अरुणाचल प्रदेश

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अरुणाचल प्रदेश
राजधानी ईटानगर
राजभाषा(एँ) अंग्रेज़ी भाषा, हिन्दी भाषा, असमिया भाषा
स्थापना 20 फ़रवरी, 1987
जनसंख्या 1, 091, 117 [1]
· घनत्व 13[2] /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 83,743 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 27°04′N 93°22′E
ज़िले 16 [1]
सबसे बड़ा नगर ईटानगर
मुख्य पर्यटन स्थल ईटानगर, तवांग, दिरांग, बोमडिला, टीपी, मालिनिथान, लीकाबाली, पासीघाट
लिंग अनुपात 1000:901 ♂/♀
साक्षरता 54.74%
राज्यपाल जोगिन्दर जसवंत सिंह
मुख्यमंत्री जारबोम गामलिन
विधानसभा सदस्य 60 [1]
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎
  • अरुणाचल प्रदेश भारत गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है।
  • 'अरुणाचल' का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है 'उगते सूर्य की भूमि' (अरुण+अचल)।
  • अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न राज्य है किन्तु चीन राज्य के एक भाग पर अपना अधिकार दक्षिणी तिब्बत के रूप में जताता है।
  • अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा हिन्दी भाषा और असमिया है साथ ही अंग्रेज़ी भाषा भी आजकल धीरे धीरे लोकप्रिय हो रही है।

इतिहास

अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमांत एजेंसी (नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी- नेफा) के नाम से जाना जाता था। इस राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में क्रमश: भूटान, तिब्बत, चीन, और म्यांमार देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है। इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र है। इसके पहाड़ों की ढलान असम राज्य के मैदानी भाग की ओर है।

तवांग, अरुणाचल प्रदेश
Tawang, Arunachal Pradesh

'कामेंग', 'सुबनसिरी', 'सिआंग', 'लोहित' और 'तिरप' आदि नदियां इन्हें अलग-अलग घाटियों में विभाजित कर देती हैं। यहाँ का इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है। मौखिक परंपरा के रूप में कुछ थोड़ा सा साहित्य और ऐतिहासिक खंडहर हैं जो इस पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं। इन स्थानों की खुदाई और विश्लेषण के द्वारा पता चलता है कि ये ईस्वी सन प्रारंभ होने के समय के हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे उनका देश के अन्य भागों से निकट का संबंध था। अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फ़रवरी, 1826 को 'यंडाबू संधि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता हैं। सन 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) के नाम से जाना जाता था। संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परंतु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहाँ के प्रशासन की देखभाल विदेश मंत्रालय करता था। 1965 के पश्चात असम के राज्पाल के द्वारा यहाँ का प्रशासन गृह मंत्रालय के अन्तर्गत आ गया था। सन 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम 'अरुणाचल प्रदेश' किया गया। इस सब के बाद 20 फ़रवरी, 1987 को यह भारतीय संघ का 24वां राज्य बनाया गया।

भूगोल

अरुणाचल का अधिकतर भाग हिमालय से ढका है, लेकिन लोहित, चांगलांग और तिरप पतकाई पहाडि़यों में स्थित हैं। काँग्तो, न्येगी कांगसांग, मुख्य गोरीचन चोटी और पूर्वी गोरीचन चोटी इस राज्य में हिमालय की सबसे ऊंची चोटियाँ हैं।

बुद्ध की प्रतिमा, तवांग गोम्पा
Statue of Buddha, Tawang Gompa

तवांग का 'बुमला दर्रा' सन 2006 में 44 वर्षों में पहली बार व्यापार के लिए खोला गया था और व्यापारियों को एक दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी। हिमालय पर्वतमाला का पूर्वी भाग अरुणाचल प्रदेश को चीन से अलग करता है। यह पर्वतमाला आगे नागालैंड की ओर मुड़ जाती है और भारत और बर्मा के मध्य चांगलांग और तिरप ज़िले में एक प्राकृतिक सीमा का निर्माण करती है और एक सीमा का कार्य करती है। अरुणाचल प्रदेश की सीमायें दक्षिण में असम, दक्षिण पूर्व में नागालैंड, पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। प्रसिद्ध 'लेडो बर्मा रोड' का एक भाग इस राज्य से होकर जाता है, इस सड़क ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन के लिये 'जीवन रेखा' की भूमिका निभाई थी।

