जे.एम. सेनगुप्ता
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
- जे.एम. सेनगुप्ता बंगाल के एक प्रमुख कांग्रेसी नेता थे।
- जतीन्द्र मोहन सेनगुप्ता का जन्म 1885 ई. में चिटगांव के विख्यात सेनगुप्ता परिवार में हुआ था।
- उन्होंने अपना जीवन एक वकील के रूप में प्रारम्भ किया था, किन्तु बाद में वे इसे त्यागकर असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े।
- वे मजदूर हित समर्थक थे तथा असम-बंगाल रेलवे की हड़ताल का संयोजन किया।
- इसके बाद वे बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने तथा सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भी उन्होंने सक्रिय नेतृत्व किया।
- वे 1931 ई. में प्रथम गोलमेज सम्मेलन प्रारम्भ होने पर इंग्लैण्ड गए थे।
- वे जनवरी, 1932 ई. में बन्दी बना लिये गए तथा उन्हें पूना, दार्जीलिंग व राँची में कैद रखा गया।
- उनकी 1933 ई. में 48 वर्ष की अल्पायु में मृत्यु हो गई।
- उन्होंने जीवनभर राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया।
- वे ‘देशप्रिय’ उपनाम से विख्यात हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
नागोरी, डॉ. एस.एल. “खण्ड 3”, स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन), 2011 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर, पृष्ठ सं 169।
बाहरी कड़ियाँ
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