पा (फ़िल्म)
'चीनी कम' के बाद निर्देशक बाल्की ने अमिताभ बच्चन के साथ यह दूसरी फ़िल्म बनाई है, जो लीक से हटकर है। बाल्की अमिताभ को एक नये अंदाज़ में दर्शकों के सामने लाये हैं। यह पात्र सिर्फ़ अमिताभ ही बखूबी निभा सकते थे। बाल्की ने अमिताभ को एक नया रूप दिया है। 70 साल के बच्चन ने एक 12 साल के 'प्रोजोरिया' नामक बीमारी से पीड़ित बच्चे का पात्र निभाया है, जिसमें व्यक्ति अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा का दिखाई देता है। अमिताभ को अभिषेक बच्चन के बेटे के रूप में दिखाया गया है। मात्र 1.5 करो़ड रूपये की लागत से बनने वाली इस फिल्म ने 'सर्वश्रेष्ठ हिंदी फ़िल्म' का खिताब भी अपने नाम किया। निर्देशक बाल्की की फ़िल्म 'पा' को ख़ूब सराहा गया। 'पा' 'ए.बी. कॉर्प. लिमिटेड' की होम प्रोडक्शन फ़िल्म है।
कथानक
विदेश मे पढ़ते अमोल आप्टे (अभिषेक बच्चन) और विद्या (विद्या बालन) को कुछ मुलाक़ातों के बाद प्यार हो जाता है। अमोल एक बड़े राजनेता का बेटा है और खुद भी नेता बनना चाहता है। वहीं विद्या डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करना चाहती है। प्यार मे दोनों की नज़दीकियाँ कम होती हैं और अंत मे विद्या अमोल के बच्चे की माँ बनने वाली है। पर अमोल को अपने कैरियर की दौड़ में कोई रुकावट नहीं चाहिए। विद्या बच्चे को जन्म देती है, जो 'प्रोजोरिया' नाम की लाइलाज बीमारी से पीड़ित है।
12 साल की उम्र में 60 साल के बूढ़े जैसा दिखने वाला विद्या का बेटा ऑरो (अमिताभ बच्चन) दूसरे सामान्य बच्चों जैसा ही है। स्कूल में दूसरे बच्चों के साथ क्रिकेट खेलना, घर में नानी मां के साथ मौज मस्ती करना ऑरो की जिंदगी का हिस्सा है। ऑरो को हर वक़्त मन ही मन अपने पा की तलाश है। वहीं, दूसरी और अमोल अब सांसद बन चुका है। स्कूल में एक प्रतियोगिता के दौरान ऑरो की मुलाक़ात अमोल आप्टे से होती है, जो स्कूल के कार्यक्रम में ऑरो को पुरस्कार देते हैं। अमोल से मिलने के बाद ऑरो को उसमें अपनापन लगता है और दोनों एक दूसरे के नजदीक आते है, लेकिन ऑरो को अभी मालूम नहीं है कि अमोल ही उसके पा है। फिल्म की कहानी का नयापन और पेश करने का रोचक अंदाज दर्शकों को बांधकर रखता है।[1]
निर्देशन
निर्देशक बाल्की ने छोटे-छोटे दृश्यों के द्वारा हास्य, व्यंग्य और इमोशन प्रस्तुत किया है। फ़िल्म में भावनात्मक दृश्य की बहुत ही स्वाभाविक हैं। बाल्की ने इसके लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए और सीमा में रहकर बखूबी काम किया। कुछ दृश्यों में हँसी और आँसू एक साथ आते हैं।
फ़िल्म 'पा' में ऑरो और उसकी माँ (विद्या बालन) के रिश्ते को भी ख़ूबसूरती के साथ चित्रित किया गया है। ऑरो और उसकी नानी (अरुंधती नाग) की नोंकझोंक, ऑरो और उसके दोस्त विष्णु (प्रतीक) की बातचीत चेहरे पर मुस्कान लाती है।
स्वस्थ वातावरण
13 वर्षीय ऑरो की हालत 65 वर्षीय वृद्ध जैसी रहती है, लेकिन निर्देशक और लेखक आर. बाल्की ने फिल्म में उसके प्रति सभी का व्यवहार एक आम इंसान जैसा दिखाया है। स्कूल में ऑरो के साथ पढ़ने वाले उसके दोस्त उसकी हालत का कभी मज़ाक नहीं बनाते, न ही ऑरो को लाचार दिखाकर उसके प्रति हमदर्दी जताने की कोशिश की गई है।
ऑरो एक बेहद स्मार्ट बच्चा है। वह नेट पर चैटिंग करता है, गणित के सवाल चुटकियों में हल करता है, जैकी चेन की फ़िल्म देखता है और प्ले स्टेशन पर गेम खेलता है। ऑरो के पात्र को जिस तरह से हल्के-फुल्के अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है, वही इस फ़िल्म की विशेषता है।
