निरख सखी ये खंजन आए -मैथिलीशरण गुप्त

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
निशा (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:14, 23 सितम्बर 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
निरख सखी ये खंजन आए -मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त
कवि मैथिलीशरण गुप्त
जन्म 3 अगस्त, 1886
मृत्यु 12 दिसंबर, 1964
मृत्यु स्थान चिरगाँव, झाँसी
मुख्य रचनाएँ पंचवटी, साकेत, यशोधरा, द्वापर, झंकार, जयभारत
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ

निरख सखी ये खंजन आए
फेरे उन मेरे रंजन ने नयन इधर मन भाए
फैला उनके तन का आतप मन से सर सरसाए
घूमे वे इस ओर वहाँ ये हंस यहाँ उड़ छाए
करके ध्यान आज इस जन का निश्चय वे मुसकाए
फूल उठे हैं कमल अधर से यह बन्धूक सुहाए
स्वागत स्वागत शरद भाग्य से मैंने दर्शन पाए
नभ ने मोती वारे लो ये अश्रु अर्घ्य भर लाए।

संबंधित लेख