अक्षय कुमार
अक्षय कुमार (अंग्रेज़ी: Akshay Kumar, मूल नाम: राजीव भाटिया, जन्म: 9 सितम्बर, 1967) बॉलीवुड के प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता हैं। अक्षय कुमार 100 से अधिक हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय कर चुके हैं। 90 के दशक में हिट एक्शन फिल्मों जैसे खिलाड़ी (1992), मोहरा (1994) और सबसे बड़ा खिलाड़ी (1995) में अभिनय करने के कारण, अक्षय कुमार को बॉलीवुड का एक्शन हीरो की संज्ञा दी जाती थी और विशेषतः ये "खिलाड़ी श्रृंखला" के लिए जाने जाते हैं। इसलिए इन्हें खिलाड़ी कुमार भी कहा जाता है। कई बार फ़िल्मफेयर पुरस्कारों में नामित होने के अतिरिक्त दो बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार [सर्वश्रेष्ठ खलनायक- अज़नबी (2002) और सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता 'गरम मसाला' (2005)] ले चुके हैं। वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हैं।
जीवन परिचय
अक्षय कुमार का असली नाम राजीव भाटिया है। उनका जन्म पंजाब के अमृतसर में 9 सितंबर, 2017 को हुआ था, उनके पिता सरकारी नौकरी में थे। अक्षय का बचपन दिल्ली के चांदनी चौक गलियों में बीता। अक्षय ने अपनी पढ़ाई डोन बोस्को स्कूल और खालसा कॉलेज से की है। अक्षय को बचपन से ही स्पोटर्स का काफी शौक था, मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए अक्षय बैंकॉक गए और वहां उन्हें शेफ की नौकरी मिल गई। हालांकि उनका सपना था आर्मी में या नेवी में जाने का। अभिनय के बारे में तो अक्षय ने कभी सोचा भी नहीं था।
बैंकॉक में बने वेटर
अक्षय ने खाना बनाने से लेकर कार्ड बेचने तक का काम किया। अपनी जरूरत पूरी करने के लिए उन्होंने कई छोटे काम भी किए। बैंकॉक से काम की तलाश में अक्षय को बांग्लादेश भी जाना पड़ा, वहां से कोलकाता जाकर अक्षय ने एक ट्रेवल एंजेसी में भी काम किया। कोलकाता से अक्षय मुंबई पहुंचे जहां वो कुंदन के गहने बेचने लगे।
'अक्षय' नाम
मुंबई में अक्षय मशहूर फोटोग्राफर जयेश के पास गए और उनको अपना असिटेंट बनाने के लिए कहा। अक्षय जयेश की मदद के लिए लाइट उठाने तक का काम करने लगे। काम के दौरान वो गोविंदा की कुछ फोटोज उन्हें देने गए। उस वक्त गोविंदा अक्षय को देखकर कहा कि तू हीरो क्यों नहीं बनता, ये सुनकर अक्षय के दिल में ये बात घर कर गई कि वो भी हीरो बन सकते हैं। 1990 में उन्होंने एक्टिंग का कोर्स भी किया, जिसके बाद उन्हें एक फिल्म 'आज' का ऑफर मिला, जब फिल्म रिलीज हुई तो पता चला कि उनका रोल सिर्फ 7 सेकेंड का था। इस फिल्म में हीरो का नाम था अक्षय। उसी वक्त राजीव भाटिया यानी अक्षय ने अपना बदलकर उस फिल्म के हीरो के नाम पर अक्षय रख लिया, तो इस तरह राजीव भाटिया, अक्षय कुमार बन गए। अक्षय अपना पोर्टफोलियो लेकर हर स्टूडियो के चक्कर लगा रहे थे, लेकिन कोई मायूसी की हाथ लग रही थी, उन्हीं दिनों अक्षय की मुलाकात मेकअप मैन नरेंद्र से हुई। नरेंद्र ने जब अक्षय को देखा तो उनका पोर्टफोलियो लेकर एक निर्देशक के पास गए और उसी दिन अक्षय की किस्मत बदल गई। उन्हें एक दिन 3 फिल्मों का ऑफर मिला और साथ में 5100 रुपए का साइनिंग अमाउंट भी। हीरो के तौर पर अक्षय को पहली फिल्म मिली सौगंध। उसके एक साल बाद अक्षय की फिल्म खिलाड़ी रिलीज हुई, जिस फिल्म ने सच में अक्षय को बॉलीवुड का खिलाड़ी बना दिया।[1]
फ़िल्मी कॅरियर
