हाँगर
शार्क सिलैकिआई उपवर्ग की उपास्थियुक्त मछलियाँ हैं, जो संसार के सभी समुद्रों में पाई जाती हैं। इनके कंकाल में अस्थि की अनुपस्थिति तथा सिर के पिछले भाग में प्रत्येक ओर पाँच से सात गिलछिद्र, इन्हें अस्थिल मछलियों से अलग करते हैं। कुछ शार्क अंडे देते हैं, परंतु अधिकांश सजीवप्रजक होते हैं। शार्क में आंतरनिषेचन होता है। शार्क की त्वचा कोमल नहीं होती है। इसे छूने पर बिलकुल सैंड पेपर पर हाथ लगाने का अहसास होता है। यह छोटे-छोटे दाँतनुमा आकृतियों से ढँकी रहती है। समुद्री जानवरों में सबसे ज़्यादा होशियार भी होती है।
आकार
प्ररूपी शार्क मछलियाँ क्रियाशील तथा मछलियों को खानेवाली होती हैं और सामान्यत: नीले या हरे रंग की होती हैं। शार्क का शरीर बहुत लम्बा होता है जो शल्कों से ढका रहता है। इन शल्कों को प्लेक्वायड कहते हैं। इनकी त्वचा चिकनी होती है। त्वचा के नीचे वसा (चर्बी) की मोटी परत होती है। इसके शरीर में हड्डी की जगह उपास्थि (कार्टिलेज) पाई जाती है। शरीर नौकाकार होता है। इसका निचला जबड़ा ऊपरी जबड़े से छोटा होता है। अतः इसका मुँह सामने न होकर नीचे की ओर होता है जिसमें तेज दाँत होते हैं। यह एक माँसाहारी प्राणी है। शार्क के शरीर में देखने के लिए एक जोड़ी आँखें, तैरने के लिए पाँच जोड़े पखने और श्वांस लेने के लिए पाँच जोड़े क्लोम होते हैं। ग्रेट व्हाइट शार्क 15 वर्ष की युवा अवस्था में पूर्ण विकसित होकर लगभग 20 फीट से अधिक हो जाती है। टाइगर शार्क युवा अवस्था में लगभग 16 फीट की हो जाती है। इन दोनों को ही आक्रामक और घातक प्रजातियों में रखा जाता है।
तैरने का तरीका
शार्क में अन्य मछलियों की तरह गिल्स स्लिट पाई जाती हैं, जिनकी संख्या 10 होती है। ये पाँच-पाँच दोनों तरफ मौज़ूद होती हैं। शार्क के तैरने का तरीका बिलकुल अलग होता है। सबसे पहले यह सिर घुमाती है, उसके बाद शरीर और आखिर में अपनी लंबी पूँछ। शार्क की पूँछ नीचे से छोटी और ऊपर से बड़ी होती है। शार्क का आकार ऐसा होने से इसे तैरने में सहायता मिलती है।
बेहतरीन शिकारी
शार्क समुद्र के अन्य प्राणियों में सबसे बेहतरीन शिकारी होती है। यह अपने खतरनाक दाँत और बड़े-बड़े जबड़ों की सहायता से शिकार करती है। अपने दाँतों और जबड़ों से यह दूसरी मछलियों, कछुओं यहाँ तक की लकड़ी की नावों तक को काट देती है। टाइगर शार्क और सफ़ेद शार्क कभी-कभी मनुष्यों पर भी हमला कर देती हैं, लेकिन ज़्यादातर शार्क मनुष्यों से डरती हैं और उन्हें देख कर दूर चली जाती हैं। शार्क की नाक बहुत तेज होती है। वह कई सौ मीटर दूर पड़े किसी घायल जानवर या अन्य कोई दूसरे खाने की चीज का सूँघ कर पता लगा लेती है। वैसे तो सभी एनिमल थोड़ी-बहुत मात्रा में बिजली पैदा करते हैं, लेकिन मात्रा कम होने के कारण यह महसूस नहीं होती है। शार्क ही ऐसी मछली है, जिसमें बिजली महसूस की जा सकती है। इसके सिर पर मौज़ूद दो छेद एंटीने का काम करते हैं, जिससे इसे पता पड़ता है कि शिकार कहाँ छिपा हुआ है।
शार्क के प्रकार
शार्क बहुत प्रकार की होती हैं। कुछ शार्क को उनके आकार के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है जैसे- कुकीकटर शार्क, हेमरहेड शार्क, प्रिकली डॉम फिश शार्क, वूबबिगांग शार्क और ग्रेट व्हाइट शार्क।
- ह्वेल शार्क
ह्वेल शार्क सबसे बड़ा एवं अघातक शार्क है। इसका आकार 50 फुट से भी अधिक लंबा होता है। यह मनुष्यों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है, क्योंकि इसका प्रमुख भोजन समुद्री जीव तथा पौधे होते हैं। यह सबसे बड़ी ज्ञात मछली है। ह्वेल, जो मछली के आकार का होता है, वास्तव में मछली नहीं है। यह स्तनपायी वर्ग का एक जंतु है।
- बास्किंग शार्क
बास्किंग शार्क दूसरा अघातक शार्क है। यह आर्कटिक महासागर में पाया जाता है।
- निस्तुषी शार्क
निस्तुषी शार्क लगभग 15 फुट लंबा होता है। इसकी पूँछ विशेष रूप से लंबी होती है। यह भी अघातक शार्क है तथा समुद्री जल में यह हेरिंग तथा मैक्रेल मछलियों के समूहों का पीछा करते हुए पाया जाता है।
- सफ़ेद शार्क
बड़े शार्कों में एक, सक्रिय एवं बहुभोजी शार्क, सफ़ेद शार्क है। इसकी लंबाई 40 फुट तक हो सकती हैं, परंतु बहुधा इतना बड़ा सफ़ेद शार्क नहीं पाया जाता। साधारणत: पाए जाने वाले सफ़ेद शार्कों की लंबाई 20 से 30 फुट होती है। इसका रंग राख के रंग का होता है। इसकी निचली सतह केवल सफ़ेद होती है। यह मानवभक्षी शार्क गरम समुद्रों में पाया जाता है तथा कभी-कभी ही ठंडे जल में प्रवेश करता है। अन्य मानवभक्षी शार्क हैं- अयोधन शिर शार्क, रेत शार्क आदि।
- डॉग फिश
एक अन्य प्रकार का शार्क, जिसे डॉग फिश कहते हैं, आकार में तो छोटा होता है, परंतु यह मछुओं के कार्य में विशेष व्यवधान उपस्थित करता है।
- आरा शार्क
आरा शार्क इंडोपैसिफिक सागर में पाया जाता है। इसका प्रोथ आगे की ओर बढ़कर एक चौरस फलक बना देता है, जिसके दोनों ओर क्रम से दांत लगे रहते हैं।
उपयोग
शार्कों में केवल कुछ शार्क ही मानव खाद्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इनके सूखे पंखों से चीन में जिलेटिन बनाया जाता है। शार्क चर्म का उपयोग लकड़ी के बने सामानों को चिकना करने तथा जूता बनाने में भी किया जाता है। शार्कों का एक विशेष महत्व उनके यकृत में पाए जाने वाले तेल के कारण है, जिसमें विटामिन ए की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसका व्यापारिक नाम 'शार्क लिवर ऑयल' है। शार्क से सरेस तथा उर्वरक भी तैयार किया जाता है।
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