लार्ड कैनिंग

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लार्ड कैनिंग भारत में कम्पनी द्वारा नियुक्त अन्तिम गवर्नर जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन नियुक्त भारत का पहला वायसराय था। इसके समय में ही 1857 का महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक विद्रोह हुआ। कैनिंग के महत्त्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं-

  • सैन्य सुधार के अन्तर्गत कैंनिग ने भारतीय सैनिकों संख्या घटाते हुए उनके हाथों से तोपखानें के अधिकार को छीन लिया।
  • आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैंनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया।
  • कैनिंग ने 500 रु. से अधिक आय पर आयकर लगा दिया और इसके साथ ही आयात पर 10 प्रतिशत तथा निर्यात पर 4 प्रतिशत कर निश्चित कर दिया।
  • नमक कर में वृद्धि कर दी तथा तम्बाकू पर भी कर लगाया ।
  • 1859 ई. में बंगाल किराया अधिनियम स्वीकृत हुआ जिसमें उन किसानों, जो पिछले 12 वर्षो से लगातार किराये की भूमि पर खेती कर रहे थे या लगातार 20 वर्षो से समान किराये पर खेती कर रहे थे, को भूमि का अधिकारी समझा गया।
  • न्यायिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने 'इंडियन हाई कोर्ट एक्ट 1861' द्वारा बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायलय की स्थापना की।
  • मैकाले के दण्ड विधान, जाब्ता दीवानी व जाब्ता फौजदारी को अन्तिम रूप से 1860 ई. में स्वीकार कर लिया।
  • सार्वजनिक सुधारों के तहत कैंनिग ने रेललाइनों, सड़कों व नहरों का निर्माण करवाया।
  • 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम इसी के समय में पारित किया गया, जिसमें गर्वनर जनरल के कौंसिल के सदस्यों की संख्या 4 से बढ़ाकर 5 कर दी गयी। इसी प्रकार लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्यों की संख्या 4 से बढ़ाकर 12 कर दी गई।
  • सामाजिक सुधारों के अन्तर्गत विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 केनिंग के समय में ही पास हुआ।
  • 1857 में जिन भारतीय रियासतों ने अंग्रेजी राज का समर्थन किया था, उनके लिए 1858 की घोषणा में साम्राज्ञी द्वारा यह प्रण किया गया था कि स्थानीय राजाओं के अधिकारों, गौरव तथा सम्मान को वह अपने सम्मान के बराबर ही मानती है। इसी के समय में विलय की नीति को तिलांजलि देते हुए नवीन नीति अपनायी गयी जिसके अनुसार कुशासन के आरोपी राजाओं को दण्डित करने का प्रावधान तो था, किन्तु उनके राज्य को विलय करने का प्रावधान नहीं था 1879 में मल्हार राव गायकवाढ़ को कुशासन के लिए दण्डित करते हुए सिंहासन से उतार दिया गया किन्तु उनके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में नहीं मिलाया गया।


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