1991 की फिल्म 'सौगंध' के साथ ही अक्षय कुमार ने बॉलीवुड में अपने अभिनय की शुरुआत की। फिर बाद में 1992 में उन्होंने एक सफल फिल्म खिलाडी में अभिनय किया। 1994 में उन्होंने अपनी पहली एक्शन फिल्म 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी' और फिर 'मोहरा' में अभिनय किया, जो उस समय साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म भी मानी गयी थी। अक्षय की फिल्म 'मोहरा' एक ऐसी शानदार फिल्म साबित हुई जिसने अक्षय को आमजन के लिए मशहूर कर दिया और इसकी एक दूसरी वजह थी इस फिल्म का एक गाना 'तू चीज बड़ी है मस्त मस्त' जो युवाओं में कमाल का ट्रेंड बन गया था। उन्होंने यश चोपड़ा की फिल्म ‘यह दिल्लगी’ की जिसकी सफलता ने उन्हें फिल्म जगत में शिखर पर पहुंचाया और इसी फिल्म के लिए फिल्मफेयर में बेस्ट एक्टर के लिए नामित किया गया था। बाद में इसी साल अक्षय ने दो सफल फिल्म 'सुहाग' और 'एलान' का निर्माण किया। 1995 में, उन्होंने एक हिट फिल्म 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' में अभिनय किया। खिलाड़ी सीरीज की हर फिल्म ने उन्हें बड़ी सफलता दिलाई। बाद में 1996 में खिलाड़ी सीरीज की एक और फिल्म 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी' की जो फिर से साल की सबसे सफल और हिट फिल्म बनी। 1997 में, अक्षय ने 'दिल तो पागल है' में सहायक कलाकार की भूमिका निभाई, जिसके लिए उनका नाम फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ सह-कलाकार की सूची में शामिल किया गया और बाद में खिलाड़ी सीरीज की एक और फिल्म 'मिस्टर & मिसेस खिलाड़ी' में उन्होंने हास्य-अभिनेता की भूमिका निभाई। 1999 में, उन्होंने दो फिल्म 'संघर्ष' और 'जानवर' की, जिन्होंने उस समय ज्यादा कमाई तो नहीं की लेकिन आलोचकों की नज़रों में सफल रही। साल 2000 में, उन्होंने अपनी कॅरियर की टर्निंग पॉइन्ट फिल्म 'हेरा फेरी' में अभिनय किया जिसे दर्शकों ने बहुत प्यार दिया। बाद में उसी साल इन्होंने एक रोमांटिक फिल्म 'धड़कन' की जो सफल रही। 'हेराफेरी' फिल्म में अक्षय की कमाल की भूमिका रही जिसमें उनकी हरकतों और पागलपंती ने दर्शकों को पेट फाड़ कर हंसने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद लोगों को लगने लगा कि अक्षय न केवल एक्शन फिल्में कर सकते हैं बल्कि वो दूसरी फिल्में भी करने का दम रखते हैं। साल 2001 में, अक्षय कुमार ने पहली बार अजनबी फिल्म में विलेन (नेगेटिव किरदार) की भूमिका निभाई। उस फिल्म में उनके अभिनय के लिए बहुत तारीफ़ की गयी और इस लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट विलेन का अवार्ड भी दिया गया। इसके बाद अक्षय कुछ ड्रामेटिक किरदार निभाने लगे। इस किरदार में वे 2001 की एक रिश्ता, 2002 की आँखें, 2005 की 'बेवफा' और 'वक़्त' जैसी फ़िल्में कीं। साल 2006 में, उन्होंने हेरा फेरी की सीरीज वाली 'फिर हेरा फेरी' में अभिनय किया। फिर हेरा फेरी को बॉक्स-ऑफिस पर एक बड़ी सफलता मिली। उसी साल के अंत में, उन्होंने एक और हास्य-फिल्म 'भागम भाग' की जिसे फिर से बड़ी सफलता मिली।
वर्ष 2007 के बाद हुए सुपरस्टार
वर्ष 2007 अक्षय कुमार के लिए उनके कैरियर का इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा सफल वर्ष रहा और बॉक्स ऑफिस विश्लेषकों के अनुसार “शायद एक अभिनेता के लिए चार सीधे हिट और बिना किसी फ्लॉप के शानदार वर्ष रहा।" उनकी पहली रिलीज, नमस्ते लंदन, आलोचनात्मक दृष्टि व कामर्शियल दृष्टि से सफल रही। आलोचक तरण आदर्श ने फ़िल्म में उनके प्रदर्शन के बारे लिखा कि “वे निश्चित रूप से फ़िल्म देखने वाले लाखों दर्शकों का मन अपनी इस फ़िल्म के जरिये लेंगे।” उनकी दो अगली रिलीज 'हे बेबी' और 'भूल भुलैया' दोनों बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई। इस वर्ष का अक्षय कुमार के लिए आखिरी रिलीज “वेलकम” थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर ब्लोकबस्टर प्रदर्शन किया जिससे अक्षय कुमार पांचवीं लगातार हिट फ़िल्म देने वाले हीरो बन गए, क्योंकि नमस्ते लंदन से पहले पिछली साल इनकी आखिरी फिल्म 'भागमभाग' थी जो सुपर हिट रही थी। वर्ष 2007 में कुमार की जितनी भी फिल्में रिलीज हुई सभी ने विदेशी बाजार में भी अच्छा प्रदर्शन किया। अक्षय कुमार ने सन् 2008 में अपना होम प्रोडक्शन खोला जिसका नाम अपने पिता के नाम पर 'हरी ओम प्रोडक्शंस' रखा।
