के. सी. महिन्द्रा
कैलाश चन्द्र महिन्द्रा (अंग्रेज़ी: Kailash Chandra Mahindra, जन्म- 1894; मृत्यु- 1963) भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। वह मुख्यत: 'केसी' के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने सन 1945 में अपने दो सहयोगियों- जगदीश चन्द्र महिन्द्रा और मलिक गुलाम मोहम्मद के साथ मिलकर कम्पनी 'महिन्द्रा एण्ड मोहम्मद' की स्थापना की थी। यह कम्पनी स्टील ट्रेडिंग के लिये बनाई गई थी। आज़ादी के बाद मलिक गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गये। इसके बाद सन 1948 में कम्पनी का नाम बदलकर 'महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा' कर दिया गया। यह कम्पनी आज भारत ही नहीं अपितु देश के बाहर भी दिग्गज कम्पनियों में शामिल है। कम्पनी के चार पहिया वाहन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।
परिचय
'केसी' के नाम से मशहूर कैलाश चन्द्र महिन्द्रा का जन्म सन 1894 में पंजाब के लुधियाना में हुआ था। कैलाश महिन्द्रा अपने नौ भाई बहनों में दूसरे थे। जब उनके पिता की कम उम्र में मृत्यु हो गई, तो उनके बड़े भाई जे। सी। परिवार के मुखिया बन गए। के. सी. उनके सबसे अच्छे दोस्त और भविष्य के कारोबार में भागीदार बनें।
शिक्षा
के. सी. ने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान ने चमक दिखाया। कैम्ब्रिज में उन्होंने ऑनर्स अर्जित किया, हॉकी खेली और नौका चालन में गहरी रुचि ली। स्नातक करने के बाद उन्होंने 'मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी' में नौकरी की, जहाँ उन्होंने मासिक पत्रिका 'इंडिया' का संपादन किया और कुछ समय के लिए 'हिंदुस्तान रिव्यू' का भी संपादन किया।
कम्पनी की शुरुआत
के.सी. महिन्द्रा यानी कैलाश चन्द्र महिन्द्रा ने कुछ समय तक [[अमेरिका] में नौकरी भी की। वहीं उन्हें 1942 में 'इंडियन परचेजिंग मिशन' (यूएस) का प्रमुख बनाया गया। वहीं वह 1945 में भारत लौट आए। कहते हैं देश लौटने के बाद उन्हें नौकरी के कई बड़े ऑफ़र आए, लेकिन उन्होंने अपना कुछ शुरू करने का सोचा। फिर क्या था, उन्होंने अपने भाई जगदिश चन्द्र महिन्द्रा और मित्र मलिक ग़ुलाम मोहम्मद के साथ 1945 में एक कंपनी की नींव रखी, जिसका नाम रखा गया 'महिन्द्रा एण्ड मोहम्मद कम्पनी'।[1]
'महिन्द्रा एण्ड मुहम्मद कंपनी' की शुरुआत एक स्टील कंपनी के रूप में हुई थी। महिन्द्रा भाइयों ने सोचा था कि वो एक बड़ी स्टील की कंपनी बनाएंगे, लेकिन देश के बंटवारे के सामने उनके सपने कमज़ार पढ़ गए। 15 अगस्त, 1947 में हुए देश के बंटवारे की वजह से दो हिंदू-मुसलमान दोस्त अलग हो गए। मलिक ग़ुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गए और वहां जाकर पहले वित्तमंत्री और बाद में देश के तीसरे गवर्नर जनरल बनें।
महिन्द्रा एंड महिन्द्रा
कंपनी में मलिक ग़ुलाम मोहम्मद की हिस्सेदारी ज़्यादी थी। इस वजह से दोनों भाइयों को लगा कि शायद कंपनी आगे चल न पाए, लेकिन दोनों भाइयों ने हिम्मत नहीं हारी और कंपनी को किसी भी हालत में आगे ले जाने का फ़ैसला किया। कंपनी का नाम 'एमएंडएम' पहले से ही रजिस्टर्ड था। वहीं, उन्होंने कंपनी का नाम बदलवाकर 'मोहम्मद' की जगह 'महिन्द्रा' कर दिया। अब कंपनी का नाम 'महिन्द्रा एंड महिन्द्रा' हो गया था।
महिन्द्रा ब्रदर्स कंपनी के साथ कुछ नया करना चाहते थे। ऐसे में के. सी. महिन्द्रा का अनुभव काम आया। उन्होंने यूएस में जीप देखी थी, तो उन्होंने भारत में जीप का प्रोडक्शन करने की ठान ली। जीप का प्रोडक्शन कर महिन्द्रा एंड महिन्द्रा कंपनी एक ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई। जल्द ही उन्होंने ट्रैक्टर के साथ अन्य गाड़ियों का निर्माण भी शुरू कर दिया और जल्द ही ये कंपनी भारत की लोकप्रिय ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई। इस तरह कंपनी आगे बढ़ती गई और आज भी इसका अस्तित्व बरकरार है। साल 1991 में आनंद महिन्द्रा एमएंडएम ग्रुप के नए डिप्टी डायरेक्टर बनें।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 दिलचस्प है Mahindra & Mahindra कंपनी की कहानी (हिंदी) hindi.scoopwhoop.com। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2024।
बाहरी कड़ियाँ
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