पाथेर पांचाली

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पाथेर पांचाली (अंग्रेज़ी: Pather Panchali) बंगाली सिनेमा की वर्ष 1955 में बनी एक नाटक फ़िल्म है। इस फ़िल्म का निर्देशन अपने समय के ख्यातिप्राप्त सत्यजित राय ने एवं निर्माण पश्चिम बंगाल सरकार ने किया था। यह फ़िल्म बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है। 'पाथेर पांचाली' कोलकाता के सिनेमाघरों में लगभग 13 सप्ताह तक हाउसफुल दिखाई गई। इस फ़िल्म के लिए सत्यतीत राय को 'ऑस्कर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।

विषयवस्तु

सत्यजीत राय की पहली फिल्म थी 'पाथेर पांचाली'। इस फिल्म को बनाने के लिए सत्यजीत राय ने अपनी पत्नी के गहने और ग्रामोफोन के रिकॉर्डस तक बेच दिए थे। फिल्म अपनी कहानी, अभिनय और पंडित रविशंकर के थीम म्यूज़िक से गहरे प्रभावित करती है। यह फिल्म बचपन, गांव का सुविधाओं के बिना जीवन, जिंदगी और मौत के बीच बेहतर जीवन की उम्मीद को बताती है। फिल्म के 60 वर्ष पूरे होने के मौके पर संस्था सूत्रधार ने इसका प्रदर्शन रविवार को प्रीतमलाल दुआ सभागृह में किया था।

इस तरह बनी पाथेर पांचाली

  1. बांग्ला लेखक विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की विधवा ने सत्यजीत राय को उपन्यास पर फिल्म बनाने की अनुमति दी थी।
  2. सिग्नेट प्रेस के मालिक डी. के. गुप्ता ने सत्यजीत राय को सुझाव दिया था कि इस उपन्यास पर ग्रेट फिल्म बन सकती है, जिसके इलेस्ट्रेशंस सत्यजीत राय कर रहे थे।
  3. इटालियन फिल्मकार वित्तोरियो डि सीका की फिल्म 'बाइसिकल थीव्स' देखने के बाद सत्यजीत राय ने तय किया था कि वे फिल्मकार ही बनेंगे।
  4. पाथेर पांचाली स्क्रिप्ट नहीं लिखी गई थी। सत्यजीत राय ने इसके लिए कुछ नोट्स लिए थे और ड्राइंग्स की थी।
  5. 27 अक्टूबर, 1952 को फिल्म की शूटिंग कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के पास एक गांव बोराल में शुरू हुई।
  6. निर्माताओं ने इस फिल्म के लिए फाइनेंस करने से मना कर दिया था।
  7. फिल्म बनाने के लिए सत्यजीत राय ने अपनी बीमा पॉलिसी, ग्रोमोफोन रिकॉर्ड्स और पत्नी विजया के जेवर बेच दिए थे।
  8. बंगाल सरकार ने इस फिल्म के लिए सत्यजीत राय को लोन दिया था।
  9. सिनेमैटोग्राफर सुब्रत मित्रा ने इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी करने के पहले कोई भी मूवी कैमरा ऑपरेट नहीं किया था।

पुरस्कार व सम्मान

1955 में प्रदर्शित फिल्म 'पाथेर पांचाली' कोलकाता के सिनेमाघरों में लगभग 13 सप्ताह तक हाउसफुल दिखाई गई। इस फिल्म को फ़्राँस में प्रत्येक वर्ष होने वाली प्रतिष्ठित 'कांस फिल्म फेस्टिबल' में ‘बेस्ट ह्यूमन डाक्यूमेंट’ का विशेष पुरस्कार भी दिया गया। विश्व के दस फ़िल्मकारों में शामिल बांग्ला फ़िल्मकार सत्यजित राय ने अपनी किसी भी फ़िल्म को ऑस्कर पुरस्कार की दौड़ में शामिल होने नहीं भेजा। उनकी फ़िल्म ‘पाथेर पांचाली’ और 'अपू त्रयी' को दुनिया भर के फ़िल्म फेस्टिवल्स में सैकड़ों अवॉर्ड मिले थे। इसके बावजूद 'राय मोशाय' ने ऑस्कर के फेरे नहीं लगाए। स्वयं ऑस्कर अवॉर्ड 1992 में चलकर कोलकाता आया और विश्व सिनेमा में अभूतपूर्व योगदान के लिए सत्यजित राय को मानद ऑस्कर अवॉर्ड से अलंकृत किया गया। राय बीमार थे। उनके घर आकर ऑस्कर अवॉर्ड के पदाधिकारियों ने उनका सम्मान किया। इस आयोजन की फ़िल्म बनाई गई और उसे ऑस्कर सेरेमनी में प्रदर्शित कर पूरी दुनिया को दिखाया गया।


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