सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मंत्रालय केंद्र सरकार (भारत) के तहत एक शीर्ष संगठन है, जिसे अन्य केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र शासनों, संगठनों और व्यक्तियों से परामर्श करके देश में सड़क परिवहन व्यवस्था में गतिशीलता और कुशलता लाने के उद्देश्य से सड़क परिवहन, राष्ट्रीय राजमार्गों और परिवहन अनुसंधान के लिए नीतियां बनाने और उनके संचालन का कार्य सौंपा गया है।
मंत्रालय के पक्ष
इस मंत्रालय के दो पक्ष हैं-
- सड़क पक्ष
- परिवहन पक्ष
सड़क पक्ष
मंत्रालय का सड़क पक्ष देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और अनुरक्षण से संबंधित कार्य करता है।[1]
- जिम्मेदारियाँ
यह मंत्रालय निम्नलिखित के कार्यों के लिए जिम्मेदार है-
- देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की योजना, विकास और अनुरक्षण।
- राज्यीय सड़कों और अंतर्राज्यीय संपर्क और आर्थिक महत्व की सड़कों के लिए राज्य सरकारों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- देश में सड़कों और पुलों के लिए मानक विनिर्देश तैयार करना।
- सड़कों और पुलों से संबंधित तकनीकी जानकारी के भंडार के रूप में कार्य करता है।
परिवहन पक्ष
'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' का परिवहन पक्ष सड़क परिवहन से संबंधित मामलों पर कार्य करता है।[1]
- जिम्मेदारियाँ
यह मंत्रालय निम्नलिखित के कार्यों के लिए जिम्मेदार है-
- मोटर यान विधान।
- मोटर यान अधिनियम 1988 का प्रशासन।
- मोटर यान कराधान।
- मोटर यानों का अनिवार्य बीमा।
- सड़क परिवहन निगम अधिनियम, 1950 का प्रशासन।
- सड़क परिवहन के क्षेत्र में परिवहन कापरेटिव को बढ़ावा देना।
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के रुप में सड़क सुरक्षा मानक तैयार करना और वार्षिक सड़क सुरक्षा योजना तैयार करना और उसका कार्यान्वयन।
- सड़क दुर्घटना सांख्यिकी एकत्रित और संकलित करता है एवं उसका विश्लेषण करता है तथा जनता को शामिल करके और विभिन्न जागरुकता अभियानों का आयोजन करके देश में सड़क सुरक्षा संस्कृति के विकास के उपाय करता है।
- निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार गैर-सरकारी संगठनों को सहायता अनुदान प्रदान करता है।
सड़क और राजमार्ग
भारत में 3.3 मिलियन कि.मी. सड़क नेटवर्क है, जो विश्व में दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। परिवहन के क्षेत्र में सड़कों का स्थान अग्रणी है, क्योंकि वर्तमान अनुमान के अनुसार उन पर लगभग 65 प्रतिशत माल ढोया जाता है और 87 प्रतिशत यात्री यातायात होता है। सड़कों पर यातायात प्रतिवर्ष 7 प्रतिशत से 10 प्रतिशत की दर से बढ रहा है, जबकि वाहनों की संख्या में वृद्धि दर विगत कुछ वर्षों में प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत रही है।
सड़कें तथा प्राधिकरण
विभिन्न श्रेणी की सड़कें और उनके लिए जिम्मेदार प्राधिकरण इस प्रकार हैं-
- राष्ट्रीय राजमार्ग - केन्द्रीय सरकार (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के माध्यम से)
- राज्यीय राजमार्ग और प्रमुख ज़िला राजमार्ग - राज्य सरकार (लोक निर्माण विभाग)
- ग्रामीण सड़कें तथा शहरी सड़कें - ग्रामीण इंजीनियरी संगठन, स्थानीय प्राधिकरण, जैसे- पंचायतें और नगर पालिकाएं
मंत्रालय का लक्ष्य
'सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय', राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए सीधे जिम्मेदार है। अत: राष्ट्रीय राजमार्ग देश की जीवन रेखा है, जो देश के दूरतम कोनों तथा सुदूर सीमा क्षेत्रों को जोड़ते हैं। नेटवर्क में विस्तार किए जाने के अतिरिक्त राष्ट्रीय राजमार्ग की गुणता पर जोर दिया जा रहा है। अत: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक परियोजनाएं और कार्य शुरू किए हैं।[1]