अरुणाचल प्रदेश का मौसम बदलता रहता है। हिमालय के ऊंचाई वाले भाग स्थित तिब्बत के निकटवर्ती भागों में मौसम टुन्ड्रा प्रदेश की भाँति होता है। मध्य हिमालयी भागों में मौसम समशीतोष्ण होता है। यहाँ सेब, संतरा, आदि फलदार वृक्ष होते हैं। हिमालय के क्षेत्र में नम उष्णकटिबंधीय मौसम रहता है जहां अधिक तेज़ गरमी और हल्की सर्दियाँ होती है। अरुणाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है। यहाँ आर्किड के फूल भी पाए जाते हैं। हरी भरी घाटियाँ और यहाँ के लोक-गीत संगीत,हस्तशिल्प सभी कुछ मन लुभावना है। अरुणाचल प्रदेश में 160 से 80 इंच (2000 से 4000 मिमी) तक वार्षिक वर्षा होती है। अधिकतर वर्षा मई और सितंबर माह में होती है। यहाँ के पहाड़ और उनकी ढलानें समशीतोष्ण और उपविषुवतीय जंगलों से भरी हैं, इसी कारण से यहाँ बौना रॉडॉडेन्ड्रोन, ओक, चीड़, मैप्ले, फर और जुनिपर के वृक्ष मिलते हैं साथ ही साल और सागौन प्रजाति के वृक्ष भी मिलते हैं।

जनसाँख्यिकी आंकडे

63 प्रतिशत अरुणाचल निवासी 19 प्रमुख जनजाति तथा 85 अन्य जनजातियों से हैं। इनमें से अधिकतर तिब्बत-बर्मा मूल से हैं। शेष 35 प्रतिशत जनसंख्या आप्रवासी हैं, जिनमें से 31,000 बंगाली, बोड़ो, हजोन्ग, बंगला देश से आये चकमा शरणार्थी और असम , नागालैंड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी हैं। सबसे बडी़ जनजातियों में गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी प्रमुख रूप से हैं।

अरुणाचल प्रदेश की साक्षरता दर 1991 में 41,59 % से बढ़कर 54.74 % हो गयी है । 487796 व्यक्ति पढ़े लिखे है। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अरुणाचल के 20 % निवासी प्रकृतिधर्मी हैं, जो जीववादी धर्म- डो न्यी-पोलो और रन्गफ्राह का निर्वाह करते हैं। मिरि और नोक्ते जाति के लगभग पैंतीस प्रतिशत निवासी हिन्दू हैं। राज्य के 13% निवासी बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म मुख्य रूप से तवांग, पश्चिम कामेंग और तिब्बत से लगे भागों में प्रचलित है। थेरावाद बौद्ध धर्म का म्यांमार की सीमा से सटे क्षेत्रों में पालन किया जाता है। लगभग 19 प्रतिशत निवासी ईसाई धर्म से हैं।

सेला पास, तवांग
Sela Pass, Tawang

अर्थव्यवस्था

सन 2004 में अरुणाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पादन 706 मिलियन डॉलर के लगभग था। अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि प्रधान है। 'झुम' खेती जो आदिवासी समूहों में पहले प्रचलित थी, अब कम लोग इस प्रकार खेती करते हैं। अरुणाचल प्रदेश का लगभग 61000 वर्ग किलोमीटर का भाग घने जंगलों से भरा है, और वन्य उत्पाद राज्य की अर्थव्यवस्था का दूसरा महत्त्वपूर्ण भाग है। यहाँ फ़सलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन मुख्य रूप से हैं।

अरुणाचल प्रदेश फलों के उत्पादन के लिए आदर्श है। पर्यावरण की दृष्टि से यहाँ के प्रमुख उद्योग आरा मिल और प्लाईवुड को क़ानूनन बंद कर दिया गया है। चावल मिल, फल परिरक्षण इकाइयाँ, हस्तशिल्प और हथकरघा आदि यहाँ के अन्य प्रमुख उद्योग हैं।

सामाजिक जीवन

दिरांग घाटी, अरुणाचल प्रदेश
Dirang Valley, Arunachal Pradesh

अरुणाचल प्रदेश के कुछ महत्त्वपूर्ण त्योहारों में 'अदीस' समुदाय का 'मापिन और सोलंगु', 'मोनपा' समुदाय का त्योहार 'लोस्सार', 'अपतानी' समुदाय का 'द्री', 'तगिनों' समुदाय का 'सी-दोन्याई', 'इदु-मिशमी' समुदाय का 'रेह', 'निशिंग समुदाय का 'न्योकुम' आदि त्योहार शामिल हैं। अधिकतर त्योहारों पर पशुओं को बलि चढ़ाने की पुरातन प्रथा है।

कृषि

अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों के जीवनयापन का मुख्य आधार कृषि है। यहाँ की अर्थव्यवस्था 'झूम' खेती पर ही मुख्यत: आधरित है। आजकल नकदी फ़सलों, जैसे-आलू और बागबानी की फ़सलें, जैसे सेब, संतरे और अनन्नास आदि को प्रोत्साहन जा रहा है।

खनिज और उद्योग

राज्य की विशाल खनिज संपदा के संरक्षण के लिए 1991 में 'अरुणाचल प्रदेश खनिज विकास' और 'व्यापार निगम लिमिटेड' (ए. पी. एम. डी. टी. सी. एल.) की स्थापना की गई थी।

ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश
Itanagar, Arunachal Pradesh

विभिन्न प्रकार के व्यापार में दस्तकारों को प्रशिक्षण देना, रोइंग, टबारीजो, दिरांग, युपैया और मैओ में कार्यरत पांच 'सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान' (आई.टी.आई.) हैं। आई.टी.आई. युपैया महिलाओं के लिए विशेष रूप से बना है जो पापुम पारे ज़िले में स्थित है।

सिंचाई और बिजली

अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावॉट है। राज्य के 3,649 गांवों में से लगभग 2,600 गांवों का विद्युतीकरण कर दिया गया है।

परिवहन

जुंग झरना, अरुणाचल प्रदेश
Jung Fall, Arunachal Pradesh

अरुणाचल प्रदेश में 330 किलोमीटर लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग (सड़क मार्ग) है।

पंचायती राज

ग्रामीण क्षेते के विकास के लिए 'अरुणाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग' ने राज्य सरकार के सहयोग से मई, 2008 में पंचायती चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराए हैं जिससे कि ग्रामों का समुचित विकास हो सके।

पर्यटन स्थल

राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल-

  • तवांग,
  • दिरांग,
  • बोमडिला,
  • टीपी,
  • ईटानगर,
  • मालिनीथन,
तवांग, अरुणाचल प्रदेश
Tawang, Arunachal Pradesh
  • लीकाबाली,
  • पासीघट,
  • अलोंग,
  • तेजू,
  • मियाओ,
  • रोइंग,
  • दापोरिजो,
  • नामदफा,
  • भीष्मकनगर,
  • परशुराम कुंड और
  • खोंसा हैं।
ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश
Itanagar, Arunachal Pradesh
ईटा क़िला

इस क़िले का निर्माण 14 -15वीं शताब्दी में कराया गया था। इसके नाम पर ही इस जगह का नाम ईटानगर है। इस क़िले से बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखायी देते हैं। क़िले को देखने के बाद सैलानी पौराणिक गंगा झील भी देख सकते हैं।

पौराणिक गंगा झील

पौराणिक गंगा झील ईटानगर से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। झील के पास सुन्दर प्राकृतिक जंगल है। सैलानी यहाँ सुन्दर पेड़-पौधे, वन्य जीव और फूलों के बगीचे भी देख सकते हैं।

बौद्ध मंदिर

यहाँ पर एक ख़ूबसूरत बौद्ध मन्दिर है। बौद्ध गुरु दलाई लामा भी यहाँ की यात्रा कर चुके हैं। इस मन्दिर की छत पीले रंग की है और इस मन्दिर का निर्माण तिब्बती शैली में किया गया है। इस मन्दिर की छत से ईटानगर के सुंदर दृश्य दिखायी देते हैं। मन्दिर में एक संग्राहलय भी है जिसका नाम जवाहरलाल नेहरू संग्राहलय है। इस संग्राहलय में पूरे अरुणाचल प्रदेश की झाँकी देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर लकड़ियों से बनी ख़ूबसूरत वस्तुएं, वाद्ययंत्र, सुन्दर कपड़े, हस्तनिर्मित वस्तुएं और केन की बनी सुन्दर कलाकृतियों का संग्रह देख सकते हैं। संग्राहलय में एक पुस्तकालय भी है। अन्य स्थलों में दोन्यी-पोलो विद्या भवन, विज्ञान संस्थान, इंदिरा गांधी उद्यान और अभियांत्रिकी संस्थान प्रमुख हैं।

पापुम पेर
पासीघट, अरुणाचल प्रदेश
Pasighat, Arunachal Pradesh

अरुणाचल प्रदेश का पापुम पेर बहुत ही सुन्दर स्थान है। इसका मुख्यालय यूपिया में स्थित है। यह ईटानगर से 20 किलोमीटर दूर है। पापुम पेर हिमालय की तराई में बसा हुआ है। यहाँ से हिमालय की अनेक चोटियाँ दिखायी देती हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ जंगलों, नदियों की प्राकृतिक छटा को भी देख सकते हैं। अधिकतर पर्यटन स्थल ईटानगर, दोईमुख, सिगेली और किमीन में स्थित है। इन स्थलों की यात्रा करने के लिए पर्यटकों को अरुणाचल प्रदेश के सरकारी कार्यालय से परमिट लेना पड़ता है। अरुणाचल प्रदेश में महत्त्वपूर्ण जगहें हैं-

  1. तवांग
  2. परशुराम कुंद
  3. भिस्माक्नगर.
  4. मालिनिथन
  5. अकाशिगंगा.
  6. नामडाफा
  7. ईटानगर
  8. बोमडिला


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 2001 की जनगणना के अनुसार
  2. State with Lowest Population Density in India (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) Colors of india। अभिगमन तिथि: 26 मई, 2011।

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