13 वर्षीय ऑरो अपनी माँ और नानी के साथ रहता है। अपने पिता के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। स्कूल के पुरस्कार समारोह में ऑरो की मुलाकात युवा नेता अमोल आप्टे (अभिषेक बच्चन) से होती है और दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। बाद में ऑरो को पता चलता है कि अमोल ही उसके पा हैं। ऑरो का सपना है कि उसके माता-पिता फिर एक हो जाए और वह अपने मकसद में सफल होता है।
अभिनय
इस फिल्म को देखने के लिए अमिताभ बच्चन का अभिनय एक बहुत बड़ा कारण है। ऑरो के चरित्र को उन्होंने स्क्रीन पर जीवंत कर दिया है। अभिनय, बॉडी लैंग्वेज और आवाज़ में कहीं भी अमिताभ बच्चन नज़र नहीं आते। नि:संदेह अमिताभ उत्कृष्ट अभिनय के लिए बधाई और पुरस्कार के पात्र हैं। अभिषेक बच्चन ने युवा नेता के हाव-भाव अच्छी तरह से पेश किया है। एक अभिनेता के रूप में उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है। विद्या बालन का अभिनय भी प्रशंसनीय है। ऑरो की नानी के रूप में अरुंधती नाग का अभिनय बेहतरीन है।
संगीत
इलैया राजा का संगीत फिल्म की भावना और संवेदना के अनुरूप है। 'मुड़ी-मुडी' गीत लोकप्रिय हो चुका है।
मेकअप
क्रिस्टेन टिंस्ले और डामिनी टील का फ़िल्म में अहम योगदान है। इन्होंने अमिताभ का बेहतरीन मेकअप किया है। इस भूमिका लिए मेकअप करने में उन्हें पूरे पांच घंटे लगते थे। अमिताभ बच्चन को नये रूप मे पहचानना एक बार को बहुत ही मुश्किल है।
संवाद
फिल्म की कहानी अच्छी है। पूरी फ़िल्म ऑरो के इर्द-गिर्द ही घूमती है। फ़िल्म के संवाद और गीत फ़िल्म के अनुकूल हैं।
छायांकन
पी.सी. श्रीराम का छायांकन उल्लेखनीय है।
पुरस्कार
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने 57वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को फिल्म 'पा' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार प्रदान किया। बच्चन को चौथी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का 'राष्ट्रीय पुरस्कार' मिला है। इसके पहले उन्हें यह पुरस्कार 'सात हिंदुस्तानी', 'अग्निपथ' और 'ब्लैक' के लिए मिल चुका है। अमिताभ के पुत्र अभिषेक बच्चान द्वारा निर्मित 'पा' फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ मेकअप कलाकार का भी पुरस्कार जीता है। मात्र 1.5 करो़ड रूपये की लागत से बनने वाली इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का खिताब भी अपने नाम किया।[2]
ऑरो के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है। बाल्की ने एक बार फिर कुछ नया करके दिखाया है और कम से कम एक बार ज़रूर देखने लायक फिल्म है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पा (Paa Movie) (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 4 फ़रवरी, 2012।
- ↑ अमिताभ बच्चन को फिल्म "पा" के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 4 फ़रवरी, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
- पा
- अमिताभ बच्चन को फिल्म "पा" के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
- मेरे पा को मुझ पर गर्व है: विद्या
- Amitabh Bachchan
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