मणिपुर
मणिपुर
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राजधानी | इंफाल |
राजभाषा(एँ) | मणिपुरी भाषा, बांग्ला भाषा, असमिया भाषा |
स्थापना | 1972/01/21 |
जनसंख्या | 22,93,896 |
· घनत्व | 107 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 22347 |
भौगोलिक निर्देशांक | 24.817°N 93.95°E |
वर्षा | 1467.5 मिमी |
ज़िले | 9 |
साक्षरता | 59.89% |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 15:00, 4 मई 2010 (IST)
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परिचय
मणिपुर भारत का एक पूर्वी राज्य है। मणिपुर राज्य की राजधानी इंफाल है। मणिपुर राज्य के उत्तर और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से म्यांमार लगा हुआ है। मणिपुर का क्षेत्रफल 22,347 वर्ग कि.मी है। मेइती जनजाति, जो घाटी क्षेत्र में ही रहते हैं, वे ही यहाँ के मूल निवासी हैं। इनकी भाषा मेइतिलोन है। इसी भाषा को मणिपुरी भाषा कहते हैं। यह भाषा 1992 में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई। यहाँ के पर्वतीय भाग में नागा व कुकी जनजाति के लोग निवास करते हैं। मणिपुरी बहुत ही संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है।
मणि का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषण’ है। अत: मणिपुर का अर्थ 'आभूषण की भूमि' है। मणिपुर में प्राकृतिक संसाधनों का प्रचुर भंडार है। यहाँ की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यहाँ जल-प्रपात है, रंग-बिरंगे फूलों वाली वनस्पति हैं। यहाँ पर कुछ दुर्लभ वनस्पतियां और जीव जंतु भी पाये जाते हैं। घने जंगल हैं, स्वच्छ जल से युक्त नदियां हैं, पर्वतों पर मनोरम प्राकृतिक सुन्दरता है।
इतिहास और भूगोल
ईस्वी युग के प्रारंभ होने के पहले से ही मणिपुर का लंबा और शानदार इतिहास है। यहाँ के राजवंशों का लिखित इतिहास सन 33 ई. में पखंगबा के राज्यभिषेक के साथ मिलता है। उसके बाद अनेक राजाओं ने मणिपुर पर शासन किया। मणिपुर की स्वतंत्रता और संप्रभुता 19वीं सदी के आरंभ तक बनी रही। उसके बाद सात वर्ष (1819 से 1825 तक) बर्मी शासकों ने यहाँ पर कब्जा करके शासन किया। 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में देश के साथ स्वतंत्र हुआ। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ के भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में सम्मिलित हुआ। कालांतर में एक प्रादेशिक परिषद का गठन किया गया जिसमें 30 सदस्य चयन के द्वारा और दो सदस्य मनोनीत थे।
इसके पश्चात 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अधीन 30 सदस्य चयन द्वारा और तीन मनोनीत सदस्यों की विधानसभा स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का पद मुख्य आयुक्त स्थान पर उपराज्यपाल कर दिया गया।
21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य की श्रेणी मिली और 60 निर्वाचित सदस्यों की विधानसभा का गठन किया गया। इस विधानसभा में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए 19 सीट आरक्षित हैं। मणिपुर से लोकसभा के दो और राज्य सभा का एक प्रतिनिधि है।
भारत के पूर्वी सिरे पर मणिपुर राज्य स्थित है। इसके पूर्व में म्यांमार (बर्मा) और उत्तर में नागालैंड राज्य है, पश्चिम में असम राज्य और दक्षिण में मिज़ोरम राज्य है। मणिपुर का क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलोमीटर है। भौगोलिक रूप से मणिपुर के दो भाग हैं, पहाडियां और घाटियाँ। घाटी मध्य में है और उसके चारों तरफ पहाडियां हैं। ये पहाडियां राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 9/10 भाग हैं। मणिपुर की घाटी समुद्र के तल से लगभग 790 मीटर ऊपर है। यह पर्वतीय श्रृंखला उत्तर में ऊंची है और धीरे धीरे मणिपुर के दक्षिणी हिस्से में पहुंचने पर यह कम ऊंची रह जाती है। इससे घाटी में दक्षिण की ओर ढलान का निर्माण होता है।
