कर रहा है। यह संयुक्त उद्यम एससीआई और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान शिपिंग लाइन के बीच मार्च, 1975 में तेहरान में स्थापित हुआ था। इस संयुक्त उपक्रम का संतोषजनक प्रदर्शन जारी है और ईरानी वर्ष 1385 (21 मार्च, 2006 से 20 मार्च, 2007 तक) के दौरान कर के बाद 33.336 बिलियन ईरानी रियाल (3.683 मिलियन अमरीकी डालर) का शुद्ध लाभ कमाया। 20 मार्च, 2007 तक इसका कर के बाद कुल अंतिम लाभ 18.102 मिलियन अमरीकी डालर रहा है। आईएचएससी और उसकी अन्य सहयोगी कंपनियों को मिलाकर उसके पास वित्तीय वर्ष के अंत में 6 जहाज़ थे, जिनकी क्षमता 0.494 मिलियन डीडब्ल्यूटी है।
- सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना
भारत सरकार ने जहाज़रानी मंत्रालय के माध्यम से 'सेतुसमुद्रम कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (एससीएल) नाम से एक 'स्पेशल परपज़ व्हीकल' (एसवीपी) स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत पाक खाड़ी (सेतुसमुद्रम शिप चैनल) से गुजरते 'मन्नार की खाड़ी' से 'बंगाल की खाड़ी' तक एक समुद्री रास्ते के निर्माण और संचालन हेतु आवश्यक सुविधाएं जुटाने और इस कार्य के लिए आवश्यक धन जुटाने की योजना है। जैसा कि सरकार का निर्णय है, इस परियोजना के लिए एससीआई सहित विभिन्न पीएसयू द्वारा इक्विटी के रूप में धन मुहैया कराया जाना है। एससीआई बोर्ड ने इस परियोजना में 50 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश से भागीदारी करने का फैसला लिया है। 22 मई, 2008 को एससीएल में एससीआई का पूंजी सहयोग 50 करोड़ रुपए है।
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