के. एम. करिअप्पा
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
- स्वतंत्र भारत की सेना के प्रथम कमाण्डर इन चीफ़ फ़ील्ड मार्शल करिअप्पा का जन्म 1899 ई. में दक्षिण में कुर्ग के पास हुआ था।
- मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से उन्होंने शिक्षा पूरी की और प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918 ई.) में उनका चयन सेना में हो गया।
- योग्यता और नेतृत्व के गुणों के कारण करिअप्पा बराबर प्रगति करते गए।
- सेना में कमीशन पाने वाले प्रथम भारतीयों में वे भी शामिल थे।
- अनेक मोर्चों पर उन्होंने भारतीय सेना का पूरी तरह से सफल नेतृत्व किया था।
- स्वतंत्रता से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सेना में ‘डिप्टी चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़’ के पद पर नियुक्त कर दिया था।
- देश के स्वतंत्र होने पर 1949 में उन्हें 'कमाण्डर इन चीफ़' बनाया गया था, इस पद पर वे 1953 तक रहे।
- सेना से सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में भारत के हाई-कमिश्नर के पद पर भी काम किया।
- इस पद से सेवानिवृत्त होने पर भी करिअप्पा सार्वजनिक जीवन में सदा सक्रिय रहते थे।
- करिअप्पा की शिक्षा, खेलकूद व अन्य कार्यों में बहुत रुचि थी।
- सेवानिवृत्त सैनिकों की समस्याओं का पता लगाकर उनके निवारण के लिए वे सदा प्रयत्नशील रहते थे।
- करिअप्पा के सेवा के क्षेत्र में स्मरणीय योगदान के लिए 1979 में भारत सरकार ने उन्हें ‘फ़ील्ड मार्शल’ की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया था।
- 1993 ई. में करिअप्पा का निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