अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

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अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आई.एस.एस.) बाहरी अंतरिक्ष में अनुसंधान की सुविधा के लिये शोध स्थल है, जिसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया जा रहा है। वर्ष 1986 में रूस द्वारा प्रक्षेपित 'अंतरिक्ष स्टेशन मीर' को लागत के दबाव और सुरक्षा कारणों से 2001 में दक्षिण प्रशान्त महासागर में गिरा दिया गया। इसकी कमी को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान हेतु 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन' स्थापित करने की योजना बनायी गयी।

विशेषताएँ

आई.एस.एस. में एक एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के सौर पैनल होंगे, जिनसे मीर की तुलना में चार गुना अधिक विद्युत का उत्पादन किया जा सकेगा। इसे पृथ्वी से ऊपर 330 कि.मी. की ऊँचाई पर स्थापित किया गया है। दिसम्बर, 1988 में अंतरिक्ष यान एंडेवर के यात्रियों द्वारा एक रूसी और एक अमेरिकी मॉड्यूल को उतारना आई.एस.एस. की शुरुआत का संकेत था। तैयार होने के बाद, पृथ्वी का प्रत्येक 90 मिनट में एक चक्कर लगाने वाले आई.एस.एस. में कई कमरों वाला एक होटल होगा और अनुसंधान प्रयोगशाला भी होगी। यहाँ छ: से सात लोग स्थायी रूप से रह सकेंगे, जबकि विभिन्न देश के सदस्य देशों के अंतरिक्ष यात्री आते-जाते रहेंगे।

महत्त्व

आधुनिकतम सुविधाओं से सुसज्जित नये अंतरिक्ष केन्द्र का महत्त्व इस कारण अधिक होगा कि इसमें अंतरिक्ष में प्राप्त होने वाले सूक्ष्म गुरुत्व पर्यावरण के कई लाभ उपलब्ध होंगे। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आई.एस.एस.) के अंदर का गुरुत्व बल का मात्र दस लाखवाँ हिस्सा होगा। अनुसंधानकर्त्ताओं का कहना है कि पृथ्वी के गुरुत्व बल के अवरोध के बिना बुनियादी विज्ञान अनुसंधान में कई अन्य छुपी हुई प्रक्रियाएँ प्रकट हो जायेंगी। उदाहरण के लिए सूक्ष्म गुरुत्व के तहत किये जाने वाले अध्ययन बीमारियों के नये उपचार, बेहतर पदार्थों और मिश्रधातुओं के निर्माण तथा ईधनों के उपयोग के अधिक प्रभावी तरीके को बढ़ावा देंगे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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