कृषि
कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। 70 प्रतिशत लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। राज्य में कृषि कुल क्षेत्र 10.48 प्रतिशत ही है। कुल कृषि क्षेत्र का 13.24 प्रतिशत क्षेत्र, लगभग 30,980 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र है। राज्य में अन्न उत्पादन मामूली सा कम है लेकिन तिलहन और दलहन का उत्पादन बहुत ही कम होता है।
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- राज्य का कृषि विभाग 11वीं योजना में कृषि की बढ़त को बनाए रखने और उसके व्यवसायीकरण की योजना पर कार्य कर रहा है। इसके लिए राज्य कुछ बातों पर विशेष ध्यान दे रहा है-
- कुल कृषि क्षेत्र का प्रतिशत बढ़ाना
- 11वीं योजना में फ़सल का घनत्व बढाना
- फ़सल उत्पादन दर को बढाकर 11वीं योजना के अंत तक 39.85 प्रतिशत तक करना
- इस उद्देश्य के लिए निम्न बातों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है -
- गुणवत्ता पूर्ण बीजों का उत्पादन,
- सिंचाई के साधनों का विस्तार,
- कृषि फार्मों का आधुनिकीकरण,
- मृदा प्रबंधन,
- जैविक फार्मों का विकास,
- उच्चस्तरीय फ़सल उगाना,
- कटाई के बाद फ़सल का प्रबंधन,
- बाज़ार उपलब्ध कराना
- जैव प्रौद्योगिकी और कृषि प्रसंस्करण का विकास और अनुसंधान
- कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग,
- प्रौद्योगिक हस्तांतरण-
- हर ज़िले में किसान फील्ड स्कूल को स्थापित करना
- किसान फील्ड स्कूल के विस्तार का प्रबंधन करना।
वन
राज्य में कुल 17,219 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है। इनमें 6,536 वर्ग किलोमीटर में घने वन है। इसके अतिरिक्त राज्य में 10,681 वर्ग किलोमीटर में खुले वन है, ये राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 77.12 प्रतिशत हैं। मणिपुर के उखरूल ज़िले के शिराय ग्राम में स्वर्गपुष्प कहे जाने वाले शिराय लिली (लिलियम मैक्लीनी) नामक फूल मिलते हैं, जो विश्व में किसी दूसरे स्थान पर नहीं पाये जाते। जूको घाटी में दुर्लभ प्रजाति के जूको लिली (लिलियम चित्रांगद) भी पाए जाते है। मणिपुर राज्य अपनी जैव सम्पदा के लिए विख्यात है। यहाँ अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते है। यहाँ ‘संगाई’ हिरण (सेरवस इल्डी इल्डी) भी पाया जाता है, जो पायी जाने वाली नस्ल में दुर्लभ है। यह केइबुल लामजाओ के प्राकृतिक वन क्षेत्र में पाया जाता है। केइबुल लामजाओ लगभग 40 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
1977 में इसको 'राष्ट्रीय उद्यान' घोषित किया गया। इसकी विशेषता इसमें तैरता हुआ उद्यान है जिसमें ’फुमडी’ नामक वनस्पति पायी जाती है। संगाई हिरण इसी वनस्पति पर निर्भर होते हैं। राज्य सरकार के संरक्षण के उपायों से 2003 से ‘संगाई’ की संख्या बढ़कर 180 हो गई है। 1975 में यह मात्र 14 थे।
'केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय पार्क' के अतिरिक्त एक 184.40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 'भांगोपोकपी लोकचाओ वन्यप्राणी अभयारण्य' भी संरक्षित क्षेत्र है। यह उद्यान चंदेल ज़िले में है। इस अभारण्य में 'मलायान भालू' पाए जाते हैं।
राज्य में जैव संपदा का विशाल भंडार है। वनों का बडा हिस्सा संरक्षित है। इनमें टेक्सस बकाटा, जिनसेंग नामक दुर्लभ औषधीय पौधों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। यह राज्य अनेक दुर्लभ वनस्पतियों का घर है।
