मुख्य चुनाव आयुक्त
मुख्य निर्वाचन आयुक्त | कार्यकाल का प्रारंभ | कार्यकाल समाप्ति |
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सुकुमार सेन | 21 मार्च 1950 | 19 दिसंबर 1958 |
के. वी. के. सुंदरम | 20 दिसंबर 1958 | 30 सितंबर 1967 |
एस. पी. सेन वर्मा | 1 अक्तूबर 1967 | 30 सितंबर 1972 |
डा. नागेन्द्र सिंह | 1 अक्तूबर 1972 | 6 फरवरी 1973 |
टी. स्वामीनाथन | 7 फरवरी 1973 | 17 जून 1977 |
एस. एल. शकधर | 18 जून 1977 | 17 जून 1982 |
आर. के. त्रिवेदी | 18 जून 1982 | 31 दिसंबर 1985 |
आर. वी. एस शास्त्री | 1 जनवरी 1986 | 25 नवंबर 1990 |
वी. एस. रमादेवी | 26 नवंबर 1990 | 11 दिसंबर 1990 |
टी. एन. शेषन | 12 दिसंबर 1990 | 11 दिसंबर 1996 |
एम. एस. गिल | 12 दिसंबर 1996 | 13 जून 2001 |
जे. एम. लिंगदोह | 14 जून 2001 | 7 फरवरी 2004 |
टी. एस. कृष्णमूर्ति | 8 फरवरी 2004 | 15 मई 2005 |
बी. बी. टंडन | 16 मई 2005 | 28 जून 2006 |
एन गोपालस्वामी | 29 जून 2006 | 20 अप्रैल 2009 |
नवीन चावला | 21 अप्रैल 2009 | 29 जुलाई 2010 |
शाहबुद्दीन याकूब कुरैशी | 30 जुलाई 2010 | अब तक जारी |
वी एस संम्पथ | 30 जुलाई 2010 | अब तक जारी |
मुख्य चुनाव आयुक्त अथवा मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चु्नाव करवाने का जिम्मेदार होता हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है। चुनाव आयोग के प्रमुख के रूप में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त / मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त / निर्वाचन आयुक्त होते हैं।
कार्यकाल
मुख्य चुनाव आयुक्त / मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। पहले ये 65 साल की उम्र तक होती थी। प्रोटोकाल में चुनाव आयुक्त / निर्वाचन आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता हैं। जब 1950 में चुनाव आयोग गठित हुआ तब से 15 अक्तूबर 1989 तक केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित यह एक एकल-सदस्यीय निकाय था। 16 अक्तूबर 1989 से 1 जनवरी 1990 तक यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया। 2 जनवरी 1990 से 30 सितम्बर 1993 तक यह पुनः एकल-सदस्यीय निकाय बन गया और फिर 1 अक्तूबर 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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