हम लाये हैं तूफ़ान से
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हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के प्रसिद्ध कवि और गायक प्रदीप का लिखा हुआ देशभक्ति की भावना से ओतप्रेत गीत है। कवि प्रदीप पर महात्मा गाँधी का बड़ा प्रभाव था, इसीलिए उन्होंने गाँधी जी की छटा, छवि और श्रद्धा सहज भाव से इस गीत में समर्पित कर दी थी। यह गीत अपने समय के मशहूर गायक मोहम्मद रफ़ी ने गाया था।
रचना
‘नास्तिक’ फ़िल्म की अपूर्व सफलता के बाद 'फ़िल्मिस्तान स्टूडियो' ने अपनी दूसरी फ़िल्म ‘जागृति’ (1954) के गीत भी लिखने के लिए प्रदीप को सौंप दी थी। उन्होंने फ़िल्म की कहानी पढ़ी, जो स्कूल में पढ़ने वाले शैतान बच्चों की थी। स्थिति-परिस्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने स्वभाव और प्रकृति के अनुकूल एक नई परिस्थिति पैदा कर दी, जिससे की फ़िल्म की, विषय के अनुरूप आवश्यकता पूर्ति हो गई। यहाँ यह उल्लेख प्रासंगिक होगा कि प्रदीप पर महात्मा गाँधी का बड़ा प्रभाव था, इसीलिए उन्होंने गाँधी जी की छटा, छवि और श्रद्धा सहज भाव से इस गीत में समर्पित कर दी।
मोहम्मद रफ़ी द्वारा गायन
आज़ादी मिलना ही काफ़ी नहीं होता, उसे सुरक्षित रखना भी देशवासियों का कर्तव्य होता है। इस कर्तव्य को मधुर आवाज़ देते हुए मोहम्मद रफ़ी ने 'फ़िल्म जागृति' के इस गीत को गाया। इस गीत के साथ ही फ़िल्म 'जागृति' के अन्य गीत भी प्रसिद्ध हुए थे। शोक और हर्ष के एक ही मुखड़े के दो गीत कवि प्रदीप ने लिखे- ‘चलो चलें माँ, सपनों के गाँव में। काँटों से दूर कहीं फूलों की छाँव में।' सरल, लचीली और सामान्य भाषा का प्रयोग करते हुए प्रसाद गुण से सम्पन्न, शांत रस प्रधान एक अन्य गीत भी प्रदीप ने लिखा और गाया- ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की, इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।‘ इस प्रकार प्रदीप ने शिक्षाप्रद एवं देशभक्ति प्रधान गीत लिखकर ने केवल फ़िल्म को ही ऊँची दिशा दी वरन देशभक्ति के अपने गीतों की पताका को और ऊँचा फहरा दिया।
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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