स्वर्णिम चतुर्भुज
चार महानगरों- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई तथा कोलकाता को स्वर्णिम चतुर्भुज से जोड़ने तथा कन्याकुमारी को श्रीनगर से और पोरबंदर को सिलचर से जोड़ने वाले उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम महामार्गों के लिए मौजूदा राजमार्गों का उन्नयन करने हेतु राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) शुरू की गई हैं। इस परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्गों की लगभग 13,000 कि.मी. लंबाई को उन्नत करके चार/छह लेन का बनाना शामिल है और इसकी लागत 54,000 करोड़ रुपए आएगी। स्वर्णिम चतुर्भुज को पूरा करने के लिए 2003 तथा राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के लिए 2007 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। 'भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण', जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधीन एक संगठन है, को यह कार्य सौंपा गया था। यह अत्यंत महत्वाकांक्षी सड़क-निर्माण कार्य था और आधुनिक भारत के इतिहास में एक यादगार निर्माण परियोजना है तथा अल्प समयावधि में इस भारी भरकम कार्य का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' तथा इसके संगठन के लिए एक बड़ी चुनौती।
सड़क गुणवत्ता में सुधार
इसके अलावा अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों की सड़क गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अल्पकालिक कार्य शुरू किया गया है। सड़क गुणता में सुधार कार्य के अंतर्गत अगले पांच वर्षों में संपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के सुधार का लक्ष्य है। जिन राज्यों से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं, उन राज्यों की सरकारें, केन्द्र सरकार की ओर से कार्य पूरा कर रही हैं। पंचवर्षीय योजना तथा वार्षिक कार्यक्रम बनाने तथा राज्य लोक निर्माण विभागों को परियोजना तैयार करने में मार्गदर्शन करने एवं निर्माण कार्यों का अनुमोदन तथा कार्यों को पूरा करने की मानिटरिंग करने के लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार है। केन्द्र सरकार संपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को यातायात योग्य स्थिति में रखने के लिए भी जिम्मेदार है।[1]
राजमार्गों का रख-रखाव
सड़क क्षेत्र में नोडल मंत्रालय होने के नाते 'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' राष्ट्रीय राजमार्ग सहित सभी श्रेणी की सड़कों के लिए रख-रखाव मानदंड तैयार करने की पहल कर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्गों के रख-रखाव के लिए निधियों का आबंटन, जटिल संसाधन स्थिति को ध्यान में रखते हुए संभव सीमा तक किया जा रहा है। कुछ वर्ष पहले केन्द्र सरकार ने 5694 कि.मी. सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में घोषित किया था। इससे नौवीं योजना अवधि (1997 से आगे) में घोषित कुल राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 23,439 कि.मी. हो गई। राष्ट्रीय राजमार्गों पर कमियों को दूर करने के लिए संसाधनों की आवश्यकता 1650 बिलियन रुपया आंकी गई है। देश में सभी श्रेणी की सड़कों के लिए बढ़ते हुए वित्त की आवश्यकता की चुनौती से निपटने के लिए पेट्रोल पर एक रुपया प्रति लीटर उपकर लगाकर और डीजल पर एक रुपया प्रति लीटर उपकर लगाकर केन्द्रीय सड़क निधि में वृद्धि की गई है। कानूनी रूप देने के लिए केन्द्रीय सड़क निधि अधिनियम, 2000 दिनांक 27.12.2000 को अधिसूचित भी किया गया।
पेट्रोल तथा डीजल पर कर
केन्द्रीय सड़क निधि में पेट्रोल पर कुल 100 प्रतिशत कर और डीजल पर 50 प्रतिशत कर को निम्नलिखित रूप में वितरित किए जाने की व्यवस्था है-
- राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 57.5 प्रतिशत