सिंचाई
राज्यों में सिंचाई परियोजनाओं का आरम्भ 1980 में हुआ। तब से जिन सिंचाई परियोजनाओं का कार्य हुआ है, वे इस प्रकार हैं-
- लोकतक लिफ्ट सिंचाई परियोजना,
- कोफुम बांध, सेकमाइ बौराज,
- इंफाल बेराज,
- सिंगडा बहुउद्देश्यीय योजना,
- खूगा बहुउद्देश्यीय परियोजना,
- थोबल बहुउद्देश्यीय परियोजना और
- दोलईथबी बांध बहुउद्देश्यीय परियोजना।
- इनमें से कोफुम बांध, इंफाल बैराज, लोकतक लिफ्ट सिंचाई तथा सिंगडा परियोजना के सिंचाई वाले भाग तथा केथलमानबी के बैराज तथा थोबल बहुउद्देश्यीय योजना को आठवीं परियोजना के अंतर्गत सम्पन्न कर लिया है।
- नवीं परियोजना तक इनकी सिंचाई क्षमता 28,500 हेक्टेयर थी जिसमें से 21,850 क्षेत्र में सिंचाई हो रही थीं। इसके अतिरिक्त लुअसीपट तथा पोइरोपट के जल भराव वाले 1200 और 900 हेक्टेयर क्षेत्र को थोबुल परियोजना में कृषि योग्य बनाया गया है।
- सिंगडा बांध से राज्य जन स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग को 4 एम.जी.डी. कच्चे पानी की आपूर्ति होती है। वर्ष 2007 से खुगा बहुउद्देश्यीय परियोजना से राज्य को 5 एम.जी.डी. कच्चे पानी की आपूर्ति होती है।
- खुगा बहुउद्देश्यीय परियोजना, थोबुल बहुउद्देश्यीय परियोजना तथा डोलाईथबी बैराज परियोजना का कार्य प्रगति पर है तथा इसे दसवीं योजना के दौरान पूरा कर लेने का लक्ष्य है।
बिजली
मार्च 2006 तक राज्य में बिजली की क्षमता 42.750 मेगावाट से अधिक थी और 2,000 से अधिक गांवों में बिजली है। केंद्रीय क्षेत्र के बिजली घर जैसे एन.एच.पी.सी. की लोकतक पनबिजली परियोजना, कोपिली पनबिजली परियोजना, खानदोंग पनबिजली परियोजना, दयोंग पनबिजली परियोजना, रंगनाडी पनबिजली परियोजना तथा एजीबीपीपी की काथलगुडी पनबिजली और एजीटीपीपी की रामचंद्र नगर परियोजना (सभी एनईपीसीओ के अंतर्गत) से राज्य में बिजली की सप्लाई में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
वाणिज्य और उद्योग
कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला कुटीर उद्योग हथकरघा उद्योग है। यह उद्योग आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है विशेषकर महिला बुनकरों के लिए यह आदर्श है। हरथकरघा बुनाई का पारंपरिक कौशल महिलाओं के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक है। यह उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन का एक अविभाज्य अंग है। खाद्य प्रसंस्करण मणिपुर का एक अन्य लोकप्रिय उद्योग है। इस उद्योग के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इम्फाल में खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण केन्द्र और खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण हॉल स्थापित किया है। इम्फाल में एक 'फूड पार्क' भी बनाया जा रहा है।
12 अप्रैल 1995 से भारत सरकार और म्यामांर के बीच सीमा व्यापार शुरू होने से राज्य सरकार का वाणिज्य और उद्योग विभाग सीमा व्यापार के प्रोत्साहन और विकास के लिए कार्य कर रहा है। सीमा व्यापार को बढ़ाने के लिए सीमावर्ती शहर मोरेह में वेयर हाउस, सम्मेलन कक्ष और ठहरने की सुविधा के लिए एक विश्रामगृह स्थापित किया गया है।
हथकरघा
हथकरघा उत्पादन का कार्य तीन सरकारी एजेंसियां करती हैं। वह इस प्रकार हैं-
- मणिपुर डेवलपमेंट सोसायटी (एम.डी.एस.)
- मणिपुर हैंडलूम एंड हैडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एम.एच.एच.डी.सी.)
- मणिपुर स्टेट हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसायटी (एम.एस.एच.डब्यूज. सी.एस.)
