कोलकाता की प्रशासनिक व्यवस्था
कोलकाता शहर में शासन का दायित्व कोलकाता नगर निगम का है; शहर के 100 वार्डों से चुने हुए प्रतिनिधि निगम की सभा का निर्माण करते हैं। निगम पार्षद हर वर्ष एक महापौर, एक उपमहापौर और निगम की गतिविधियाँ चलाने के लिए कई समितियों का चुनाव करते हैं। निगम का कार्यकारी प्रमुख आयुक्त, निर्वाचित सदस्यों के प्रति उत्तरदायी होता है। शहर भी कोलकाता महानगर ज़िले का एक भाग है, जिसे क्षेत्रीय आधार पर योजना बनाने और विकास के पर्यवेक्षण के लिए बनाया गया था।
पश्चिम बंगाल की राजधानी होने के कारण कोलकाता शहर के ऐतिहासिक राजभवन में राज्यपाल निवास करते हैं। राज्य विधानसभा भी यहीं पर सचिवालय के साथ राइटर्स बिल्डिंग में स्थित है और कोलकाता उच्च न्यायालय भी यहीं पर है। कई राष्ट्रीय शासकीय संस्थाएँ कोलकाता में ही स्थित हैं, जिनमें नेशनल लाइब्रेरी, भारतीय संग्रहालय, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण शामिल हैं।
सेवाएँ
कोलकाता शहर में पाल्टा स्थित मुख्य जल संयंत्र के साथ-साथ लगभग 200 मुख्य कुओं और 3,000 छोटे कुओं से स्वच्छ जल की आपूर्ति की जाती है। कोलकाता से 386 किलोमीटर दूर गंगा नदी पर बना फरक्का बाँध सामान्यतः शहर में लवणयुक्त जलापूर्ति सुनिश्चित करता है। किन्तु जलापूर्ति की अपर्याप्तता के कारण गर्मी के महीनों में लवणता की समस्या बनी रहती है। इसके अतिरिक्त अग्निशमन को दिए जाने वाले अस्वच्छ जल का उपयोग भी यहाँ के अनेक निवासी अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करते हैं। कोलकाता निगम क्षेत्र में सैकड़ों किलोमीटर में मल निकासी व्यवस्था व सतही जल निकासी व्यवस्था है, लेकिन इसके अनेक हिस्सों में आज तक मल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। गाद के जमाव ने कई निकासी नालियों को सकरा बना दिया है। कूड़ा हटाने और फेंकने की व्यवस्था भी संतोषजनक नहीं है।
कोलकाता में बिजली की आपूर्ति विभिन्न स्रोतों से होती है, जिनमें कोलकाता विद्युत प्रदाय निगम, पश्चिम बंगाल राज्य विद्युत मण्डल, दुर्गापुर परियोजना, बंडल ताप बिजलीघर, संतालडीह बिजलीघर और दामोदर घाटी निगम ग्रिड शामिल हैं। हालाँकि अभी भी उत्पादन क्षमता और माँग के बीच अन्तर है, जिसे हाल के वर्षों में कुछ हद तक कम किया गया है। कोलकाता पुलिस बल का प्रशासन शहर के पुलिस आयुक्त के अधिकार क्षेत्र में है, वही उपनगरीय पुलिस बल को निर्देशित करता है। नगर को चार पुलिस क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। अग्निशमन मुख्यालय मध्य कोलकाता में है।
स्वास्थ्य
कोलकाता से चेचक का पूर्णतया उन्मूलन कर दिया गया है और मलेरिया व आंत्रशोथ से होने वाली मौतों को भी बहुत हद तक नियंत्रित कर लिया गया है। क्षयरोग के मामले भी कम हो गए हैं। कोलकाता नगर निगम और सेवार्थ न्यासों द्वारा चलाए जा रहे सैकड़ों अस्पताल, निजी चिकित्सालय, निःशुल्क औषधालय और राज्य द्वारा चलाए जा रहे बहुउद्देश्यीय अस्पताल (पॉलीक्लीनिक) कोलकाता क्षेत्र में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। 1979 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा द्वारा 1948 में स्थापित एक संस्था, द आर्डर आफ़ मिशनरीज़ आफ़ चैरिटी, शहर के सबसे विपन्न वर्गों के नेत्रहीन, वृद्ध, मरणासन्न और कुष्ठ रोगियों की देखभाल करती है। शहर में चिकित्सकीय शोध केन्द्र के अतिरिक्त कई चिकित्सा महाविद्यालय भी हैं। प्रति 1,000 व्यक्तियों पर चिकित्सों की संख्या देश के अधिकांश भागों से कोलकाता में अधिक है, किन्तु उनका वितरण असमान है; चूँकि यह शहर भारत के सम्पूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र का चिकित्सा केन्द्र है, अतः स्वास्थ्य सेवाओं पर हमेशा अत्यधिक दबाव रहता है।
सांस्कृतिक जीवन
कोलकाता भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक केन्द्र है। यह आधुनिक भारत के साहित्यिक एवं कलात्मक विचारों और भारतीय राष्ट्रवाद का जन्मस्थल है और यहाँ के नागरिकों द्वारा भारतीय संस्कृति व सभ्यता के संरक्षण के प्रयास की मिसाल देश में अन्यत्र नहीं मिलती। सदियों से पूर्व और पश्चिमी सांस्कृतिक प्रभावों के सम्मिमिश्रण ने असंख्य विविध संगठनों के निर्माण को प्रेरित किया, जिन्होंने कोलकाता के सांस्कृतिक जीवन में योगदान किया। इनमें एशियाटिक सोसाइटी, बंगीय साहित्य परिषद, रामकृष्ण मिशन सांस्कृतिक संस्थान, ललित कला अकादमी, बिड़ला कला एवं सांस्कृतिक अकादमी और महाबोधि सोसाइटी शामिल हें। नंदन, नज़रूल मंच और गिरीश मंच नई और सर्वाधिक सक्रिय संस्थाएँ हैं शहर का एक प्रमुख आकर्षण है, साइन्स सिटी, एशिया में अपने प्रकार का सबसे पहला शहर है।
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