- राज्यीय सड़कों के लिए 30 प्रतिशत
- रेल-सड़क क्रसिंगों पर सुरक्षा कार्यों के लिए 12.5 प्रतिशत
केन्द्रीय सड़क निधि
'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्यीय सड़कों के हिस्से की व्यवस्था के लिए जिम्मेदार है। डीजल पर 50 प्रतिशत उपकर का उपयोग ग्रामीण सड़कों के विकास के लिए किया जाएगा। अर्जित निधि से ग्रामीण सड़कों के विकास के लिए एक सघन कार्य शुरू किया गया। 'ग्रामीण विकास मंत्रालय', भारत सरकार इस कार्य के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय, आर्थिक एवं अंतरराज्यीय महत्व की सड़कों के अंतर्गत राज्यीय सड़कों में सुधार से संबंधित स्कीमों को भी अनुमोदित कर रहा है। नवीकृत केन्द्रीय सड़क निधि से राज्य के हिस्से की 10 प्रतिशत राशि, आर्थिक एवं अंतरराज्यीय महत्व की स्कीमों के लिए आबंटित की जाएगी। आर्थिक एवं अंतरराज्यीय महत्व की स्कीमों के लिए उपलब्ध धनराशि लगभग 100 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष होगी। मंत्रालय ऐसी स्कीमों के लिए मार्गनिदेश तैयार कर रहा है। इसके अलावा यह मंत्रालय कुछ सामरिक सड़कों तथा सुदूर एवं अगम्य क्षेत्रों में कतिपय चुनिंदा सड़कों के लिए राज्य सरकारों और सीमा सड़क विकास बोर्ड को भी धनराशि उपलब्ध कराता है।[1]
देश का नोडल मंत्रालय
'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' देश में सड़क क्षेत्र में एक नोडल मंत्रालय है और राजमार्ग इंजीनियरी तथा परंपरा के विभिन्न पहलुओं के बारे में तकनीकी परिपत्र जारी करके उत्तम सड़कों के निर्माण और रख-रखाव के लिए विभिन्न राज्यों का मार्गदर्शन करता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क और पुल निर्माण कार्यों, विभिन्न प्रकार के पुलों, पुलियों एवं जंक्शनों के लिए मानक ड्राइंगों की विशिष्टियां तैयार की हैं। केन्द्र सरकार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के माध्यम से प्रौद्योगिकी के उन्नयन तथा निर्णय प्रकिया के लिए विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई है। केन्द्र सरकार, एशियाई राजमार्ग जैसे राजमार्ग संपर्क विकसित करने के क्षेत्र में सक्रिय सहयोग कर रही है। 'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' ने राजमार्ग इंजीनियरी के क्षेत्र में सहयोग के लिए मलेशिया तथा फ्रांस के संबंधित मंत्रालयों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए हैं। समग्र परिवहन क्षेत्र में बहुत से मामलों में सहयोग के लिए 'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय', भारत के लिए नोडल मंत्रालय है।
परियोजनाएँ
'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय' संसाधनों में वृद्धि के लिए सड़क संबंधी आधारभूत ढांचागत परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी में भी अग्रणी रहा है। इस समय लगभग 1000 करोड़ रुपए लागत की 20 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं निर्माण अथवा प्रचालन के विभिन्न चरणों में हैं। 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली बड़ी बी ओ टी परियोजनाओं, 100 करोड़ रुपये तक की लागत की छोटी बी ओ टी परियोजनाओं और वार्षिकी आधारित परियोजनाओं के लिए आदर्श रियायत करार को अंतिम रूप दिया जा चुका है। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढेग़ी। इस मंत्रालय के पास 'भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण' (NHAI), 'राष्ट्रीय राजमार्ग इंजीनियर प्रशिक्षण संस्थान' (NITHE), 'भारतीय सड़क कांग्रेस' (IRC) और 'भारतीय राष्ट्रीय ग्रुप - अंतर्राष्ट्रीय पुल और संरचना इंजीनियर संस्था' (ING-IABSE) की प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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