कर्ण संदर्भ

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कर्ण महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा, अर्जुन के प्रतिद्वंदी और युद्ध के अंतिम दिनों में कौरवों की सेना के सेनापति कर्ण कुंती के कुमारी अवस्था में उत्पन्न हुए थे। कुंती की सेवा से प्रसन्न दुर्वासा ऋषि ने उसे एक मंत्र दिया था जिससे वह किसी का भी आह्वान करके उसे अपने पास बुला सकती थी। उत्सुकतावश कुंती ने सूर्य का आह्वान किया और उसके सहवास से कर्ण गर्भ में आ गया। लोकलाज के भय से शिशु को उसने एक पिटारी में रखकर नदी में बहा दिया। वह पिटारी सूत अधिरथ और उसकी पत्नी राधा को मिली और उन्होंने पुत्रवत बालक का लालन-पालन किया। इसी कारण कर्ण को 'सूत-पुत्र और 'राधेय' भी कहा गया है। इनके अतिरिक्त कर्ण को 'वसुषेण' तथा 'वैकर्तन' नाम से भी जाना जाता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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