अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
फ़ौज़िया ख़ान (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:21, 3 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास
मलूकदास
मलूकदास
कवि मलूकदास
जन्म 1574 सन (1631 संवत)
मृत्यु 1682 सन (1739 संवत)
मुख्य रचनाएँ रत्नखान, ज्ञानबोध, भक्ति विवेक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मलूकदास की रचनाएँ

अब तेरी सरन आयो राम॥1॥
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक गुलाम॥4॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख