अनुपम खेर का फ़िल्मी कॅरियर
अनुपम खेर का फ़िल्मी कॅरियर
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पूरा नाम | अनुपम खेर |
जन्म | 7 मार्च, 1955 |
जन्म भूमि | शिमला |
अभिभावक | पुष्कर नाथ |
पति/पत्नी | मधुमालती और किरण खेर |
संतान | सिकंदर खेर |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | फ़िल्म जगत |
मुख्य फ़िल्में | 'सारांश', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे', 'खेल', 'डर' 'चाहत', 'कुछ कुछ होता है', 'मोहब्बते', 'वीर-ज़रा' और 'हैप्पी न्यू इयर' |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, (2004) और पद्म भूषण, (2016) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अनुपम खेर को एजुकेशन फाउंडेशन ने 2010 में अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। |
अनुपम खेर अभिनेता के साथ निर्माता, निर्देशक, टीचर, टीवी शो होस्ट, राटइर और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी पहचान बनाई। उन्होंने फ़िल्मों में शुरुआत महेश भट्ट की फ़िल्म 'सारांश' से की थी, जो 25 मई, 1984 को रिलीज हुई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनुपम खेर ने बहुत से टी.वी शो भी होस्ट किये हैं, जैसे कि 'सेना समथिंग तो अनुपम अंकल', 'सवाल दस करोड़ का', 'लीड इंडिया' और वर्तमान में अनुपम खेर शो– 'कुछ भी हो सकता है', जो अपने पहले एपिसोड से ही सुपरहिट साबित हुआ। उन्होंने बहुत से हास्य रोल भी किये हैं। अनुपम खेर ने अपने खुद के जीवन पर आधारित नाटक 'कुछ भी हो सकता है' लिखा था और खुद ही उसमे अभिनय भी किया, जिसे फ़िरोज अब्बास ख़ान ने डायरेक्ट किया था।
फ़िल्मी कॅरियर
अनुपम खेर ने 1982 में आयी फ़िल्म 'आगमन' से अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद 1984 में उन्होंने 'सारांश' फ़िल्म की, जिसमें उन्होंने 28 साल के एक सामान्य वर्ग के महाराष्ट्रियन का किरदार निभाया था जिसने अपने बेटे को खो दिया हो। लेकिन कुछ फ़िल्मों में उन्होंने विलन की भूमिका भी अदा की है, उन फ़िल्मों में 'डॉ. दंग इन कर्मा' (1986) शामिल है। उन्हें फ़िल्म 'डैडी' (1989) में उनके रोल के लिये बेस्ट परफॉरमेंस का फ़िल्मफ़ेयर क्रिटिक्स अवार्ड भी मिला था। उन्होंने शाहरुख़ ख़ान के साथ मिलकर बहुत सी फ़िल्में की है, जिनमें वे शाहरुख़ के सह-कलाकार दिखे।[1]
अनुपम खेर ने 2002 में आयी फ़िल्म 'ओम जय जगदीश' को डायरेक्ट किया और प्रोड्यूसर बने। इसके बाद उन्होंने फ़िल्म 'मैंने गांधी को नही मारा' (2005) प्रोड्यूस की और उसमे वे खुद ही अभिनेता बने। फ़िल्म में उनके लाजवाब प्रदर्शन को देखकर कराची इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में उन्हें बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपम खेर ने बेककहम (2002), ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस (2004), स्पीडी सिंह (2011) जैसी सुपरहिट फ़िल्में की है। इसके साथ-साथ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से टी. वी शो भी किये हैं, जिनके लिये उन्हें बहुत से अवार्ड भी मिले है।
अनुपम खेर ने बहुत से टी.वी शो भी होस्ट किये हैं, जैसे कि 'सेना समथिंग तो अनुपम अंकल', 'सवाल दस करोड़ का', 'लीड इंडिया' और वर्तमान में अनुपम खेर शो – 'कुछ भी हो सकता है', जो और अपने पहले एपिसोड से ही यह सुपरहिट साबित हुआ। उन्होंने बहुत से हास्य रोल भी किये हैं। अनुपम खेर ने अपने खुद के जीवन पर आधारित नाटक 'कुछ भी हो सकता है' लिखा था और खुद ही उसमे एक्टिंग भी की थी, जिसे फ़िरोज अब्बास ख़ान ने डायरेक्ट किया था। अभी कुछ दिनों पहले तक ही उन्होंने इंडियन फ़िल्म सेंसर बोर्ड के पद पर रहते हुए सेवा की थी। इसके साथ-साथ वे नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के 1978 की बैच के भूतपूर्व छात्रा भी थे। 2007 में अनुपम खेर ने अपने साथि सतीश कौशिक के साथ मिलकर करोल बाग़ प्रोडक्शन की स्थापना की और उनकी पहली फ़िल्म 'तेरे संग थी', जिसे सतीश कौशिक ने ही डायरेक्ट किया था।
एजुकेशन फाउंडेशन ने 2010 में अनुपम खेर को अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। 2011 में उन्होंने मोहनलाल और जयाप्रदा के साथ मिलकर मलयालम भाषा में रोमांटिक ड्रामा प्राणायाम शुरू किया। खेर के अनुसार प्राणायाम उनके जीवन की 7 सबसे पसंदीदा फ़िल्मों में से एक है। उन्होंने बहुत-सी मराठी फ़िल्में भी की है जिनमें मुख्य रूप से 'तुझा… थोडा माझा', 'कशाला उद्याची बात' और मलयालम भाषा की रोमांटिक ड्रामा फ़िल्में भी शामिल है। 2009 में अनुपम खेर ने 'कार्ल फ्रेडरिक्क्सन' को डिज्नी पिक्सर 3डी एनीमेशन फ़िल्म के लिये अपनी आवाज़ भी दी। उन्होंने ब्रिटिश फ़िल्म शोंग्राम करना शुरू कर दी। जो एक रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म है और 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध पर आधारित है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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