छत्तीसगढ़ की संस्कृति

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  • छत्तीसगढ़ की संस्कृति की एक धारा लोक जीवन में प्रवाहित है ।
  • यह धारा जीवन के उल्लास से रसमय है और अनेक रुपों में प्रकट है।
  • इसके अंतर्गत अंचल के प्रसिद्ध उत्सव, नृत्य- संगीत, मेला-मड़ई, तथा लोक शिल्प शामिल है।
  • बस्तर का दशहरा, रायगढ़ का गणेशोत्सव तथा बिलासपुर का राउत मढ़ई ऐसे ही उत्सव हैं, जिनकी अपनी ही पहचान है।
  • पंडवानी, भरथरी, पंथी नृत्य, करमा, दादरा, गेड़ी नृत्य, गौरा, धनकुल आदि की स्वर माधुरी भाव-भंगिमा तथा लय में ओज और उल्लास समाया हुआ है छत्तीसगढ़ की शिल्पकला में परंपरा और आस्था का अद्भुत समन्वय है ।
  • यहाँ की पारंपरिक शिल्प कला में धातु, काष्ठ, बांस तथा मिट्टी एकाकार होकर अर्चना और अलंकरण के लिए विशेष रुप से लोकप्रिय है।
  • संस्कृति विभाग के कार्यक्रमों में पारंपरिक नृत्य, संगीत तथा शिल्पकला का संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ कलाकारों को अवसर भी प्रदान किये ।



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