कई हिरोइनों के साथ जुड़ा नाम
अक्षय कुमार का नाम कई हिरोइनों के साथ भी जुड़ा। रवीना टंडन और शिल्पा शेट्टी के साथ रिश्तों को लेकर कई खबरें उस दौर के अखबारों और फिल्मी पत्रिकाओं की सुर्खियां बनीं। 2001 में अक्षय कुमार ने अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना से शादी कर ली। अक्षय कुमार ने जिस ट्विंकल खन्ना से शादी की है वो राजेश खन्ना की बेटी हैं और उन पुराने दिनों की बात करें तो राजेश खन्ना ने जब घोषणा की कि वो 'जय शिव शंकर' फिल्म बनाने वाले है और उसमे जितेन्द्र और डिंपल कपाडिया को लिया गया है और एक युवा अभिनेता की उन्हें तलाश है तो अक्षय कुमार उनके पास काम मांगने के लिए गये थे लेकिन बहुत देर के इन्तजार के बाद भी क्योंकि राजेश उस समय पहले से आये हुए लड़कों से इंटरव्यू ले रहे थे और उसके बाद देर हो जाने की वजह से उनका नंबर नहीं आया लेकिन उस समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि अक्षय अपनी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचेंगे कि एक दिन स्टार बनेंगे और उन्हीं राजेश खन्ना के दामाद बनेंगे।
सकारात्मक सोच के धनी
अक्षय के अनुसार उन्होंने कभी नहीं सोचा था वो एक स्टार बनेंगे और चूँकि वो मुम्बई अपने मार्शल आर्ट्स को पेशा बनाने के लिए आये थे लेकिन किसी की सलाह पर उन्होंने अपना ध्यान मोडलिंग में लगाया और जब सफल मॉडल बने तो उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए बारे में भी आईडिया आया और पंजाबी बॉय होने के साथ साथ अक्षय अपनी फॅमिली को भी बहुत मानते हैं। उनके अनुसार दिन की शुरुआत अपने माता पिता के चरणों को छूकर ही करनी चाहिए और ऐसा जो करता है सफलता उसके कदम चूमती है। अक्षय मानते हैं कि ज़िन्दगी में जो कुछ भी होता है सब अच्छे के लिए होता है बशर्ते आपका उस चीज के लिए नजरिया सकारात्मक हो और यह मानने के पीछे भी अक्षय एक याद को ताजा करते हुए कहते हैं कि एक बार उन्हें मॉडलिंग के सिलसिले में बंगलौर जाना था और ऐसे में फ्लाइट का समय सुबह का सात बजे का था लेकिन अक्षय ने इसे शाम का सात बजे समझ लिया और इसी चक्कर में सुबह उठने के बाद जब वर्कआउट करने लगे तो फ़ोन आता है कि आपने फ्लाइट मिस कर दी है क्योंकि वो सुबह की थी न कि शाम की और शाम में जब मैं मॉडल के काम के सिलसिले में किसी को अपनी फोटो दिखाने के लिए गया तो प्रमोद जी ने मुझे एक फिल्म ऑफर की और पांच हजार का चेक मेरे हाथ में दे दिया और मुझे उसी समय देखने पर ख्याल आया कि अगर मैंने वो फ्लाइट ली होती तो शायद ही मैं आज एक्टिंग करने के लिए ऑफर किया जाता। इसी बात को याद करते हुए अक्षय कई मौकों पर कहते हुए दिख जाते हैं कि हम असल में कुछ खास नहीं करते हैं क्योंकि भगवान् ही सबसे बड़ा स्क्रिप्ट राइटर है कभी कभी वो कमाल कर देता है।
सम्मान एवं पुरस्कार
- फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक- 'अज़नबी' (2002)
- फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता- 'गरम मसाला' (2005)
- भारत सरकार द्वारा पद्मश्री (2009)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ‘वेटर’ से सुपरस्टार बनने की अक्षय कुमार की कहानी (हिन्दी) news india। अभिगमन तिथि: 9 दिसंबर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
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