दस्तकारी
मणिपुर के हस्तकला और दस्तकारी में बेंत और बांस से बने उत्पादनों के साथ मिट्टी के बर्तन बनाने की कला भी जुड़ी हुयी है। मणिपुर में मिट्टी के बर्तन बनाने की कला प्राचीन समय से ही प्रचलित है। बांस और बेंत के उत्पादन के लिए कच्चा माल बड़ी संख्या में उपलब्ध रहता है। तरह तरह टोकरी, फर्नीचर और घर के प्रयोग की वस्तुएं बेंत और बांस यहाँ के निवासियों का लोकप्रिय व्यवसाय है।
सूचना प्रौद्योगिकी
राज्य में आई.टी. उद्योग के लिए मणिपुर सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी को विकास को प्राथमिकता देती है। राज्य में इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योगों को विकसित करने के लिए 'मणिपुर इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन' का गठन किया गया है। जिसके निम्न उद्देश्य हैं-
- आई टी पार्कों की स्थापना, सर्विस सेंटर व सूचना केंद्र की स्थापना
- वॉयस, डाटा, वीडियो के प्रसारण एवं प्रचार के लिए 'मणिपुर स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क' (एम.ए.एन.एन.टी.) के नेटवर्क की स्थापना।
- नागरिकों को 'मल्टी फंक्शनल इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट कार्ड' उपलब्ध कराना।
- स्कूल व कॉलेजों में आई.टी. को बढ़ावा
- आई.टी. के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा बढ़ाना।
परिवहन
सड़कें-
- मणिपुर में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग -
- राष्ट्रीय राजमार्ग - 39,
- राष्ट्रीय राजमार्ग - 53 और
- राष्ट्रीय राजमार्ग 150
- राज्य की राजधानी इंफाल उत्तर में नागालैंड तथा
- पूर्व में म्यामांर ने राष्ट्रीय राजमार्ग - 39 द्वारा
- पश्चिम में असम से राष्ट्रीय राजमार्ग - 53 द्वारा तथा
- दक्षिण में मिज़ोरम से राष्ट्रीय राजमार्ग - 150 द्वारा जुड़ी हुई है।
उड्डयन-
- इम्फाल हवाई अड्डा पूर्वोत्तर क्षेत्र में राज्य का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा है, जो मणिपुर को आइजोल, गुवाहाटी, कोलकाता, सिल्चर और नई दिल्ली से जोड़ता है। यहाँ के लिए इंडियन एयरलाइंस की विमान सेवाएं, जेट एयरवेज, इंडिगो और एयर डेक्कन, एलायंस एयर, स्पाइस जेट और किंगफिशर हैं।
रेलवे-
- मणिपुर भी देश के रेल-मानचित्र में शामिल हो गया है। मई 1990 में जिरिबाम तक रेल लाइन पहुंच गयी है। जिरिबाम इंफाल से 225 कि.मी. दूर है। इंफाल से 215 कि.मी. की दूरी पर स्थित दीमापुर निकटतम रेलवे स्टेशन है।
- तुपुल रेलवे लाइन को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। 52 किलोमीटर लंबे स्थल का सर्वेक्षण का कार्य हो गया है। यह रेल मार्ग तुपुल से इंफाल तक किया जा सकता है।
त्योहार
मणिपुर में वर्ष भर त्योहार मनाए जाते है। कोई महीना ऐसा नहीं होता जब कोई त्योहार न मनाया जाता हो। त्योहार मणिपुर के निवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आकांक्षाओं का प्रतीक है। राज्य के प्रमुख त्योहार है-
- लाई हारोबा
- रास लीला
- चिरओबा
- निंगोल चाक-कुबा
- रथ यात्रा
- ईद-उल-फितर
- इमोइनु
- गान-नागी
- लुई-नगाई-नी
- ईद उल ज़ुहा
- योशांग(होली)
- दुर्गा पूजा
- मेरा होचोंगबा
- दीवाली
- कुट
- क्रिसमस
पर्यटन केंद्र
- मणिपुर में जाने के लिए चाहे वह पर्यटक हो या उनका जन्म यहीं पर हुआ हो, प्रतिबंधित क्षेत्र का परमिट लेना आवश्यक होता है। यह परमिट मुख्य महानगरों में स्थित क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से मिलता है। यह परमिट दस दिन तक ही वैध होता है।
- मनमोहक प्राकृतिक भू दृश्यों से मणिपुर पर्यटकों को आकर्षित करता है। मुख्य पर्यटन केंद्र हैं—कांगला, श्री गोविंद जी मंदिर, खारीम बंद बाज़ार (इमा कैथल) , युद्ध स्मारक, शहीद मीनार, नूपी लेन (स्त्रियो का युद्ध) स्मारक परिसर, खोगंमपट्ट उद्यान, विष्णु मंदिर, सेंदरा, मारह, सिरोय गांव, सिरोय पहाडिया, ड्यूको घाटी, लोकटक झील, राज्यकीय संग्रहालय, केनिया पर्यटक आवास, खोग्जोम युद्ध स्मारक परिसर आदि है।
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