नरेन्द्रनगर
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उत्तराखण्ड का यह छोटा सा नगर स्वयं में बडा इतिहास समेटे है। उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक और तीर्थ स्थल ऋषिकेश से मात्र 15 किलोमीटर दूर स्थित यह छोटा सा पर्वतीय पर्यटक स्थल 1903 में चर्चा में आया जब तत्कालीन टिहरी रियासत के राज नरेन्द्र शाह ने इसे अपने राज्य की राजधानी प्रतापनगर से हटकर नरेन्द्रनगर में बनाने का फैसला किया।
इतिहास
टिहरी रियासत की जनता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सामानान्तर टिहरी रियायत में भी राजशाही से मुक्ति के लिये संघर्षरत थी । तत्कालीन टिहरी रियासत की राजधानी प्रतानगर की तुलना में यह ब्रिटिश गढवाल (गढवाल रियासत का वह हिस्सा जो एक समझौते के तहत अंग्रजी शासन के अधीन था ) के रेल आदि आवगतन के अधिक सुविधाजनक स्थानो के समीप स्थित था। राज महल से एक किलोमीटर दूर राजभवन स्थापित किया गया जो भारतीय गणराज्य की स्वतंत्रता के उपरांत टिहरी रियासत को 1947-1948 में संयुक्त प्रांत में सम्मिलित होने पर पचास से अधिक वर्षो तका संयुक्त प्रान्त के पचासवें जनपद टिहरी गढवाल के जिला मुख्यालय के रूप में उपयोग किया गया। कालान्तर में जनपद टिहरी गढवाल की राजधानी टिहरी बांध के निर्माण के फलस्वरूप विस्थापन के उद्देश्य से बनाये गये नये टिहरी शहर न्यू टिहरी स्थानान्तरित हुयी। टिहरी रियासत के कार्मिकों के लिये नियोजित रूप से बनाये गये खूबसूरत भवनों की श्रंखला वर्तमान में इस छोटे नगर के मुख्य बाजार के रूप में उपयोग हो रहे हैं।
समीपवर्ती पर्यटक स्थल
कुंजापुरी मंदिर (सिद्धपीठ), नंदी बैल मंदिर आदि
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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