इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान
इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान
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विवरण | 'इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान' श्रीनगर में स्थित कई प्रसिद्ध बाग़ों में से एक है। पहले इस उद्यान को 'सिराज बाग़' से नाम से जाना जाता था। |
ज़िला | श्रीनगर |
राज्य | जम्मू-कश्मीर |
क्षेत्रफल | यह उद्यान कुल 90 एकड़ के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। फूलों के मौसम में इस बगीचे में कम से कम 13 लाख ट्यूलिप बल्ब एक बार में खिलते हैं। |
विशेष | प्रत्येक वर्ष यहाँ अप्रैल के पहले हफ्ते में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा 'ट्यूलिप समारोह' मनाया जाता है। वर्ष 2007 में पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से यह उत्सव शुरू किया गया। 2008 में इसका विधिवत उद्घाटन हुआ। |
अन्य जानकारी | उद्यान पर्यटन के साथ-साथ व्यावसायिक गतिविधियों का भी केंद्र है। यहाँ उगाए जाने वाले ट्यूलिप मुंबई, दिल्ली, बंगलुरू और हैदराबाद के अलावा देश के अन्य कोनों में भी भेजा जाते हैं। |
इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित है। डल झील के किनारे जबरवान पहाडि़यों की चोटियों पर स्थित यह उद्यान बेहद आकर्षक और लुभावना है। प्रत्येक वर्ष 7 दिन तक यहाँ 'ट्यूलिप समारोह' चलता है, जिसमें 70 किस्मों से भी अधिक ट्यूलिप देखने को मिलते हैं। यह उद्यान श्रीनगर में स्थित कई उद्यानों में सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
उद्यान की कल्पना
स्थानीय लोगों में 'सिराज बाग़' के नाम से लोकप्रिय 'इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान' की कल्पना सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के दिमाग में आई थी। यह प्रसिद्ध उद्यान पर्यटन के साथ-साथ व्यावसायिक गतिविधियों का भी केंद्र है। यहाँ विभिन्न प्रकार के उगाए जाने वाले ट्यूलिप मुंबई, दिल्ली, बंगलुरू और हैदराबाद के अलावा देश के अन्य कोनों में भी भेजा जाते हैं।
क्षेत्रफल
यह उद्यान कुल 90 एकड़ के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। फूलों के मौसम में इस बगीचे में कम से कम 13 लाख ट्यूलिप बल्ब एक बार में खिलते हैं। इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान, शालीमार बाग़, निशात बाग़, चश्म-ए-शाही बाग़ और अन्य मुग़ल बाग़ के पास ही स्थित है।
विश्व प्रसिद्ध डल झील के किनारे विकसित 'इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान' में ट्यूलिप की 70 से अधिक किस्में हैं, जिनका हॉलैंड से आयात किया गया है। पहले इस उद्यान को 'सिराज बाग़' से नाम से जाना जाता था। यह ट्यूलिप उद्यान 2008 में खोला गया था। उद्यान स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य कश्मीर की घाटी में पर्यटकों के मौसम को जल्दी शुरू करना था। यह उद्यान 20 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। अब उद्यान का विस्तार और भी अधिक होने की उम्मीद है, क्योंकि जबरवान पहाड़ी का और इसका इलाका ट्यूलिप उद्यान के विस्तार के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, अपितु उन स्थानीय युवकों को रोजगार भी मिलेगा, जिन्होंने कृषि और बाग़बानी से संबद्ध क्षेत्रों में डिग्रियां प्राप्त की हैं।
ट्यूलिप समारोह
प्रत्येक वर्ष यहाँ अप्रैल के पहले हफ्ते में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा 'ट्यूलिप समारोह' मनाया जाता है। 'इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान' में एक साथ 70 से भी ज्यादा प्रजातियों के करीब 13 लाख से भी ज्यादा रंग-बिरंगे ट्यूलिप देखने को मिल जाते हैं। वर्ष 2007 में पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से उत्सव शुरू किया गया। 2008 में इसका विधिवत उद्घाटन हुआ। साथ ही यहाँ दुनिया भर से ट्यूलिप की नये प्रजाति को लगाने का भी कार्य हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार सिर्फ इस समारोह के समय करीब चार हज़ार पर्यटक प्रतिदिन यहाँ आते हैं। पूरे समारोह के दौरान यहाँ दो लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं। यह एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप समारोह माना जाता है। दिन-प्रतिदिन इस समारोह की प्रसिद्धि बढ़ती ही जा रही है।
शानदार बग़ीचा
'इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान' की गिनती विश्व के खूबसूरत बगीचों में की जाती है। हर वर्ष कई नई किस्मों के फूलों के पौधों को यहाँ लगाया जाता है। आम आदमी ही नहीं, फ़िल्म उद्योग भी इस बगीचे से प्रभावित होने से नहीं बच पाया है। यहाँ पर कई हिन्दी और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों की शूटिंग हो चुकी है। हालैंड से लाये गये रंग-बिरंगे फूल यहाँ खिले रहते हैं। विश्वभर के पर्यटक इस उद्यान की सुंदरता की ओर आकर्षित होते हैं। यहाँ तक कि कश्मीर की घाटी से लौटने के बाद भी पर्यटकों के मस्तिष्क में ट्यूलिप बाग़ की सम्मोहित करने वाली सुंदरता की याद ताजा बनी रहती है।
प्रवेश शुल्क
'इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान' में प्रवेश के लिए बड़ों को 50 रुपये और बच्चों को 20 रुपये देने पड़ते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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